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Kunal Kamra Controversy: 'टुकड़े-टुकड़े कर देंगे...मुंबई जाना सुरक्षित नहीं', कुणाल कामरा के वकील का बड़ा दावा

स्टैंडअप कॉमेडियन कुणाल कामरा के वकील वी. सुरेश ने शनिवार को दावा किया कि इस वक्त उनका मुंबई जाना सुरक्षित नहीं होगा। महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का नाम लिए बिना उन्हें "गद्दार" कहने के बाद कामरा एक नए विवाद में फंस गए हैं

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Pratiksha Parashar
कॉमेडियन कुणाल कामरा, डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे

Photograph: (Google)

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चेन्नई, आईएएनएस। 

स्टैंडअप कॉमेडियन कुणाल कामरा (kunal kamra ) के वकील वी. सुरेश ने शनिवार को दावा किया कि इस वक्त उनका मुंबई जाना सुरक्षित नहीं होगा। महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का नाम लिए बिना उन्हें "गद्दार" कहने के बाद कामरा एक नए विवाद ( Eknath Shinde Kunal Kamra Controversy) में फंस गए हैं। मद्रास हाई कोर्ट में शुक्रवार को दायर याचिका में कामरा ने कहा कि वह 2021 में मुंबई से तमिलनाडु शिफ्ट हो गए और तब से वहीं रह रहे हैं। उन्होंने मुंबई पुलिस की गिरफ्तारी का डर भी जताया। इसे लेकर कुणाल कामरा  वकील वी. सुरेश ने आईएएनएस से खास बातचीत की। 

सवाल: महाराष्ट्र की राजनीति में विवाद का कारण बने कुणाल कामरा के मामले की वास्तविक स्थिति क्या है?

वी. सुरेश: कुणाल कामरा ने फरवरी में "नया भारत" नामक एक कार्यक्रम के लिए एक वीडियो रिकॉर्ड किया था, जो 23 मार्च (रविवार) को अपलोड किया गया। वीडियो अपलोड होते ही महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया आई। "नया भारत" एपिसोड में कामरा ने कई सार्वजनिक हस्तियों, जिनमें राजनीतिक नेता भी शामिल हैं, पर व्यंग्य किया, लेकिन यह स्पष्ट करना जरूरी है कि उन्होंने महाराष्ट्र के किसी भी व्यक्ति का नाम नहीं लिया था। उनका व्यंग्य एक बॉलीवुड गाने के माध्यम से प्रस्तुत किया गया था। उन्होंने देश की राजनीति की स्थिति की आलोचना की। इसके बावजूद, वीडियो अपलोड होते ही उनके खिलाफ शिकायत दर्ज कर दी गई।

अगले ही दिन, शिवसेना (शिंदे गुट) से जुड़े लोगों ने मुंबई के एक होटल में तोड़फोड़ की और वहां के स्थानीय लोगों पर हमला किया। इतनी गंभीर घटना के बावजूद, पुलिस ने कुछ लोगों को गिरफ्तार किया, लेकिन इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया। पुलिस ने कुणाल कामरा के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली। इससे शिवसेना (शिंदे गुट) के कार्यकर्ताओं की ओर से और भी उग्र प्रतिक्रियाएं सामने आईं। कुछ विधायकों ने खुलेआम धमकी दी कि वे "कुणाल कामरा का मुंह काला कर देंगे" और "उन्हें टुकड़े-टुकड़े कर देंगे"। ये धमकियां कामरा की सुरक्षा के लिए गंभीर चिंता का विषय हैं। ऐसे में मुंबई जाना उनके लिए सुरक्षित नहीं है।

सवाल: इसके बाद क्या हुआ?

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वी. सुरेश: 24 मार्च को मुंबई के खार पुलिस स्टेशन ने समन जारी किया, जो कुणाल कामरा के मुंबई स्थित माता-पिता के घर भेजा गया। इसमें उन्हें जांच के लिए पेश होने को कहा गया। जवाब में कामरा ने पत्र भेजकर बताया कि वह मुंबई में नहीं हैं और 2 अप्रैल को हाजिर होने की पेशकश की, लेकिन मुंबई पुलिस ने इस अनुरोध को खारिज कर दिया। कामरा ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह भारतीय संविधान में विश्वास रखते हैं और कानूनी प्रक्रिया में सहयोग करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जांच में शामिल होने की भी पेशकश की, लेकिन पुलिस ने इस विकल्प को भी अस्वीकार कर दिया।

इसके बाद 24 से 27 मार्च के बीच स्थिति और भी गंभीर हो गई, जिससे चेन्नई की यात्रा भी उनके लिए असुरक्षित हो गई। एक वकील के तौर पर, हमने अंतरराज्यीय अग्रिम जमानत याचिका दायर की और उनके खिलाफ मिल रही धमकियों से जुड़े सारे प्रमाण अदालत के सामने प्रस्तुत किए। मद्रास हाई कोर्ट ने मामले की गंभीरता को समझते हुए मुंबई पुलिस को पेश होने का निर्देश दिया। अब मामले की अगली सुनवाई 7 अप्रैल को होगी। अदालत ने अंतरिम अग्रिम जमानत दी और महाराष्ट्र तथा तमिलनाडु पुलिस को 7 अप्रैल तक कामरा के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई न करने का निर्देश दिया। यह आदेश हमने स्पीड पोस्ट और ईमेल के माध्यम से खार पुलिस को भेज दिया है। 28 मार्च की रात तक खार पुलिस को आधिकारिक रूप से सूचित कर दिया गया था और हमें उम्मीद है कि वे मद्रास हाई कोर्ट में अगली सुनवाई के दौरान पेश होंगे।

सवाल: क्या कुणाल कामरा को महाराष्ट्र में वाकई खतरा है?

वी. सुरेश: हां, कुणाल कामरा को महाराष्ट्र में सच में खतरा है। इसी वजह से हमने याचिका दायर की थी। यह याचिका भावनात्मक प्रतिक्रिया नहीं बल्कि कानूनी रूप से ठोस आधार पर दी गई थी। अदालत ने सभी साक्ष्यों की समीक्षा की और उनकी चिंताओं को सही पाया, जिसके बाद अंतरिम राहत दी गई। लोकतांत्रिक देश में पुलिस को संविधान के प्रति निष्ठावान रहना चाहिए। यह गंभीर चिंता का विषय है कि सत्तारूढ़ दल के विधायक और मंत्री खुलेआम धमकी दे रहे हैं, जबकि पुलिस कोई कार्रवाई नहीं कर रही।

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भारत का सर्वोच्च न्यायालय पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत प्रत्येक नागरिक को सरकार की आलोचना करने का अधिकार है। चाहे वह कॉमेडी, पैरोडी, व्यंग्य या कार्टून के माध्यम से हो। ये सभी अभिव्यक्तियां संविधान में संरक्षित हैं। सार्वजनिक हस्तियों को आलोचना सहन करने की क्षमता रखनी चाहिए। उनकी संवेदनशीलता पार्टी कार्यकर्ताओं के हिसाब से तय नहीं होनी चाहिए। अगर किसी को आपत्ति है, तो वे शिकायत दर्ज कर सकते हैं, लेकिन किसी नेता द्वारा सार्वजनिक रूप से धमकी देना या भीड़ द्वारा हिंसा और तोड़फोड़ करना पूरी तरह अनुचित है।

सवाल: क्या कुणाल कामरा द्रमुक सरकार पर भी ऐसे ही व्यंग्य कर सकते हैं जैसे उन्होंने महाराष्ट्र में किया?

वी. सुरेश: यह एक राजनीतिक तर्क है जिसे कुछ लोग जानबूझकर उठाते हैं। कानून पूरी तरह स्पष्ट है - कुणाल कामरा अपने संवैधानिक अधिकारों के दायरे में हैं। वह भारतीय कानूनी प्रणाली के तहत न्याय की मांग कर रहे हैं। 24 मार्च को ही उन्होंने मुंबई पुलिस को पत्र लिखकर कानून के प्रति अपनी निष्ठा व्यक्त की थी और सहयोग की पेशकश की थी। उन्होंने कभी भी पुलिस के सामने पेश होने से इनकार नहीं किया, बल्कि एक वैकल्पिक तारीख का अनुरोध किया था।

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