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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।भारत के वैश्विक अभियान में अब एक नया मोड़ आया है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने लिया बड़ा राजनीतिक फैसला। भतीजे अभिषेक बनर्जी को मिली देश की प्रतिष्ठा से जुड़ी जिम्मेदारी। आतंकवाद के खिलाफ भारत की मुहिम में अब तृणमूल कांग्रेस की भी खास भूमिका। AITC ने सोशल मीडिया पर खुद दी इस ऐतिहासिक फैसले की जानकारी।
AITC प्रमुख ममता बनर्जी ने अपने भतीजे और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी को आतंकवाद के खिलाफ भारत के वैश्विक अभियान में भाग लेने वाले सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा बनाया है। यह कदम न सिर्फ पार्टी के भीतर उनके कद को बढ़ाता है, बल्कि राष्ट्रीय राजनीति में भी उनकी भूमिका को मजबूती देता है।
क्या है पूरा मामला?
20 मई 2025 को तृणमूल कांग्रेस (AITC) ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'X' पर एक अहम घोषणा की। पोस्ट के अनुसार, पार्टी की अध्यक्ष ममता बनर्जी ने यह ऐतिहासिक निर्णय लिया कि अभिषेक बनर्जी भारत सरकार द्वारा गठित उस सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा बनेंगे, जो आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक मंच पर भारत का प्रतिनिधित्व करेगा। यह सिर्फ एक नामांकन नहीं, बल्कि पार्टी के राष्ट्रीय दृष्टिकोण और राजनीतिक परिपक्वता का प्रतीक है।
AITC posts on 'X': "We’re delighted to share that our Chairperson, Mamata Banerjee, has nominated National GS Abhishek Banerjee to represent Trinamool Congress in the all-party delegation for India’s global outreach against terrorism..." pic.twitter.com/H08wKMRtcW
— ANI (@ANI) May 20, 2025
अभिषेक बनर्जी की जिम्मेदारी क्यों है खास?
- अभिषेक बनर्जी को यह जिम्मेदारी मिलना कई मायनों में अहम है।
- यह पहली बार है जब तृणमूल कांग्रेस इस तरह के राष्ट्रीय मिशन का हिस्सा बन रही है।
- इससे पश्चिम बंगाल की राजनीति को राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति से जोड़ा गया है।
अभिषेक का चयन यह संकेत देता है कि अब वे सिर्फ क्षेत्रीय नेता नहीं रहे, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर उभरते चेहरा हैं।
ममता बनर्जी का यह फैसला क्या संकेत देता है?
- राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम ममता बनर्जी की दूरदर्शिता को दर्शाता है।
- इससे पार्टी की राष्ट्रीय छवि को मजबूती मिलेगी।
- अभिषेक को आगे की राजनीति में एक मजबूत आधार मिलेगा।
यह AITC की नई रणनीति का हिस्सा है, जिससे पार्टी राष्ट्रीय मंच पर अपनी उपस्थिति और प्रासंगिकता को और पुख्ता कर सके।
सोशल मीडिया पर क्या हो रहा है?
AITC की यह पोस्ट 'X' (पूर्व में Twitter) पर आते ही वायरल हो गई। पार्टी समर्थकों में उत्साह है तो विपक्ष सवाल खड़े कर रहा है। कुछ इसे परिवारवाद का विस्तार मान रहे हैं, तो कुछ इसे युवा नेतृत्व को जिम्मेदारी देने का साहसिक कदम बता रहे हैं।
विपक्ष क्या कह रहा है?
हालांकि इस नियुक्ति पर अभी तक बड़े दलों की ओर से कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन सोशल मीडिया पर तीखी बहस शुरू हो गई है। भाजपा के कुछ समर्थकों ने इसे 'नेपोटिज्म' कहा, जबकि कांग्रेस खेमे से मिली-जुली प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं।
क्या यह बदलाव भारत की राजनीति में नया अध्याय जोड़ेगा?
ममता बनर्जी के इस फैसले ने यह साफ कर दिया है कि वे अब अपनी पार्टी को क्षेत्रीय दायरे से निकालकर राष्ट्रीय पटल पर मजबूती से स्थापित करना चाहती हैं।
अभिषेक बनर्जी की यह भूमिका तृणमूल कांग्रेस को वैश्विक कूटनीति और राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे गंभीर मसलों से जोड़ती है।
क्या आप इससे सहमत हैं? क्या अभिषेक बनर्जी राष्ट्रीय जिम्मेदारी निभा पाएंगे? कमेंट कर बताएं!
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