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नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क । पाकिस्तान की सांसद पलवशा मोहम्मद ज़ई खान ने 29 अप्रैल 2025 को संसद के ऊपरी सदन में एक भड़काऊ बयान दिया, जिसने भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव को और बढ़ा दिया। उन्होंने दावा किया कि अयोध्या में नई बाबरी मस्जिद की पहली ईंट पाकिस्तानी सेना के जवान रखेंगे और पहली अजान पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर देंगे।
यह बयान ऐसे समय में आया जब पहलगाम आतंकी हमले के बाद दोनों देशों के बीच पहले से ही तनाव चरम पर है। पलवशा खान, जो बिलावल भुट्टो की पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) की नेता हैं, ने अपने भाषण में यह भी कहा कि "हमने चूड़ियां नहीं पहनी हैं," जो उनकी आक्रामकता को दर्शाता है। इस बयान का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसने भारत में व्यापक आक्रोश पैदा किया।
पाकिस्तानी सांसद के बयान के मायने
पलवशा खान का यह बयान पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद आया, जिसमें 23 अप्रैल 2025 को 26 लोग मारे गए थे, जिनमें 25 भारतीय और एक नेपाली नागरिक शामिल थे। इस हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कई कड़े कदम उठाए, जिनमें इंडस वाटर ट्रीटी को निलंबित करना, पाकिस्तानी उड़ानों के लिए हवाई क्षेत्र बंद करना, राजनयिक संबंधों को कम करना, और अटारी सीमा बंद करना शामिल है। इन कदमों ने पाकिस्तान में बेचैनी बढ़ा दी, और पलवशा के बयान को भारत के खिलाफ उकसावे के रूप में देखा जा रहा है।
पलवशा ने अपने भाषण में न केवल बाबरी मस्जिद का जिक्र किया, बल्कि यह भी दावा किया कि अगर भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध होता है, तो भारतीय सेना के सिख सैनिक पाकिस्तान के खिलाफ हथियार नहीं उठाएंगे। इस बयान को भारत में सिख समुदाय के प्रति अपमानजनक माना गया, जिससे विवाद और गहरा गया। इसके अलावा, उन्होंने खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू की तारीफ की, जिसने भारत की संप्रभुता के खिलाफ कई बार उकसावे वाले बयान दिए हैं।
पलवशा खान कौन हैं ?
पलवशा मोहम्मद ज़ई खान पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी की एक प्रमुख नेता हैं और वर्तमान में सीनेटर के रूप में कार्यरत हैं। वह पार्टी की उप सूचना सचिव भी हैं। उनकी राजनीतिक पृष्ठभूमि और बिलावल भुट्टो के साथ निकटता ने उन्हें पाकिस्तान की राजनीति में एक महत्वपूर्ण चेहरा बना दिया है। हालांकि, उनके हालिया बयानों ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विवादों में ला खड़ा किया है। उनके इस बयान को कई लोग पाकिस्तान की आंतरिक राजनीति और सेना के प्रभाव को मजबूत करने की कोशिश के रूप में देख रहे हैं।
भारत की प्रतिक्रिया
भारत सरकार ने पलवशा के बयान को गंभीरता से नहीं लिया और इसे पाकिस्तान की ओर से ध्यान भटकाने की कोशिश माना। भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस बयान की निंदा की और इसे "असभ्य और उकसावे वाला" करार दिया। सोशल मीडिया पर भारतीय यूजर्स ने इस बयान की कड़ी आलोचना की, और कई ने इसे पाकिस्तान की हताशा का प्रतीक बताया। कुछ ने तो यह भी कहा कि पाकिस्तान, जो अपनी आर्थिक और राजनीतिक अस्थिरता से जूझ रहा है, इस तरह के बयानों से केवल अपनी छवि को और खराब कर रहा है।
आसिम मुनीर और पाकिस्तानी सेना की भूमिका
पलवशा के बयान में पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर का जिक्र विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। आसिम मुनीर नवंबर 2022 से पाकिस्तान के सेना प्रमुख हैं। वह पहले इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) के प्रमुख रह चुके हैं, लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ मतभेदों के कारण उन्हें हटा दिया गया था। इमरान खान के सत्ता से हटने के बाद मुनीर की वापसी हुई, और वह अब पाकिस्तान के सबसे शक्तिशाली व्यक्तियों में से एक हैं।
कुछ विश्लेषकों का मानना है कि पलवशा का बयान पाकिस्तानी सेना की रणनीति का हिस्सा हो सकता है, जिसका उद्देश्य भारत के साथ तनाव बढ़ाकर देश के भीतर एकजुटता पैदा करना है। पाकिस्तान में आर्थिक संकट, इमरान खान के समर्थकों के विरोध, और बलूचिस्तान जैसे क्षेत्रों में अशांति ने सेना को दबाव में ला दिया है। ऐसे में, भारत के खिलाफ भड़काऊ बयान देकर सेना अपनी प्रासंगिकता और ताकत दिखाने की कोशिश कर सकती है।
भारत-पाकिस्तान संबंधों पर प्रभाव
पलवशा के बयान ने भारत-पाकिस्तान संबंधों को और जटिल कर दिया है। दोनों देशों के बीच पहले से ही कश्मीर, आतंकवाद, और सीमा विवाद जैसे मुद्दों पर तनाव रहा है। पहलगाम हमले और उसके बाद भारत के कड़े कदमों ने इस तनाव को और बढ़ा दिया है। पलवशा का बयान न केवल भारत की संप्रभुता पर सवाल उठाता है, बल्कि धार्मिक भावनाओं को भी भड़काने की कोशिश करता है।
भारत ने हमेशा से पाकिस्तान को आतंकवाद के मुद्दे पर घेरा है, और इस बयान ने भारत को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपनी स्थिति को और मजबूत करने का मौका दिया है। दूसरी ओर, पाकिस्तान में इस तरह के बयान आंतरिक राजनीति को साधने के लिए दिए जा रहे हैं, लेकिन ये वैश्विक स्तर पर उसकी छवि को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
पलवशा मोहम्मद ज़ई खान का बयान भारत-पाकिस्तान के बीच पहले से ही तनावपूर्ण संबंधों में एक नया विवाद जोड़ने वाला साबित हुआ है। उनके इस बयान ने न केवल भारत में आक्रोश पैदा किया, बल्कि पाकिस्तान की आंतरिक राजनीति और सेना की रणनीति पर भी सवाल उठाए हैं।
ऐसे समय में, जब दोनों देशों को शांति और बातचीत की जरूरत है, इस तरह के उकसावे वाले बयान स्थिति को और बिगाड़ सकते हैं। भारत ने इस बयान को गंभीरता से नहीं लिया, लेकिन यह स्पष्ट है कि दोनों देशों के बीच विश्वास की कमी अभी भी बरकरार है।
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