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नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क । 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया। इस हमले में 26 से 28 लोगों की मौत हुई, जिनमें ज्यादातर पर्यटक थे।
यह हमला उस समय हुआ जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सऊदी अरब के दौरे पर थे और अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस भारत की यात्रा पर थे। इससे कई सवाल उठते हैं कि आखिर आतंकियों ने यही दिन क्यों चुना ?
क्या यह महज संयोग था या एक सोची-समझी साजिश? आइए, चार संभावित थ्योरी के जरिए इस हमले के पीछे की रणनीति को समझने की कोशिश करते हैं...
थ्योरी नंबर 1: यूएस के डिप्टी प्रेसीडेंट की भारत यात्रा पर आतंकी हमले का दुस्साहस
21 अप्रैल 2025 को अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस अपनी पत्नी उषा और तीन बच्चों के साथ चार दिवसीय भारत दौरे पर आए। दिल्ली के पालम एयरपोर्ट पर उनका भव्य स्वागत हुआ। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने उन्हें रिसीव किया और गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। वेंस ने अक्षरधाम मंदिर का दौरा किया और फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनके आवास पर मुलाकात की। यह उनकी उपराष्ट्रपति बनने के बाद पहली भारत यात्रा थी।
इसी तरह, 25 साल पहले 20 मार्च 2000 को जब अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन भारत आए थे, तब अनंतनाग के छत्तीसिंहपुरा में आतंकियों ने 35 सिखों की हत्या कर दी थी। उस समय भी आतंकियों ने विदेशी नेता की यात्रा के दौरान हमला कर अपनी ताकत दिखाने की कोशिश की थी।
आतंकियों ने यही दिन क्यों चुना?
जेडी वेंस की यात्रा के लिए भारत में सुरक्षा के कड़े इंतजाम थे। अमेरिकी और भारतीय खुफिया एजेंसियां हाई अलर्ट पर थीं। इसके बावजूद आतंकियों ने पहलगाम में हमला कर यह संदेश देने की कोशिश की कि वे कहीं भी, कभी भी हमला कर सकते हैं। यह हमला उनकी बेखौफ छवि को दुनिया के सामने लाने का प्रयास था।
थ्योरी नंबर 2: पीएम मोदी का सऊदी दौरा और कश्मीर मुद्दे को जिंदा रखने की कोशिश
22 अप्रैल 2025 को पीएम नरेंद्र मोदी सऊदी अरब के जेद्दाह पहुंचे। यह दो दिवसीय दौरा पहले से तय था, जिसमें सऊदी क्राउन प्रिंस के साथ मुलाकात, योग, मीडिया, खेल और मनोरंजन जैसे क्षेत्रों में समझौतों पर हस्ताक्षर की उम्मीद थी। इसके अलावा, सऊदी जेलों में बंद 2600 से अधिक भारतीयों की रिहाई और आर्थिक गलियारे जैसे मुद्दों पर भी चर्चा होनी थी।
सऊदी अरब और भारत के बीच बढ़ती नजदीकियां पाकिस्तान को खटक रही हैं। सऊदी अरब, जो कभी पाकिस्तान का करीबी सहयोगी था, अब भारत के साथ रणनीतिक और आर्थिक साझेदारी को प्राथमिकता दे रहा है। पाकिस्तानी विश्लेषकों का मानना है कि यह बदलाव पाकिस्तान के लिए एक चुनौती है।
आतंकियों ने यही दिन क्यों चुना?
आतंकियों ने इस हमले के जरिए सऊदी अरब और मध्य पूर्व के अन्य मुस्लिम देशों को संदेश देने की कोशिश की कि कश्मीर का मुद्दा अभी खत्म नहीं हुआ है। यह हमला भारत की छवि को खराब करने और कश्मीर को अंतरराष्ट्रीय मंच पर फिर से चर्चा में लाने का प्रयास था। रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल संजय कुलकर्णी के अनुसार, यह हमला सुनियोजित और टाइमिंग को ध्यान में रखकर किया गया।
थ्योरी नंबर 3: कश्मीर में टूरिज्म को निशाना बनाने की साजिश
पिछले कुछ सालों में जम्मू-कश्मीर में पर्यटन तेजी से बढ़ा है। आर्टिकल 370 हटने के बाद कश्मीर पर्यटकों के लिए सुरक्षित और आकर्षक गंतव्य बन गया है। श्रीनगर का लाल चौक, जो कभी अलगाववादी प्रदर्शनों का केंद्र था, अब सांस्कृतिक उत्सवों का गवाह बन रहा है। इसके अलावा, दुनिया के सबसे ऊंचे रेलवे ब्रिज, चिनाब ब्रिज के जरिए कटरा-श्रीनगर रेल मार्ग शुरू होने वाला था। 19 अप्रैल 2025 को पीएम मोदी इसे हरी झंडी दिखाने वाले थे, लेकिन यह योजना टल गई।
आतंकियों ने यही दिन क्यों चुना?
आतंकियों का मकसद कश्मीर के बढ़ते पर्यटन को नुकसान पहुंचाना था। पहलगाम, जिसे ‘मिनी स्विट्जरलैंड’ कहा जाता है, पर्यटकों का पसंदीदा स्थल है। इस हमले से पर्यटकों के मन में डर पैदा करने की कोशिश की गई। हमले के बाद सुरक्षा बलों ने कॉर्डन एंड सर्च ऑपरेशन शुरू किए, जिससे इलाके में सख्ती बढ़ गई। इससे पर्यटन पर असर पड़ना तय है।
थ्योरी नंबर 4: अमरनाथ यात्रा पर हमले की धमकी
3 जुलाई 2025 से शुरू होने वाली अमरनाथ यात्रा की तैयारियां जोरों पर हैं। बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन ने यात्रा मार्ग से बर्फ हटाने का काम शुरू कर दिया है, और सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए जा रहे हैं। यह 38 दिन की यात्रा 9 अगस्त को खत्म होगी। पहलगाम इस यात्रा का बेस कैंप है, जहां से श्रद्धालु 36 किलोमीटर का सफर तय कर अमरनाथ गुफा पहुंचते हैं।
आतंकियों ने यही दिन क्यों चुना?
पहलगाम में हमला कर आतंकियों ने अमरनाथ यात्रा को निशाना बनाने की धमकी दी है। यह हमला यात्रा से पहले माहौल खराब करने और श्रद्धालुओं में डर पैदा करने की साजिश थी। आतंकियों का मकसद यह दिखाना था कि वे अब भी कश्मीर में सक्रिय हैं और बड़े हमले कर सकते हैं।
क्या पाकिस्तान सेना प्रमुख ने दिया था हमले का संकेत ?
पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने हमले से कुछ दिन पहले कश्मीर को लेकर भड़काऊ बयान दिए थे। उन्होंने कश्मीर को पाकिस्तान की ‘गले की नस’ बताया और इसे गाजा से जोड़ा। इस्लामाबाद में एक सम्मेलन में उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की नींव इस्लाम पर आधारित है और वह कश्मीरी लोगों के ‘संघर्ष’ को कभी नहीं भूलेगा। उन्होंने हिंदू-मुस्लिम विभाजन को बढ़ावा देने वाली बातें भी कहीं।
रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल संजय कुलकर्णी का मानना है कि जनरल मुनीर के बयान आतंकियों के लिए एक संदेश थे। इस हमले में आतंकियों ने कथित तौर पर लोगों के नाम और धर्म पूछकर गैर-मुस्लिमों को निशाना बनाया, जो उनके बयानों से प्रेरित हो सकता है।
भारत की प्रतिक्रिया और आगे की राह
हमले के बाद पीएम मोदी ने सऊदी दौरा बीच में छोड़कर भारत लौटने का फैसला किया। उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह को श्रीनगर जाने और स्थिति की समीक्षा करने का निर्देश दिया। शाह ने श्रीनगर में उच्च स्तरीय बैठक की, जिसमें सेना, सीआरपीएफ और पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने भी 150 मिनट की बैठक में जवाबी कार्रवाई के विकल्पों पर चर्चा की।
भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़े कदम उठाए, जिनमें ऑटारी बॉर्डर चेकपोस्ट बंद करना, पाकिस्तानी दूतावास को बंद करना और इंडस जल संधि को रोकना शामिल है। यह हमला ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (TRF) ने किया, जो लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा है और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई का समर्थन प्राप्त है।
पहलगाम हमला एक सुनियोजित साजिश थी, जिसका मकसद कश्मीर को फिर से अशांत करना, पर्यटन को नुकसान पहुंचाना, अमरनाथ यात्रा को धमकी देना और अंतरराष्ट्रीय मंच पर ध्यान खींचना था।
आतंकियों ने पीएम मोदी के सऊदी दौरे और जेडी वेंस की भारत यात्रा के समय को चुना ताकि उनका संदेश ज्यादा प्रभावी हो। पाकिस्तान सेना प्रमुख के बयानों ने भी इस हमले को हवा दी। भारत अब जवाबी कार्रवाई की तैयारी में है, और आने वाले दिन इसकी दिशा तय करेंगे। Jammu & Kashmir Pahalgam Terror Attack | pahalgam attack |