नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क ।
Karnataka News: कर्नाटक विधानसभा का शुक्रवार का सत्र अभूतपूर्व हंगामे और नाटकीय दृश्यों से भरा रहा। सदन हनी ट्रैप मामले और मुसलमानों के लिए चार प्रतिशत आरक्षण के मुद्दे पर गरमागरम बहस और तीव्र विरोध का गवाह बना। इस अशांति के परिणामस्वरूप, विधानसभा अध्यक्ष ने अनुशासनहीनता के गंभीर आरोपों में 18 BJP विधायकों को छह महीने के लिए निलंबित कर दिया। निलंबन के बाद, मार्शलों ने विधायकों को बलपूर्वक सदन से बाहर निकाला, जिससे पहले से ही तनावपूर्ण माहौल और बढ़ गया।
ये है हंगामे का कारण
कर्नाटक विधानसभा में हंगामे का मुख्य कारण दो विवादास्पद मुद्दे थे...
हनी ट्रैप मामला: भाजपा विधायकों ने सरकार पर हनी ट्रैप मामले में उचित कार्रवाई न करने का आरोप लगाया, जिससे राजनीतिक और सामाजिक अशांति पैदा हुई। उन्होंने मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की।
मुसलमानों के लिए चार प्रतिशत आरक्षण: भाजपा ने राज्य सरकार द्वारा मुसलमानों के लिए चार प्रतिशत आरक्षण की घोषणा का कड़ा विरोध किया। उन्होंने इसे सांप्रदायिक राजनीति का हिस्सा बताया और सरकार पर तुष्टीकरण का आरोप लगाया।
ऐसे हुई हंगामे की शुरुआत
विधानसभा सत्र की शुरुआत शांतिपूर्ण ढंग से हुई, लेकिन जैसे ही हनी ट्रैप और आरक्षण के मुद्दे उठे, भाजपा विधायकों ने हंगामा करना शुरू कर दिया। उन्होंने सरकार के खिलाफ नारेबाजी की और सदन के वेल में धरना दिया। उन्होंने सरकार पर इन मुद्दों पर पारदर्शिता और जवाबदेही की कमी का आरोप लगाया।
ऐसे हुआ विधायकों का निलंबन और निष्कासन
विधानसभा अध्यक्ष ने विधायकों से शांत रहने और सदन की कार्यवाही में सहयोग करने का आग्रह किया। हालांकि, उनके बार-बार अनुरोधों के बावजूद, भाजपा विधायक अपना विरोध जारी रखते हुए दृढ़ रहे। इसके बाद, अध्यक्ष ने अनुशासनहीनता के आरोप में 18 भाजपा विधायकों को छह महीने के लिए निलंबित करने का कठोर निर्णय लिया। निलंबन के बाद, मार्शलों को विधायकों को बलपूर्वक सदन से बाहर निकालने का आदेश दिया गया। विधायकों ने मार्शलों के प्रयासों का विरोध किया, लेकिन उन्हें कंधे पर उठाकर सदन से बाहर कर दिया गया।
नेताओं दी प्रतिक्रिया
इस घटना ने कर्नाटक की राजनीति में तीव्र प्रतिक्रियाओं को जन्म दिया है। सत्ताधारी दल ने विधानसभा अध्यक्ष के निर्णय का समर्थन किया और भाजपा विधायकों के आचरण की निंदा की। उन्होंने भाजपा पर सदन की कार्यवाही को बाधित करने और राजनीतिक लाभ के लिए संवेदनशील मुद्दों का उपयोग करने का आरोप लगाया।
विपक्षी दलों ने इस घटना पर अलग-अलग प्रतिक्रियाएं दीं। कुछ ने विधानसभा अध्यक्ष के निर्णय को उचित ठहराया, जबकि अन्य ने इसे लोकतांत्रिक मूल्यों का उल्लंघन बताया। उन्होंने सरकार और विपक्ष दोनों से सौहार्दपूर्ण संवाद स्थापित करने और सदन की कार्यवाही को सुचारू रूप से चलाने का आग्रह किया।
इस घटना ने राष्ट्रीय और स्थानीय मीडिया में व्यापक ध्यान आकर्षित किया। समाचार चैनलों और अखबारों ने विधानसभा में हंगामे और विधायकों के निष्कासन को प्रमुखता से कवर किया। राजनीतिक विश्लेषकों ने इस घटना के राजनीतिक परिणामों और कर्नाटक की राजनीति पर इसके संभावित प्रभाव पर चर्चा की।
कर्नाटक विधानसभा में हुआ हंगामा राज्य की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ है। इसने सत्ताधारी दल और विपक्ष के बीच बढ़ते तनाव को उजागर किया है। यह घटना आगामी दिनों में कर्नाटक की राजनीति को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
कर्नाटक विधानसभा में हुए हंगामे के बाद, सभी राजनीतिक दलों के लिए सौहार्दपूर्ण संवाद स्थापित करना और सदन की कार्यवाही को सुचारू रूप से चलाना आवश्यक है। उन्हें राजनीतिक लाभ के लिए संवेदनशील मुद्दों का उपयोग करने से बचना चाहिए और लोकतांत्रिक मूल्यों का सम्मान करना चाहिए।