मुंबई, वाईबीएन नेटवर्क ।
Bollywood | bollywood news | bollywood updates | actor | cinema : भारतीय सिनेमा के 'भारत कुमार' उर्फ मनोज कुमार सिर्फ पर्दे पर ही नहीं, बल्कि असल जिंदगी में भी देशभक्ति और साहस के प्रतीक थे। 1975 में इमरजेंसी के दौरान उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और सरकार के खिलाफ कोर्ट में लड़ाई लड़ी और ऐतिहासिक जीत हासिल की। यह कहानी है उस बेबाक एक्टर की, जिसने सत्ता के सामने झुकने से इनकार कर दिया।
क्या हुआ था इमरजेंसी में ?
- इंदिरा सरकार ने विरोधी आवाजों को दबाने के लिए फिल्मों पर प्रतिबंध लगा दिए।
- मनोज कुमार की 'दस नंबरी' और 'शोर' फिल्मों को बैन कर दिया गया।
- 'शोर' को दूरदर्शन पर दिखा दिया गया, जिससे सिनेमाघरों में दर्शक नहीं पहुंचे।
मनोज कुमार ने कैसे लिया सरकार को चुनौती ?
- कोर्ट पहुंचे: मनोज ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के खिलाफ केस दायर किया।
- जीता मामला: कोर्ट ने उनके पक्ष में फैसला सुनाया, जिससे फिल्मों पर प्रतिबंध हटा।
- सरकार का ऑफर ठुकराया: इंदिरा सरकार ने इमरजेंसी पर डॉक्यूमेंट्री बनाने का प्रस्ताव दिया, लेकिन मनोज ने साफ मना कर दिया।
"अमृता प्रीतम को भी सुनाई खरी-खोटी"
सरकार ने अमृता प्रीतम को इमरजेंसी पर फिल्म लिखने का काम दिया था।
मनोज ने उन्हें खुलकर फटकार लगाई और कहा: "मैं सत्ता की गुलामी में फिल्म नहीं बनाऊंगा!"
क्यों याद किया जाता है यह किस्सा ?
✔ मनोज कुमार इकलौते फिल्ममेकर थे, जिन्होंने सरकार को कोर्ट में हराया।
✔ उन्होंने अपने सिद्धांतों से कभी समझौता नहीं किया।
✔ यह घटना भारतीय सिनेमा के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज है।
आज भी प्रासंगिक है ये सबक
सत्ता के आगे न झुकना: मनोज ने साबित किया कि सच्चा कलाकार सिस्टम के खिलाफ खड़ा हो सकता है।
अभिव्यक्ति की आजादी: उनकी लड़ाई कलाकारों के अधिकारों के लिए मिसाल बन गई।