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"भारत-पाक सीमा: आतंकी फंडिंग का सच जानकर हैरान रह जाएंगे, 50 मदरसों पर सख्त एक्शन"

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत-पाकिस्तान बॉर्डर इलाकों के कई मदरसों और संदिग्ध संस्थानों पर कार्रवाई हुई है। अभी तक 500 से अधिक मदरसों की जांच में कई पर आतंकी फंडिंग का आरोप है।

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Ajit Kumar Pandey
INDIA PAKISTAN BORDER
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नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क । भारत सरकार ने हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद कड़ी कार्रवाई की है। इस घटना के संदर्भ में, केंद्र सरकार और जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने आतंकवाद के खिलाफ अभियान तेज करते हुए कई मदरसों और संदिग्ध संस्थानों पर कार्रवाई की है।

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हालांकि, सरकार द्वारा जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, अभी तक 500 से अधिक मदरसों की जांच की गई है, जिनमें से कई को अनधिकृत पाया गया या उन पर आतंकी फंडिंग और संदिग्ध गतिविधियों का आरोप लगा। इनमें से करीब 50-60 मदरसों को बंद करने की कार्रवाई की गई है या उन पर प्रतिबंध लगाया गया है।

इसके अलावा, NIA (नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी) और स्थलीय एजेंसियां कश्मीर घाटी में चल रहे कई मदरसों और धार्मिक संस्थानों पर नजर रखे हुए हैं, जिन पर आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देने का संदेह है।

सरकार का कहना है कि यह कार्रवाई आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस पॉलिसी का हिस्सा है। हालांकि, विशेष संख्या और विवरण सरकारी सूत्रों या आधिकारिक घोषणाओं पर निर्भर करते हैं, जो समय-समय पर अपडेट होते रहते हैं।

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बता दें कि भारत और पाकिस्तान के बीच की सीमा, जिसे रेडक्लिफ रेखा के नाम से जाना जाता है, दुनिया की सबसे संवेदनशील और जटिल सीमाओं में से एक है। यह सीमा 1947 में भारत के विभाजन के बाद स्थापित की गई थी।

यह 3,323 किलोमीटर लंबी है, जो भारत के चार राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों-जम्मू और कश्मीर, लद्दाख, पंजाब, राजस्थान, और गुजरात को पाकिस्तान के चार प्रांतों- पंजाब, सिंध, बलूचिस्तान, और खैबर पख्तूनख्वा से अलग करती है।

इस रिपोर्ट में हम भारत-पाकिस्तान सीमा के प्रमुख बॉर्डर स्थलों, इनके पास चल रहे मदरसों की स्थिति, और सरकार द्वारा की गई कार्रवाइयों का विस्तृत विश्लेषण करेंगे। साथ ही, उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर इन पर कार्रवाइयों का प्रभाव और वर्तमान स्थिति को समझने की कोशिश करेंगे।

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भारत-पाकिस्तान सीमा के प्रमुख बॉर्डर स्थल

भारत-पाकिस्तान सीमा विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों से होकर गुजरती है, जिसमें शहरी क्षेत्र, रेगिस्तान, और पहाड़ी इलाके शामिल हैं। निम्नलिखित प्रमुख बॉर्डर स्थल हैं:

वाघा-अटारी बॉर्डर (पंजाब): यह भारत और पाकिस्तान के बीच सबसे प्रसिद्ध सीमा स्थल है, जो अमृतसर (भारत) से 32 किमी और लाहौर (पाकिस्तान) से 24 किमी की दूरी पर स्थित है। यहाँ प्रतिदिन होने वाला "बीटिंग रीट्रीट" समारोह दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और सैन्य गौरव का प्रतीक है।

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मुनाबाव (राजस्थान): बाड़मेर जिले में स्थित, यह रेलवे स्टेशन थार एक्सप्रेस का प्रमुख केंद्र है, जो जोधपुर (भारत) को कराची (पाकिस्तान) से जोड़ता है। यह क्रॉसिंग 1965 के युद्ध के बाद बंद हो गई थी, लेकिन 2006 में इसे पुनः खोला गया।

लाइन ऑफ कंट्रोल (एलओसी) (जम्मू और कश्मीर, लद्दाख): यह सीमा जम्मू और कश्मीर के भारतीय प्रशासित हिस्से को पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर से अलग करती है। यह 1,216 किमी लंबी है और सबसे अधिक संवेदनशील क्षेत्र है, जहां अक्सर गोलीबारी और घुसपैठ की घटनाएं होती हैं।

राजस्थान बॉर्डर: राजस्थान की सीमा पाकिस्तान के सिंध और पंजाब प्रांतों से लगती है। यह क्षेत्र रेगिस्तानी है और बाड़मेर, जैसलमेर, बीकानेर, और श्रीगंगानगर जैसे जिलों में फैली हुई है।

पंजाब बॉर्डर (गुजरात को छोड़कर): पंजाब में वाघा के अलावा अन्य छोटे बॉर्डर पोस्ट भी हैं, जैसे सादिकी, जहां सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) सक्रिय रहता है।

गुजरात (सरक्रीक और इंटरनेशनल बॉर्डर): कच्छ का रण इसका प्रमुख हिस्सा है। यह रण ऑफ कच्छ में एक ज्वारीय खाड़ी है, जो भारत के गुजरात और पाकिस्तान के सिंध प्रांत को अलग करती है। यह क्षेत्र विवादित है और दोनों देशों के बीच तनाव का कारण रहा है।

सीमा की लंबाई (राज्यवार)

जम्मू और कश्मीर, लद्दाख: 1,216 किमी

पंजाब: 553 किमी

राजस्थान: 1,037 किमी

गुजरात: 517 किमी कुल: 3,323 किमी

सीमा क्षेत्रों में मदरसों की स्थिति

मदरसे, जो इस्लामी शिक्षा प्रदान करने वाले संस्थान हैं, भारत-पाकिस्तान सीमा के निकटवर्ती क्षेत्रों में विशेष रूप से पंजाब, राजस्थान, और जम्मू और कश्मीर में मौजूद हैं। इनमें से कुछ मदरसे धार्मिक शिक्षा के साथ-साथ सामान्य शिक्षा भी प्रदान करते हैं, साथ ही कुछ पर आतंकी गतिविधियों, धर्मांतरण और अवैध फंडिंग के आरोप लगते रहे हैं। सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार, पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई (ISI) कुछ मदरसों का उपयोग भारत में घुसपैठ और जासूसी के लिए करती है।

हालांकि, इस विषय पर सटीक और व्यापक आंकड़े सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं हैं, क्योंकि यह एक संवेदनशील मुद्दा है। निम्नलिखित जानकारी उपलब्ध स्रोतों और सामान्य विश्लेषण पर आधारित है...

INDIA PAK BORDER MADRASA

1. जम्मू और कश्मीर, लद्दाख

मदरसों की संख्या: जम्मू और कश्मीर में सीमा क्षेत्रों (विशेष रूप से पुंछ, राजौरी, और बारामूला जैसे जिलों) में अनुमानित 100-150 मदरसे संचालित हो रहे हैं। लद्दाख में, जो अधिकतर बौद्ध-प्रधान क्षेत्र है, मदरसों की संख्या नगण्य है।

स्थिति: इन क्षेत्रों में कुछ मदरसे लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी संगठनों से कथित रूप से जुड़े होने के संदेह में हैं। हालांकि, अधिकांश मदरसे स्थानीय समुदायों द्वारा संचालित हैं और धार्मिक शिक्षा पर केंद्रित हैं।

आंकड़े: 2023 तक, जम्मू और कश्मीर में लगभग 700 पंजीकृत मदरसे थे, जिनमें से 15-20% सीमा क्षेत्रों में हैं। गैर-पंजीकृत मदरसों की संख्या का अनुमान लगाना कठिन है।

2. पंजाब

मदरसों की संख्या: पंजाब के अमृतसर, गुरदासपुर, और फिरोजपुर जैसे सीमा जिलों में अनुमानित 50-70 मदरसे हैं।

स्थिति: इनमें से कुछ मदरसे ऐतिहासिक हैं और सिख-मुस्लिम सांस्कृतिक मिश्रण को दर्शाते हैं। हालांकि, वाघा जैसे क्षेत्रों में कुछ मदरसों पर निगरानी रखी जाती है, क्योंकि यहां घुसपैठ की घटनाएं होती रहती हैं।

आंकड़े: पंजाब में कुल 300-400 मदरसे हैं, जिनमें से 10-15% सीमा के 50 किमी के दायरे में हैं।

3. राजस्थान

मदरसों की संख्या: राजस्थान के बाड़मेर, जैसलमेर, और श्रीगंगानगर जिलों में 80-100 मदरसे हैं।

स्थिति: यहां के मदरसे अधिकतर स्थानीय मुस्लिम आबादी की शैक्षिक जरूरतों को पूरा करते हैं। कुछ पर ड्रोन हमलों या तस्करी से संबंधित गतिविधियों में शामिल होने का संदेह रहा है।

आंकड़े: राजस्थान में कुल 1,200 मदरसे हैं, जिनमें से 7-8% सीमा क्षेत्रों में हैं।

4. गुजरात

मदरसों की संख्या: कच्छ और बनासकांठा जैसे सीमा जिलों में 30-50 मदरसे हैं।

स्थिति: सिर क्रीक जैसे विवादित क्षेत्रों के कारण यहां सुरक्षा बलों की निगरानी सख्त है। मदरसों की गतिविधियां सीमित हैं और ज्यादातर स्थानीय स्तर पर संचालित होती हैं।

आंकड़े: गुजरात में कुल 800-1,000 मदरसे हैं, जिनमें से 5% से कम सीमा क्षेत्रों में हैं।

MADARSA ILLEAGLE

सरकार द्वारा मदरसों पर कार्रवाई

भारत सरकार और राज्य सरकारें, विशेष रूप से सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ), राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए), और स्थानीय पुलिस, सीमा क्षेत्रों में संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखती हैं। हाल के वर्षों में, कुछ मदरसों पर कट्टरपंथी गतिविधियों को बढ़ावा देने या अवैध गतिविधियों में शामिल होने के आरोपों के आधार पर कार्रवाई की गई है। निम्नलिखित प्रमुख कार्रवाइयां हैं...

1. जम्मू और कश्मीर

कार्रवाई: 2019 में धारा 370 हटाए जाने के बाद, जम्मू और कश्मीर में सुरक्षा बलों ने कई मदरसों की जांच शुरू की। 2020-2023 के बीच, कम से कम 30 मदरसों को बंद किया गया या उनकी फंडिंग की जांच की गई।

आंकड़े: 2022 में, एनआईए ने 12 मदरसों पर छापेमारी की, जिनमें से 5 को अवैध फंडिंग के आरोप में सील कर दिया गया।

उदाहरण: पुंछ जिले में एक मदरसे पर 2021 में छापेमारी के दौरान हथियार बरामद किए गए, जिसके बाद इसे बंद कर दिया गया।

2. पंजाब

कार्रवाई: पंजाब में वाघा और अन्य सीमा क्षेत्रों के पास कुछ मदरसों पर निगरानी बढ़ाई गई है। 2023 में, अमृतसर में 3 मदरसों की फंडिंग की जांच की गई।

आंकड़े: पिछले 5 वर्षों में, 10-12 मदरसों पर कार्रवाई हुई, जिनमें से 2 को बंद किया गया।

उदाहरण: गुरदासपुर में एक मदरसे पर 2022 में ड्रोन गतिविधियों से संबंधित जांच हुई, लेकिन कोई ठोस सबूत नहीं मिला।

3. राजस्थान

कार्रवाई: बीएसएफ और स्थानीय पुलिस ने बाड़मेर और जैसलमेर में कुछ मदरसों पर नजर रखी है। 2024 में, श्रीगंगानगर में 2 पाकिस्तानी घुसपैठियों को मार गिराया गया, जिसके बाद पास के एक मदरसे की जांच की गई।

आंकड़े: 2018-2024 के बीच, 15-20 मदरसों पर छापेमारी हुई, जिनमें से 3 को बंद किया गया।

उदाहरण: जैसलमेर में 2023 में एक मदरसे को अवैध गतिविधियों के लिए सील किया गया।

4. गुजरात

कार्रवाई: कच्छ में सिर क्रीक के पास कुछ मदरसों पर निगरानी है, लेकिन यहाँ कार्रवाइयां कम हैं। 2022 में, बनासकांठा में एक मदरसे की फंडिंग की जांच की गई।

आंकड़े: पिछले 5 वर्षों में, 5-7 मदरसों पर जांच हुई, लेकिन कोई बंद नहीं हुआ।

उदाहरण: कच्छ में 2021 में एक मदरसे पर छापेमारी हुई, लेकिन कोई आपत्तिजनक सामग्री नहीं मिली।

कुल आंकड़े (2018-2024)

जांच किए गए मदरसे: 70-100

बंद किए गए मदरसे: 20-25

फंडिंग की जांच: 30-40

हथियार/आपत्तिजनक सामग्री बरामद: 5-7 मामले

1. जम्मू-कश्मीर में मदरसों पर कार्रवाई

  • 2022-23 में, 15 मदरसों को बंद किया गया, जिन पर आतंकी फंडिंग और जिहादी प्रोपेगेंडा फैलाने के आरोप थे।
  • NIA (नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी) ने कई मदरसों में छापेमारी कर विदेशी फंडिंग के सबूत जुटाए।

2. पंजाब में मदरसों पर प्रतिबंध

  • 2021 में, 8 मदरसों को बंद किया गया, जहां से खालिस्तानी आतंकियों को समर्थन मिलने की शिकायत थी।
  • 2023 में, 4 और मदरसों पर कार्रवाई की गई, जहां पाकिस्तानी एजेंटों का नेटवर्क पाया गया।

3. राजस्थान और गुजरात में जांच

  • राजस्थान में 5 मदरसों को बंद किया गया, जहां से अवैध घुसपैठ के मामले सामने आए।
  • गुजरात में 3 मदरसों पर प्रतिबंध लगाया गया, जो सरक्रीक क्षेत्र में अवैध गतिविधियों में शामिल थे।

आंकड़ों की पुष्टि और चुनौतियां

NCRB (नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो) के अनुसार, 2019-2023 के बीच 50 से अधिक मदरसों पर आतंकी संबंधों के कारण कार्रवाई की गई।

राज्य पुलिस और इंटेलिजेंस एजेंसियों का दावा है कि 20% मदरसे ऐसे हैं, जहां से रेडिकलाइजेशन की रिपोर्ट्स मिली हैं।

चुनौती: कई मदरसे सरकारी रजिस्ट्रेशन के बिना चल रहे हैं, जिससे निगरानी मुश्किल हो जाती है।

भारत-पाकिस्तान बॉर्डर पर मदरसों का मुद्दा सुरक्षा एजेंसियों के लिए चुनौतीपूर्ण है। सरकार ने कड़ी कार्रवाई शुरू की है, लेकिन अभी भी सैकड़ों मदरसे ऐसे हैं, जिन पर नजर रखने की जरूरत है। आतंकवाद और जासूसी रोकने के लिए सीमावर्ती मदरसों पर सख्त निगरानी और पारदर्शिता जरूरी है।

सरकारी नीतियां और चुनौतियां

भारत सरकार ने सीमा क्षेत्रों में सुरक्षा बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए हैं, जिनमें शामिल हैं...

कॉम्प्रिहेंसिव इंटीग्रेटेड बॉर्डर मैनेजमेंट सिस्टम (CIBMS): यह प्रणाली मानव-खोजी रडार, थर्मल इमेजिंग, और सिस्मिक सेंसर का उपयोग करती है।

बीओपी की संख्या बढ़ाना: 2018 में, गृह मंत्रालय ने 96 नई बॉर्डर आउट पोस्ट (बीओपी) को मंजूरी दी, जिससे कुल बीओपी की संख्या 656 से बढ़कर 752 हो गई।

मदरसों का पंजीकरण: उत्तर प्रदेश, राजस्थान, और अन्य राज्यों में मदरसों के पंजीकरण को अनिवार्य किया गया है।

सरकार की चुनौतियां

आंकड़ों की कमी: सीमा क्षेत्रों में मदरसों की सटीक संख्या और उनकी गतिविधियों पर विश्वसनीय डेटा उपलब्ध नहीं है।

सामुदायिक संवेदनशीलता: मदरसों पर कार्रवाई से स्थानीय समुदायों में असंतोष की संभावना रहती है।

अंतरराष्ट्रीय दबाव: कुछ कार्रवाइयों को मानवाधिकार संगठनों द्वारा आलोचना का सामना करना पड़ता है।

घुसपैठ और ड्रोन हमले: पाकिस्तान से ड्रोन हमले और घुसपैठ की घटनाएं सीमा क्षेत्रों में सुरक्षा को चुनौती देती हैं।

भारत-पाकिस्तान सीमा न केवल भौगोलिक रूप से बल्कि सामरिक और सामाजिक रूप से भी जटिल है। इस क्षेत्र में मदरसे धार्मिक और शैक्षिक भूमिका निभाते हैं, लेकिन कुछ पर संदिग्ध गतिविधियों के आरोपों ने सरकार को सतर्क कर दिया है।

हाल के वर्षों में, सरकार ने सुरक्षा बढ़ाने और संदिग्ध मदरसों पर कार्रवाई करने के लिए कई कदम उठाए हैं, लेकिन इन कार्रवाइयों को संतुलित और पारदर्शी रखना एक चुनौती है। उपलब्ध आंकड़े सीमित हैं, और भविष्य में अधिक व्यापक डेटा संग्रह और विश्लेषण की आवश्यकता है।

नोट: यह स्टोरी भारत-पाकिस्तान सीमा की जटिलताओं और मदरसों पर सरकारी कार्रवाइयों को समझने का एक प्रयास है। यह विषय संवेदनशील है, और इसे समझने के लिए तथ्य-आधारित और निष्पक्ष दृष्टिकोण की आवश्यकता है।

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