नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।
वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 पर संयुक्त संसदीय समिति के अध्यक्ष एवं भाजपा सांसद जगदंबिका पाल गुरुवार को सुबह लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से मिलने पार्लियामेंट पहुंचे और अपनी समिति की रिपोर्ट उन्हें सौंपी। संभावना है कि संसद के बजट सत्र में यह रिपोर्ट संसद पटल पर रखी जाएगी और लोकसभा में चर्चा के बाद बिल को मंजूरी मिल जाएगी।इससे पहले जेपीसी अध्यक्ष ने कहा था कि मसौदा रिपोर्ट और संशोधिक विधेयक को बहुमत से स्वीकृति मिल गई थी। समिति ने कुल 44 प्राविधानों में संशोधन प्रस्ताव रखा था।
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क्या बोले जगदंबिका पाल..
जेपीसी अध्यक्ष गुरुवार को संसद में स्थित लोकसभा स्पीकर ओम बिरला के कार्यालय पहुंचे। वक्फ (संशोधन) विधेयक पर विचार कर रही संसद की संयुक्त समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने कहा कि समिति ने मसौदा रिपोर्ट और संशोधित विधेयक को बहुमत से स्वीकार कर लिया। सांसदों को अपनी असहमति दर्ज कराने के लिए बुधवार शाम तक का समय दिया गया था। इस पर विपक्षी सांसदों ने इस कदम को अलोकतांत्रिक बताया और दावा किया कि उन्हें अंतिम रिपोर्ट का अध्ययन करने और अपने असहमति नोट तैयार करने के लिए बहुत कम समय दिया गया। रात को ही बिल के मसौदे को अंतिम रूप देकर रिपोर्ट तैयार की गई। जिसे लोकसभा स्पीकार को सौंपा गया गया है।
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विपक्षी दलों के संशोधनों का कर दिया था खारिज
इससे पहले शिवसेना (यूबीटी) सांसद अरविंद सावंत ने कहा कि सभी विपक्षी सदस्य अपनी असहमति देंगे। पाल प्रस्तावित कानून का संशोधित संस्करण गुरुवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को सौंप सकते हैं। समिति ने विगत सोमवार को हुई एक बैठक में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्यों द्वारा प्रस्तावित सभी संशोधनों को स्वीकार कर लिया था और विपक्षी सदस्यों के संशोधनों को खारिज कर दिया था। समिति में शामिल विपक्षी सदस्यों ने वक्फ (संशोधन) विधेयक के सभी 44 प्रावधानों में संशोधन का प्रस्ताव रखा था और उन्होंने दावा किया था कि समिति की ओर से प्रस्तावित कानून विधेयक के 'दमनकारी' चरित्र को बरकरार रखेगा और मुस्लिमों के धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप करने का प्रयास करेगा। समिति ने गत सोमवार को हुई एक बैठक में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्यों द्वारा प्रस्तावित सभी संशोधनों को स्वीकार कर लिया था और विपक्षी सदस्यों के संशोधनों को खारिज कर दिया था। समिति में शामिल विपक्षी सदस्यों ने वक्फ (संशोधन) विधेयक के सभी 44 प्रावधानों में संशोधन का प्रस्ताव रखा था और उन्होंने दावा किया था कि समिति की ओर से प्रस्तावित कानून विधेयक के 'दमनकारी' चरित्र को बरकरार रखेगा और मुस्लिमों के धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप करने का प्रयास करेगा।