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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।गांव की गलियों से शुरू हुआ सफर अब भारत को सेपकटकरा में गोल्ड दिला रहा है। खुद की मेहनत और जुनून से हरियाणा की बेटी बनी खेलो इंडिया की स्टार। मणिपुर जैसी मजबूत टीम को हराकर जीता स्वर्ण पदक, किया देश का नाम रोशन। बीच गेम्स के मंच से मोनिका ने बताया संघर्ष और सपनों का असली मतलब। क्या सेपकटकरा भारत के ग्रामीण युवाओं का नया सपना बन सकता है?
हरियाणा की युवा खिलाड़ी मोनिका ने दमन और दीव में आयोजित खेलो इंडिया बीच गेम्स में सेपकटकरा में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया। गांव की गलियों से निकलकर खुद का अभ्यास मैदान बनाने वाली मोनिका ने मणिपुर जैसी मजबूत टीम को हराकर न सिर्फ गोल्ड जीता, बल्कि यह भी दिखाया कि असली ताकत सपनों और मेहनत में होती है।
गांव की मिट्टी से सीखी सेपकटकरा की कला
मोनिका ने बताया कि उन्होंने और उनकी टीम ने अपने गांव में खुद से मैदान तैयार किया और वहीं अभ्यास शुरू किया। सेपकटकरा जैसे कम लोकप्रिय खेल को उन्होंने टीवी पर देखा और उसे ही अपना सपना बना लिया। बिना किसी प्रोफेशनल ट्रेनिंग और संसाधनों के, उन्होंने मैदान में पसीना बहाया और आज देश के लिए स्वर्ण पदक जीतकर दिखाया।
VIDEO | Daman and Diu Khelo India Beach Games: Here’s what Monika, a Sepaktakraw player from Haryana, said after winning the gold medal:
— Press Trust of India (@PTI_News) May 21, 2025
"We started from our village, where we built our own ground and practised. When we saw this game, we found it interesting. We defeated… pic.twitter.com/C1XCltc64Z
मणिपुर जैसी टीम को हराना आसान नहीं था
मोनिका ने स्वीकार किया कि मणिपुर की टीम तकनीकी रूप से काफी मजबूत थी, लेकिन हरियाणा की बेटियों ने हौसले और मेहनत से उन्हें शिकस्त दी। उन्होंने कहा, “हमने हार नहीं मानी, एक-एक पॉइंट के लिए लड़ा और आखिरकार गोल्ड हमारे गले में था।”
सेपकटकरा: अब गांवों की बेटियों का नया सपना
सेपकटकरा भले ही अब तक एक अनजान खेल रहा हो, लेकिन मोनिका जैसे खिलाड़ी अब इसे देश के कोने-कोने तक पहुंचा रहे हैं। उन्होंने कहा, “हम चाहते हैं कि ज्यादा लड़कियां इस खेल को अपनाएं। यह खेल न सिर्फ शारीरिक ताकत देता है, बल्कि आत्मविश्वास भी बढ़ाता है।”
सरकार और समाज से अपील
मोनिका ने सरकार से ग्रामीण खिलाड़ियों को बेहतर संसाधन देने की मांग की। उन्होंने कहा कि अगर गांवों में खेल सुविधाएं मिलें, तो भारत हर खेल में नंबर वन बन सकता है। उन्होंने युवा लड़कियों से भी अपील की कि वे आगे आएं और खेलों को अपनाएं।
क्या कहता है यह जीत का संदेश?
मोनिका की जीत सिर्फ एक पदक नहीं है, यह उस सोच की जीत है जो मानती है कि "अगर जज़्बा हो तो मंज़िल दूर नहीं।" ऐसे खिलाड़ी न सिर्फ गांवों को प्रेरणा देते हैं, बल्कि पूरे देश का हौसला भी बढ़ाते हैं।
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