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वक्फ संशोधन कानून पर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को अहम सुनवाई होगी। प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ नये वक्फ कानून की संवैधानिक वैधता के खिलाफ दायर याचिकाओं पर संभवत: बुधवार को दोपहर दो बजे सुनवाई करेगी। सुप्रीम कोर्ट में 20 से ज्यादा याचिकाएं दाखिल हुई हैं जिनमें वक्फ संशोधन कानून-2025 की वैधानिकता को चुनौती दी गई है। भाजपा शासित मध्यप्रदेश और असम सहित छह राज्यों ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता का समर्थन करते हुए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। इसके साथ ही ज्यादातर याचिकाएं कानून के विरोध में हैं।
वैधानिकता को चुनौती
सुप्रीम कोर्ट में 20 से ज्यादा याचिकाएं दाखिल हुई हैं जिनमें वक्फ संशोधन कानून-2025 की वैधानिकता को चुनौती दी गई है। ज्यादातर याचिकाएं कानून के विरोध में हैं, हालांकि कुछ याचिकाओं में कानून का समर्थन भी किया गया है। दो याचिकाएं ऐसी भी हैं जिनमें वक्फ के मूल कानून वक्फ एक्ट 1995 को ही चुनौती देते हुए रद करने की मांग की गई है। बुधवार को होने वाली सुनवाई महत्वपूर्ण मानी जा रही है, क्योंकि कुछ याचिकाओं में वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 पर अंतरिम रोक लगाने की भी मांग की गई है, लेकिन केंद्र सरकार ने भी सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल की है। ताकि सुप्रीम कोर्ट एकतरफा सुनवाई करके कोई अंतरिम आदेश पारित नहीं करे। कोर्ट कोई भी आदेश पारित करने से पहले उसका पक्ष भी सुने।
किस-किस की याचिकाएं
सुप्रीम कोर्ट में वक्फ कानून की वैधानिकता को चुनौती देने वालों में ऑल इंडिया मजलिसे एत्याहादुल मुस्लमीन (एआइएमएएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी , कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद, कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी, जीमयत उलमा ए हिन्द के प्रेसिडेंट अरशद मदनी, आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड,
एसोसिएशन फार प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स हैं। इसके अलावा राजद सांसद मनोज झा, द्रमुक सांसद ए.राजा, समस्त केरल जमीयतुल उलमा, सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी आफ इंडिया, इंडियन मुस्लिम लीग, अंजुम कादरी, तैयब खान, एपीसीआर (नागरिक अधिकार संरक्षण संघ), तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा, आम आदमी पार्टी के नेता अमानतुल्ला खान और वाइसआर कांग्रेस पार्टी ने याचिका दाखिल कर वक्फ संशोधन कानून 2025 का विरोध करते हुए इसे रद करने की मांग की है। bjp waqf board | bill on waqf board power | waqf | supreme court | Supreme Court India
इन राज्यों ने वक्फ कानून का किया समर्थन
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) शासित मध्यप्रदेश और असम सहित छह राज्यों ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता का समर्थन करते हुए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। इन याचिकाओं में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) नेता असदुद्दीन ओवैसी की याचिका भी शामिल है।
पीठ में न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन भी शामिल हैं। भाजपा शासित छह राज्यों - हरियाणा, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और असम - ने अलग-अलग याचिकाएं दायर की हैं जिनमें वक्फ (संशोधन) अधिनियम को रद्द किए जाने या इसमें परिवर्तन किए जाने की स्थिति में संभावित प्रशासनिक और कानूनी परिणामों को रेखांकित किया गया है। उत्तराखंड वक्फ बोर्ड, वक्फ (संशोधन) अधिनियम का समर्थन कर रहा है। उसने भी उच्चतम न्यायालय में एक अर्जी दायर कर कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली ओवैसी की रिट याचिका में हस्तक्षेप करने की अनुमति दिए जाने का अनुरोध किया है।
वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 को खत्म करने की माग
वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 को चुनौती देने वाली याचिकाओं में नए संशोधित कानून के प्रविधानों को रद करने की मांग की गई है। इन याचिकाओं में कहा गया है कि वक्फ संशोधन कानून 2025 संविधान में मिले बराबरी के अधिकार और धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन करता है। याचिकाओं में केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्डों में गैर मुस्लिमों को शामिल करने के प्रविधान का भी विरोध किया गया है।
सुप्रीम कोर्ट के वकील हरिशंकर जैन ने कही ये बात
सुप्रीम कोर्ट के वकील हरिशंकर जैन और उत्तर प्रदेश की रहने वाली पारुल खेड़ा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर वक्फ कानून 1995 को हिंदुओं और गैर मुस्लिमों के साथ भेदभाव वाला बताते हुए रद करने की मांग की है। इन दोनों याचिकाओं में यह भी मांग की गई है कि कोर्ट घोषित करे कि वक्फ कानून के तहत जारी होने वाले आदेश, निर्देश या अधिसूचनाएं हिंदुओं और गैर मुस्लिमों की संपत्ति पर लागू नहीं होंगी।