नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । पाक सेना की 'झूठी जीत' की पेंटिंग पर मचा इंटरनेट बवाल। पाकिस्तान की सेना एक बार फिर अपनी "झूठी बहादुरी" के चलते सोशल मीडिया पर ट्रोल हो रही है। सेना प्रमुख असीम मुनीर ने पीएम शहबाज़ शरीफ को जो पेंटिंग भेंट की, वह असल में चीनी सेना की चार साल पुरानी तस्वीर निकली। इस "ऑपरेशन बुनियान-उन-मरसोस" की जीत की तस्वीर ने खुद पाकिस्तान की फज़ीहत करा दी। ट्विटर और इंस्टाग्राम पर लोग कह रहे हैं - "अपनी असली लड़ाई के भी नकली सबूत दिखा रहे हैं!"
पाकिस्तान की सेना और प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ एक बार फिर फेक प्रोपेगेंडा को लेकर सोशल मीडिया पर आलोचना का शिकार हो गए हैं। एक हाई-प्रोफाइल डिनर में सेना प्रमुख असीम मुनीर द्वारा भेंट की गई "ऑपरेशन बुनियान-उन-मरसोस" की पेंटिंग असल में चीनी सेना की पुरानी तस्वीर साबित हुई। इंटरनेट यूज़र्स ने तस्वीर को पहचान लिया और पाकिस्तान की फेक सैन्य जीत के दावे की धज्जियां उड़ा दीं।
पाकिस्तान की सेना फिर हुई ट्रोल, इस बार वजह बनी एक ‘पेंटिंग’
एक हाई-प्रोफाइल डिनर में, जिसे पाकिस्तान के "ऑपरेशन बुनियान-उन-मरसोस" की कामयाबी का जश्न बताया जा रहा था, वहां सेना प्रमुख असीम मुनीर ने प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ को एक फ्रेम की हुई पेंटिंग भेंट की। इस तस्वीर को मीडिया ने "भारत पर फतह" का प्रतीक बताया। लेकिन असलियत कुछ और निकली।
सोशल मीडिया पर सतर्क लोगों ने तुरंत पहचान लिया कि यह तस्वीर दरअसल चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की चार साल पुरानी एक्सरसाइज़ की तस्वीर है।
यानी न जीत असली, न सबूत! सिर्फ एक और प्रोपेगेंडा
लोगों ने X (ट्विटर) और इंस्टाग्राम पर पोस्ट करते हुए पूछा – "क्या पाकिस्तान की सेना के पास खुद की कोई असली तस्वीर नहीं है?" किसी ने लिखा – "गूगल से डाउनलोड कर के राष्ट्रवाद का ड्रामा?"
फेक प्रोपेगेंडा या फौजी ग़लती?
सेना की तरफ़ से अब तक कोई आधिकारिक सफाई नहीं आई है। लेकिन इस "ऑपरेशन" की सच्चाई पहले ही संदिग्ध रही है। रिपोर्ट्स के मुताबिक़, भारत के ऑपरेशन सिंदूर के जवाब में पाकिस्तान की सैन्य कार्रवाई असफल रही थी। भारत की डिफेंस मिसाइल सिस्टम ने पाकिस्तान के ड्रोन और मिसाइल्स को हवा में ही तबाह कर दिया था।
ऐसे में यह सवाल उठना स्वाभाविक है - "जब जीत नहीं हुई, तो फर्जी तस्वीर क्यों?"
फील्ड मार्शल बना दिए गए असीम मुनीर
सबसे बड़ा विवाद इस बात को लेकर है कि जिस ऑपरेशन में पाकिस्तान को ही नुकसान हुआ, उस पर आधारित एक 'झूठी जीत' की तस्वीर के बहाने असीम मुनीर को ‘फील्ड मार्शल’ की पदोन्नति दी गई। परंपरागत रूप से यह रैंक सिर्फ उन्हीं को मिलती है जिन्होंने देश को असली जंग में जीत दिलाई हो।
इस बार तो बस तस्वीर और कहानी ही नकली हैं।
सोशल मीडिया पर कैसी रही प्रतिक्रिया?
ट्रेंडिंग पोस्ट्स में लोग लिख रहे हैं
- "ना ऑपरेशन असली, ना फोटो... ये पाकिस्तान की सेना है, साहब!"
- "गूगल से ली तस्वीर, और कह रहे हैं ये है 'मारका-ए-हक'?"
- "अगर यही जीत है, तो हार कैसी होगी?"
क्या पाकिस्तान की जनता को ऐसे प्रोपेगेंडा से कोई फर्क पड़ता है? क्या सेना का ऐसा प्रचार जायज़ है? अपनी राय नीचे कमेंट करें!
pakistan | India | china | pakistan pm |