नासिक, वाईबीएन नेटवर्क।
महाराष्ट्र में एक बार फिर हिंसा भड़क उठी। बीती रात महाराष्ट्र के नासिक में अवैध दरगाह को तोड़ने पर जमकर बवाल हुआ। उपद्रवियों ने पुलिस और नगर निगम की टीम के ऊपर पत्थर फेंके। जवाबी कार्रवाई में पुलिस ने भी आंसू गैस के गोले छोड़े। पत्थरबाजी में कई पुलिसकर्मी बुरी तरह चोटिल हुए हैं। इसके साथ ही पुलिस के वाहनों को भी नुकसान पहुंचा है। हालातों को देखते हुए मौके पर पुलिस तैनात है।
क्या है पूरा मामला?
पूरा विवाद नासिक की हजरत सतपीर सैयद दरगाह से जुड़ा हुआ है। नगर निगम ने नासिक के काठे गली सिग्नल इलाके में सातपीर दरगार को हटाने के लिए 1 अप्रैल को नोटिस जारी किया था। नोटिस में बताया गया था कि सुप्रीम कोर्ट ने सातपीर दरगाह को अनाधिकृत बताया था। नगर निगम ने 15 दिन का समय दिया था और अतिक्रमण हटाने की बात कही थी। दरगाह की दीवार पर भी नोटिस लगाया गया था। ऐसा नहीं करने पर बुलडोजर कार्रवाई की बात कही गई थी जब पुलिस और नगर निगम की टीम 15 अप्रैल की रात को अवैध निर्माण हटाने पहुंची तो बवाल शुरू हो गया।
सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम के बीच भीड़ का हमला
पुलिस टीम अवैध निर्माण हटाने के लिए पहुंची थी। प्रशासन ने नासिक की काठे गली में अवैध दरगाह को हटाने का अभियान आधी रात को शुरू किया था। कानून व्यवस्था को नियंत्रित करने के लिए मौके पर 500 पुलिस जवान तैनात किए गए थे। 100 मीटर दूर बैरिकेड लगाए गए थे और किसी के भी आने पर पूरी तरह से पाबंदी थी। लेकिन वहां अचानक भीड़ पहुंच गई। इसके बाद हंगामा शुरू हुआ।
31 पुलिस अधिकारी हुए चोटिल
भीड़ ने अवैध निर्माण को ढहाने का विरोध करना शुरू कर दिया। दरगाह के ट्रस्टी और प्रमुख नागरिक ने भी भीड़ को समझाने की कोशिश की, लेकिन उपद्रवियों ने पथराव शुरू कर दिया। हिंसक भीड़ के हमले में 2 एसीपी समेत 31 पुलिस और स्टाफ अधिकारी घायल हुए हैं। पुलिस के मुताबिक, भीड़ को नियंत्रित करने के लिए सोमवाय बल का इस्तेमाल किया गया। पुलिस ने 15 उपद्रवियों को हिरासत में लिया है। 57 संदिग्धों की मोटरसाइकिलें जब्त की गई हैं।
भारी विरोध के बावजूद ढहाई दरगाह
भारी विरोध और हिंसा के बावजूद निगम ने बुधवार सुबह अवैध दरगाह को ध्वस्त कर दिया। बताया जा रहा है कि फिलहाल स्थिति नियंत्रण में है। हालांकि, मौके पर भारी पुलिस बल तैनात किया गया है। गौरतलब है कि हजरत सतपीर सैयद दरगाह के खिलाफ हिंदू संगठनों ने फरवरी के महीने में मोर्चा खोला था। हिंदू संगठनों का कहना था कि दरगाह को तोड़कर बजरंगबली का मंदिर बनाया जाना चाहिए।