नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । ओडिशा के जंगलों से फिर गूंजा बारूद का खतरा। नक्सलियों ने सुरक्षा को ठेंगा दिखाते हुए ट्रक से लूटे डेढ़ टन विस्फोटक। घटना राउरकेला में, जहां पुलिस की तैनाती भी थी। इलाके में मचा हड़कंप, हाई अलर्ट जारी। क्या खुफिया तंत्र फिर फेल हो गया?
ओडिशा के राउरकेला में नक्सलियों ने सुरक्षा एजेंसियों की नींद उड़ा दी। जानकारी के मुताबिक, नक्सली एक ट्रक से डेढ़ टन विस्फोटक लूटकर फरार हो गए। यह घटना न केवल क्षेत्रीय सुरक्षा पर सवाल उठाती है, बल्कि खुफिया एजेंसियों की विफलता भी उजागर करती है। घटना के बाद से पूरे इलाके में रेड अलर्ट जारी कर दिया गया है।
सुरक्षा को चुनौती: डेढ़ टन विस्फोटक लूटा
राउरकेला से करीब 50 किलोमीटर दूर जंगल क्षेत्र में एक ट्रक को रोका गया। इस ट्रक में डेढ़ टन (1500 किलो) विस्फोटक सामग्री थी, जिसे माओवादियों ने पूरी रणनीति के साथ लूटा। ट्रक चालक को धमकाकर छोड़ दिया गया और नक्सली जंगलों की ओर भाग निकले।
नक्सलियों की साजिश या खुफिया तंत्र की चूक?
इस घटना से बड़ा सवाल यह उठता है कि सुरक्षा एजेंसियों को कैसे भनक नहीं लगी? क्या खुफिया इनपुट पूरी तरह नाकाम रहे? या फिर नक्सली नेटवर्क इतना मजबूत हो चुका है कि वो पुलिस की मौजूदगी में भी इस तरह की वारदात को अंजाम देने लगे हैं?
इलाके में हाई अलर्ट, ऑपरेशन शुरू
घटना के बाद राज्य पुलिस और CRPF की टीमें मौके पर पहुंचीं और तलाशी अभियान शुरू कर दिया गया है। आसपास के इलाकों को सील कर दिया गया है। लेकिन अब तक किसी नक्सली के पकड़े जाने की खबर नहीं है।
बारूद से भरे ट्रक की लूट के मायने क्या हैं?
1500 किलो विस्फोटक किसी बड़े हमले का संकेत हो सकता है। इससे सुरंगें उड़ाई जा सकती हैं, सुरक्षाबलों पर घातक हमले हो सकते हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि ये विस्फोटक भविष्य की किसी बड़ी साजिश का हिस्सा हो सकते हैं।
विश्लेषण: क्यों कमजोर पड़ रही है सुरक्षा नीति?
राज्य और केंद्र सरकार ने नक्सल प्रभावित इलाकों में बड़ी रकम खर्च की है। लेकिन ऐसी घटनाएं बताती हैं कि नीति कागज़ पर ही ज़्यादा मजबूत दिखती है। जमीनी स्तर पर खुफिया और लॉजिस्टिक सपोर्ट की भारी कमी है।
जनता का सवाल: क्या हम सुरक्षित हैं?
इस घटना ने आम लोगों के मन में डर पैदा कर दिया है। ट्रक से लूटी गई इस भारी मात्रा में विस्फोटक से साफ है कि नक्सली अब भी मजबूत और संगठित हैं। अब जनता पूछ रही है—"क्या हम वाकई सुरक्षित हैं?"
क्या आप मानते हैं कि सुरक्षा एजेंसियों को अपनी रणनीति बदलने की ज़रूरत है? नीचे कमेंट करके अपनी राय जरूर दें।
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