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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । बिहार की राजनीति में फिर उठे पारिवारिक तूफान। लालू यादव ने तेज प्रताप को पार्टी से दिखाया बाहर का रास्ता। सोशल मीडिया पर रिश्ते का खुलासा बना विवाद की जड़। अब पप्पू यादव ने तेज प्रताप के समर्थन में दी बड़ी प्रतिक्रिया। बोले– ईमानदारी को सजा क्यों, सच बताने वालों को सराहो।
लालू के फैसले पर पप्पू यादव का पलटवार – कहा, रिश्तों में सच्चाई शर्म नहीं, ताक़त है
बिहार की सियासत में एक बार फिर पारिवारिक कलह चर्चा में है। आरजेडी प्रमुख लालू यादव ने बेटे तेज प्रताप यादव को सोशल मीडिया पोस्ट के कारण पार्टी से निष्कासित कर दिया। इस घटनाक्रम पर पूर्णिया सांसद पप्पू यादव ने तेज प्रताप के समर्थन में खुलकर बयान देते हुए कहा कि 'सच्चाई छिपाने से बेहतर है, उसे स्वीकार करना।' उन्होंने इसे तेज प्रताप की ईमानदारी बताया और सवाल उठाया कि क्या अब रिश्तों की सच्चाई भी राजनीति में गुनाह बन गई है?
तेज प्रताप की पोस्ट से नाराज़ हुए लालू, लिया कड़ा फैसला
तेज प्रताप यादव ने हाल ही में सोशल मीडिया पर एक पोस्ट साझा कर अपने निजी रिश्ते का खुलासा किया था। उनका यह कदम ना सिर्फ मीडिया की सुर्खियों में रहा बल्कि पिता और पार्टी प्रमुख लालू यादव की नाराज़गी की वजह भी बन गया। इसी के बाद लालू ने उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया। पार्टी का मानना है कि तेज प्रताप की हरकतों से संगठन की छवि को नुकसान हो रहा है।
पप्पू यादव ने दी प्रतिक्रिया– "रिश्ते बताने में शर्म कैसी?"
VIDEO | On RJD chief Lalu Yadav expelling his son Tej Pratap Yadav over a social media post, Purnia MP Pappu Yadav (@pappuyadavjapl) says, "It is a personal matter, but I want to say a thing, Lalu Yadav should understand that his son has made an honest declaration of his… pic.twitter.com/OngkErkhxI
— Press Trust of India (@PTI_News) May 26, 2025
पूर्णिया से सांसद और जन अधिकार पार्टी के प्रमुख पप्पू यादव ने इस मुद्दे पर भावनात्मक टिप्पणी करते हुए कहा,
"तेज प्रताप ने कोई जुर्म नहीं किया। जब बिल गेट्स जैसी शख्सियत ने अपनी गलती स्वीकार कर ली थी और अमेरिका ने सराहा था, तो तेज प्रताप ने क्या गलत किया?"
उन्होंने यह भी जोड़ा कि "एक बेटा अपने माता-पिता को अगर अपनी सच्चाई बताता है तो उसमें सजा क्यों?"
पप्पू यादव बोले– "लालू जी को समझदारी दिखानी चाहिए"
पप्पू यादव ने कहा कि वे लालू यादव का सम्मान करते हैं, लेकिन इस मामले में उन्हें थोड़ा 'पिता' बनना चाहिए, न कि सिर्फ 'राजनीतिक प्रमुख'। तेज प्रताप यादव का यह कदम कोई स्कैंडल नहीं, बल्कि ईमानदारी की मिसाल है, जिसे नजरअंदाज करना उनके आत्मबल को कमजोर करेगा।
पारिवारिक रिश्तों में राजनीति की दखल बढ़ी?
यह पहला मौका नहीं जब यादव परिवार के भीतर मतभेद सामने आए हैं। लेकिन इस बार मुद्दा राजनीतिक न होकर निजी था। तेज प्रताप की सोशल मीडिया पोस्ट भले निजी रही हो, लेकिन उसके राजनीतिक परिणाम ने सभी को चौंका दिया। सवाल यह उठता है कि क्या अब एक नेता का व्यक्तिगत जीवन पूरी तरह राजनीतिक एजेंडा बन चुका है?
जनता का सवाल– क्या तेज प्रताप को सच बोलने की सजा मिली?
सोशल मीडिया पर जनता के बीच यह चर्चा तेज है कि तेज प्रताप को ईमानदारी दिखाने की सजा मिली है। कई लोग उन्हें साहसी बता रहे हैं तो कुछ परिवार की इज्ज़त का हवाला दे रहे हैं। लेकिन यह स्पष्ट है कि तेज प्रताप की यह 'सच बोलने वाली पोस्ट' आने वाले दिनों में बिहार की राजनीति को और गरमा सकती है।
क्या आप मानते हैं कि तेज प्रताप यादव को रिश्ते की सच्चाई बताने पर बाहर किया जाना ठीक है? कमेंट करें और अपनी राय जरूर दें।
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