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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।बांग्लादेश की सड़कों पर बेचैनी है, सचिवालय सूना है, शिक्षक हड़ताल पर हैं। विरोध की आग से जल रहा है ढाका, वेतन के लिए तरस रहे हैं कर्मचारी। मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार पर सवालों की बौछार। चुनाव जून 2026 तक टल सकता है, जनता में बेचैनी चरम पर। क्या बांग्लादेश 1971 जैसी त्रासदी की ओर लौट रहा है?
बांग्लादेश इस समय गंभीर राजनीतिक और आर्थिक संकट से गुजर रहा है। सरकारी कर्मचारियों और शिक्षकों की हड़ताल से प्रशासन ठप हो गया है। मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार चुनाव को दिसंबर 2025 से बढ़ाकर जून 2026 करने की घोषणा कर चुकी है। इस फैसले के बाद विरोध और तेज़ हो गया है। प्रमुख व्यापारी नेताओं ने देश में 1971 जैसी हालात की चेतावनी दी है।
ढाका की सड़कों पर तनाव, दफ्तरों में सन्नाटा
बांग्लादेश की राजधानी ढाका में सन्नाटा पसरा हुआ है। सचिवालय में कामकाज ठप है क्योंकि राजस्व अधिकारी और अन्य कर्मचारी प्रदर्शन कर रहे हैं। उनकी मांगें साफ हैं जब तक वेतन और भत्तों का भुगतान नहीं होता, वे काम पर नहीं लौटेंगे।
प्राथमिक स्कूलों के शिक्षक भी अनिश्चितकालीन कामबंदी की घोषणा कर चुके हैं। ढाका से लेकर ग्रामीण इलाकों तक शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है।
मोहम्मद यूनुस का बयान और चुनाव टालने की घोषणा
नोबेल पुरस्कार विजेता और बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस ने कहा है कि “देश युद्ध जैसी स्थिति से गुजर रहा है।” पहले उन्होंने चुनाव दिसंबर 2025 तक कराने की बात कही थी, लेकिन अब उन्होंने इसे जून 2026 तक टाल दिया है।
इस फैसले ने विपक्षी दलों और आम जनता में नाराजगी और बढ़ा दी है। लोग सवाल कर रहे हैं —
- “क्या यह लोकतंत्र को कुचलने की कोशिश है?”
व्यापार और अर्थव्यवस्था पर असर: ‘ईद से पहले बोनस देना मुश्किल’
बांग्लादेश टेक्सटाइल्स मिल्स एसोसिएशन (BTMA) के अध्यक्ष शौकत अजीज रसेल ने चेतावनी दी है कि देश तेजी से आर्थिक संकट की ओर बढ़ रहा है।
उनके अनुसार,
- “हम नहीं जानते कि ईद-उल-अजहा से पहले श्रमिकों को वेतन और बोनस कैसे देंगे।”
- उन्होंने 1971 के मुक्ति संग्राम का जिक्र करते हुए कहा कि
- “व्यापारियों को उसी तरह टारगेट किया जा रहा है जैसे तब बुद्धिजीवियों को मारा गया था।”
वेतन संकट और बेरोजगारी ने खड़ा किया नया संकट
- बांग्लादेश में वेतन भुगतान की असमर्थता ने हजारों कर्मचारियों और फैक्ट्री श्रमिकों को बेरोजगारी के मुहाने पर खड़ा कर दिया है।
- सरकार के पास वेतन देने के लिए पर्याप्त राजस्व नहीं है, और अंतरराष्ट्रीय सहयोग भी ठंडा पड़ा हुआ है।
जनता में डर और गुस्सा: क्या होगा लोकतंत्र का?
- ढाका समेत पूरे बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता और आर्थिक तंगी ने आम नागरिकों में असुरक्षा पैदा कर दी है।
लोगों को डर है कि - “कहीं देश एक बार फिर तानाशाही की ओर तो नहीं बढ़ रहा?”
- विरोध-प्रदर्शन अब आम जनता तक पहुंच चुके हैं। यूनुस सरकार के खिलाफ सोशल मीडिया पर गुस्सा फूट रहा है।
अब आगे क्या करेगा बांग्लादेश?
- बांग्लादेश का भविष्य अधर में लटका है।
- क्या चुनाव जून 2026 में होंगे?
- क्या सरकार वेतन और बोनस दे पाएगी?
- क्या देश फिर से 1971 जैसी त्रासदी की ओर बढ़ रहा है?
इन सवालों के जवाब अभी अंधेरे में हैं, लेकिन एक बात साफ है - बांग्लादेश एक भयंकर राजनीतिक और आर्थिक विस्फोट के मुहाने पर खड़ा है।
आपका क्या मानना है? क्या बांग्लादेश फिर संकट में है? क्या आप इससे सहमत हैं? कमेंट करें और अपनी राय ज़रूर बताएं।
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