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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । संसद में पास हुआ वक्फ (संशोधन) विधेयक अब सुप्रीम कोर्ट की चौखट पर है। संभल से समाजवादी पार्टी के सांसद ज़िया उर रहमान ने इसे सीधा "अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर हमला" बताया है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में विधेयक को चुनौती दी हुई है जिसपर सुनवाई जारी है।
सपा सांसद ने मांग की हुई है कि पूरे बिल को अवैध घोषित किया जाए। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि अदालत इस संवेदनशील मुद्दे पर क्या रुख अपनाती है।
यूपी के जिला संभल से समाजवादी पार्टी के सांसद ज़िया उर रहमान ने आज 20 मई 2025 को एक बयान देकर सियासत को हवा दे दी। उन्होंने कहा कि हमने सुप्रीम कोर्ट में वक्फ (संशोधन) विधेयक 2023 को चुनौती दी हुई है, जिस पर आज सुनवाई चल रही है।
उनका कहना है कि यह कानून न सिर्फ मुस्लिम समुदाय की धार्मिक संपत्तियों को नियंत्रित करने की कोशिश करता है, बल्कि संविधान में दिए गए अल्पसंख्यकों के अधिकारों का सीधा उल्लंघन करता है। उन्होंने ने रिट याचिका दाखिल के माध्यम से विधेयक को पूरी तरह से खारिज करने की मांग की है।
सांसद ने क्या कहा?
ज़िया उर रहमान ने पत्रकारों से बातचीत में कहा, "हमने सुप्रीम कोर्ट में इस कानून के खिलाफ रिट दाखिल की है। यह संविधान विरोधी है और अल्पसंख्यकों की धार्मिक स्वतंत्रता पर आघात करता है।" उन्होंने यह भी जोड़ा कि यदि इसे रोका नहीं गया, तो यह अल्पसंख्यकों के लिए खतरनाक मिसाल बन सकता है।
VIDEO | “I also filed a writ petition in the Supreme Court. We are waiting for the decision. This entire Bill should be rejected,” says Samajwadi Party MP Zia Ur Rahman on Supreme Court hearing pleas challenging the Waqf (Amendment) Bill today.
— Press Trust of India (@PTI_News) May 20, 2025
(Full video available on PTI… pic.twitter.com/qNPgftFC3p
क्या है वक्फ (संशोधन) विधेयक?
वक्फ कानून उन धार्मिक संपत्तियों से जुड़ा है जिन्हें मुस्लिम समुदाय धार्मिक या परोपकारी उद्देश्य से दान करता है। हाल ही में हुए संशोधनों के तहत सरकार को वक्फ संपत्तियों पर अधिक नियंत्रण मिल गया है। विपक्षी दलों का कहना है कि इससे अल्पसंख्यक समुदाय की धार्मिक आज़ादी पर असर पड़ेगा।
राजनीतिक हलकों में हलचल
इस बिल के खिलाफ सिर्फ समाजवादी पार्टी ही नहीं, बल्कि कई मुस्लिम संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी विरोध जताया है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि आगामी विधानसभा चुनाव से पहले इस मुद्दे को सपा सांसद अब सियासी रंग पकड़ाना चाहते हैं।
क्या कहता है संविधान?
भारतीय संविधान अल्पसंख्यकों को धार्मिक स्वतंत्रता और अपनी संपत्ति का संरक्षण करने का अधिकार देता है। ज़िया उर रहमान की याचिका इसी आधार पर दाखिल की गई है। याचिका में कहा गया है कि नया कानून इन मूल अधिकारों के विरुद्ध है।
आपका क्या कहना है? क्या वक्फ संशोधन बिल अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर हमला है? नीचे कमेंट में अपनी राय ज़रूर दें।
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