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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । भारत की जवाबी कार्रवाई से पाकिस्तान की पोल खुल गई। आतंकी शिविरों पर सटीक हमले से बौखलाया इस्लामाबाद। दुनिया के ज़्यादातर देश भारत के साथ खड़े नज़र आए। राजनयिक रणनीति से अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत को बढ़त। अब पाकिस्तान अलग-थलग, चीन-तुर्की जैसे चंद देशों को छोड़ बाकी सबने भारत का समर्थन किया।
भारत ने एक बार फिर अपनी कूटनीतिक चालों से पाकिस्तान को वैश्विक मंच पर बेनकाब कर दिया है। इस बार बात बंदूक या बम की नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय रणनीति और सर्जिकल डिप्लोमेसी की है। भारतीय विदेश नीति की इस नई ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ से न केवल पाकिस्तान की दोहरी नीति की पोल खुल गई, बल्कि इस्लामाबाद में भी हड़कंप मच गया है। लगातार अंतरराष्ट्रीय दबाव और भारत की कूटनीतिक घेराबंदी से पाकिस्तान बौखलाया हुआ नजर आ रहा है।
भारत सरकार ने हाल ही में सीमापार आतंकी ठिकानों पर सटीक हमला कर एक बार फिर यह साबित कर दिया कि आतंक के खिलाफ उसकी नीति ‘ज़ीरो टॉलरेंस’ पर आधारित है। संसदीय सलाहकार समिति की बैठक में इस कार्रवाई की जानकारी दी गई, जिसमें बताया गया कि पाकिस्तान के तीन बड़े आतंकी कैंपों को निशाना बनाकर तबाह कर दिया गया। इस कूटनीतिक और सैन्य अभियान को लेकर दुनिया के अधिकांश देशों ने भारत का समर्थन किया, जबकि पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मंच पर अलग-थलग पड़ गया।
The strategy of the Government of India, which included diplomatic initiatives, was explained. India went for the terror targets, exposing Pakistan, which couldn't protect the three major camps, the epicentre of terrorism. It has hit the morale of Pakistan forces: Sources on… pic.twitter.com/Jtrxu6mjhn
— ANI (@ANI) May 26, 2025
भारत की जवाबी कार्रवाई ने बदली पूरी रणनीति
सीमापार आतंकवाद को लेकर हुई संसदीय सलाहकार समिति की अहम बैठक में यह खुलासा हुआ कि भारत ने हाल ही में पाकिस्तान में मौजूद तीन बड़े आतंकी शिविरों पर सर्जिकल स्ट्राइक की तर्ज पर हमला किया। इस हमले की खास बात यह थी कि यह केवल सैन्य कार्रवाई नहीं बल्कि एक राजनयिक संदेश भी था — भारत अब आतंक पर सिर्फ बयान नहीं देगा, कार्रवाई भी करेगा।
आतंक के खिलाफ भारत की नई नीति
भारत ने इस अभियान को सिर्फ पाकिस्तान विरोध नहीं बल्कि आतंक के खिलाफ़ एक वैश्विक अभियान के रूप में पेश किया। यही वजह रही कि अमेरिका, फ्रांस, रूस, जापान, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों ने इस कार्रवाई पर भारत का समर्थन किया। केवल तुर्की, अज़रबैजान और चीन ने इसका विरोध किया, जिनकी पाकिस्तान से सामरिक नज़दीकियां किसी से छिपी नहीं हैं।
Because we made it a fight/an operation against terror, the international community has backed India. It wasn’t against Pakistan per se so the support came from all countries other than just 3 - Turkey, Azerbaijan and China: Sources on Parliamentary consultative committee meeting…
— ANI (@ANI) May 26, 2025
पाकिस्तान के डीजीएमओ से हुई सीमित बातचीत
सरकार ने स्पष्ट किया कि भारत और पाकिस्तान के बीच इस हमले से पहले किसी भी स्तर पर कोई बातचीत नहीं हुई थी। हमले के बाद ही भारत के डीजीएमओ ने पाकिस्तानी डीजीएमओ से संपर्क किया और यह एक औपचारिक सैन्य संवाद था, न कि कोई गुप्त समझौता।
Controversy over EAM supposedly tipping off Pakistan was brought up by the Congress. The govt explained that there was absolutely no conversation between India and Pakistan in any manner other than DGMO level, and that too only after the strikes. The sequence of events was - the…
— ANI (@ANI) May 26, 2025
The EAM appealed for national unity in keeping with the spirit of the conversations that the parliamentary delegations were having in various country capitals. The MPs wanted to know about President Trump’s claims and other remarks, the govt explained that the Americans and the…
— ANI (@ANI) May 26, 2025
कांग्रेस के आरोप और विदेश मंत्री का जवाब
संसदीय बैठक में कांग्रेस ने आरोप लगाया कि विदेश मंत्री ने हमले से पहले पाकिस्तान को सूचित किया था। इस पर विदेश मंत्री ने सख्त लहजे में कहा कि यह सरासर बेईमानी है और तथ्य को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है। उन्होंने कहा कि यह कार्रवाई पूरी तरह से भारत के हितों को ध्यान में रखकर की गई और किसी को कोई पूर्व जानकारी नहीं दी गई।
सिंधु जल संधि पर सरकार का रुख
बैठक में यह भी पूछा गया कि क्या सिंधु जल संधि अब सिर्फ प्रतीकात्मक बन गई है या सरकार कोई ठोस कदम उठाने जा रही है। सरकार ने जवाब दिया कि संधि को स्थगित कर दिया गया है और आगे की रणनीति पर सांसदों को जल्द ही जानकारी दी जाएगी।
कूटनीतिक जीत: वैश्विक मंच पर भारत की स्थिति मजबूत
विदेश मंत्री ने बताया कि विभिन्न देशों की राजधानियों में संसदीय प्रतिनिधिमंडलों के साथ हुई बातचीत में भारत को आतंक के खिलाफ एक जिम्मेदार राष्ट्र के रूप में देखा जा रहा है। अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों को स्पष्ट कर दिया गया है कि जब तक पाकिस्तान आतंक का समर्थन करता रहेगा, तब तक उससे कोई बातचीत संभव नहीं है।
पाकिस्तान की रणनीति फेल, सेना पर मनोवैज्ञानिक दबाव
इस हमले ने पाकिस्तान की सेना के मनोबल को भी झटका दिया है। जिन तीन प्रमुख आतंकी ठिकानों को सुरक्षा में रखा गया था, वे महज कुछ घंटों में तबाह हो गए। इससे यह भी साबित हो गया कि पाकिस्तान खुद को कितना भी ‘विक्टिम’ साबित करे, पर हकीकत यही है कि वह आतंकवाद का पालन-पोषण कर रहा है।
भारत ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि वह आतंकवाद के मुद्दे पर किसी भी तरह का समझौता नहीं करेगा। इस बार की कार्रवाई ने न केवल आतंकी ढांचे को नुकसान पहुँचाया, बल्कि पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय साख को भी करारा झटका दिया। अब दुनिया देख रही है कि भारत सिर्फ शब्दों में नहीं, बल्कि रणनीति और साहस में भी सबसे आगे है।
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