नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क ।
भारत में सड़क दुर्घटनाओं के पीड़ितों के लिए एक बड़ी राहत की खबर है। सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में आदेश दिया है कि सड़क दुर्घटना के मुआवजे का भुगतान अब सीधे पीड़ितों के बैंक खातों में किया जाएगा। यह निर्णय पीड़ितों को तेजी से मुआवजा प्रदान करने के उद्देश्य से लिया गया है। बीमा कंपनियां अब डिजिटल माध्यम से मुआवजे का भुगतान करेंगी, जिससे पीड़ितों को लंबे समय तक इंतजार नहीं करना पड़ेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरणों (MACT) को निर्देश दिया है कि वे पीड़ितों के बैंक खाते की जानकारी एकत्र करें ताकि मुआवजा राशि सीधे उनके खातों में हस्तांतरित की जा सके।
मुआवजे में देरी से मिलेगी निजात
वर्तमान प्रणाली में, बीमा कंपनियां मुआवजे की राशि पहले न्यायाधिकरणों में जमा करती हैं, जिससे पीड़ितों तक पैसा पहुंचने में काफी समय लग जाता है। कई बार, पीड़ितों को यह भी पता नहीं चलता कि उनके लिए मुआवजा जमा किया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस समस्या को दूर करने के लिए डिजिटल हस्तांतरण (DBT) की प्रणाली को अपनाने का आदेश दिया है।
एक हालिया मामले में, जहां उच्च न्यायालय ने 12 लाख रुपये का मुआवजा निर्धारित किया था, सुप्रीम कोर्ट ने इसे बढ़ाकर 36.8 लाख रुपये कर दिया। न्यायमूर्ति जे.के. माहेश्वरी और न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की पीठ ने कहा कि न्यायाधिकरणों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि मुआवजा राशि सीधे दावेदार के बैंक खाते में जमा हो और इसकी सूचना न्यायाधिकरण को दी जाए।
न्यायाधिकरण एकत्र करेंगे बैंक विवरण
सुप्रीम कोर्ट ने MACT को निर्देश दिया है कि वे शुरूआती कार्यवाही में ही पीड़ितों से उनके बैंक खाते की जानकारी प्राप्त करें। इससे बीमा कंपनियां बिना किसी देरी के मुआवजे का भुगतान कर सकेंगी। अदालत ने यह भी कहा कि अंतिम निर्णय के बाद, बीमा कंपनियों को तुरंत डिजिटल भुगतान (DBT) के माध्यम से राशि हस्तांतरित करनी चाहिए।
चिंताजनक सड़क दुर्घटना के आंकड़े
भारत में सड़क दुर्घटनाओं की संख्या चिंताजनक है। पिछले पांच वर्षों के आंकड़े इस प्रकार हैं:
- 2018: 1.5 लाख मौतें, 4.6 लाख घायल
- 2019: 1.5 लाख मौतें, 4.4 लाख घायल
- 2020: 1.3 लाख मौतें, 3.4 लाख घायल
- 2021: 1.5 लाख मौतें, 3.8 लाख घायल
- 2022: 1.6 लाख मौतें, 4.4 लाख घायल
डिजिटल भुगतान पर जोर
सुप्रीम कोर्ट ने भारत में डिजिटल भुगतान प्रणाली की प्रगति को देखते हुए इस प्रणाली को अपनाने का निर्णय लिया है। इससे पीड़ितों को तेजी से मुआवजा मिलेगा और उन्हें न्यायाधिकरणों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। यह फैसला सड़क सुरक्षा के लिए भी एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।