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नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क । पाकिस्तान की सैन्य और राजनीतिक गलियारों में जनरल सैयद आसिम मुनीर का नाम आजकल सुर्खियों में है। एक ओर जहां उनकी धार्मिक छवि और कट्टर बयानबाजी चर्चा का विषय बनी हुई है, वहीं दूसरी ओर उनकी सैन्य रणनीति और भारत के प्रति आक्रामक रुख ने उन्हें विवादों के केंद्र में ला खड़ा किया है।
आखिर कौन हैं आसिम मुनीर, जिन्हें 'मुल्ला जनरल' जैसे उपनामों से नवाजा जा रहा है? उनकी कहानी क्या है, और कैसे उन्होंने पाकिस्तानी सेना के शीर्ष पद तक का सफर तय किया? आइए, इस कहानी को करीब से जानते हैं।
शुरुआती जीवन और सैन्य करियर की नींव
आसिम मुनीर का जन्म 1968 में रावलपिंडी में एक पंजाबी परिवार में हुआ था। उनके परिवार की जड़ें भारत के पंजाब प्रांत के जालंधर में थीं, जहां से उनके माता-पिता 1947 के भारत-पाकिस्तान बंटवारे के बाद पाकिस्तान चले गए। उनके पिता, सैयद सरवर मुनीर, एक इमाम और शिक्षक थे, जिन्होंने आसिम को धार्मिक शिक्षा के साथ-साथ कुरान की गहरी समझ दी। आसिम ने सऊदी अरब में लेफ्टिनेंट कर्नल के रूप में तैनाती के दौरान कुरान को पूरी तरह याद किया, जिसके कारण उनका परिवार 'हाफिज परिवार' के रूप में जाना जाता है।
आसिम ने अपनी सैन्य शिक्षा मंगला के ऑफिसर्स ट्रेनिंग स्कूल से शुरू की और बाद में पाकिस्तान मिलिट्री अकादमी, अब्बोटाबाद से प्रशिक्षण लिया। 1986 में अपने सैन्य करियर की शुरुआत करने वाले मुनीर ने फ्रंटियर फोर्स रेजिमेंट की 23वीं बटालियन में कमीशन प्राप्त किया।
उनकी प्रतिभा और समर्पण ने उन्हें जल्द ही 'स्वॉर्ड ऑफ ऑनर' जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कार दिलाए। उन्होंने नेशनल डिफेंस यूनिवर्सिटी, मलेशियाई सशस्त्र बल कॉलेज, और जापान के फूजी स्कूल से भी शिक्षा प्राप्त की, जो उनके सैन्य और रणनीतिक ज्ञान को दर्शाता है।
सैन्य खुफिया और आईएसआई की कमान
आसिम मुनीर का करियर तब चर्चा में आया जब उन्होंने पाकिस्तान की सैन्य खुफिया और इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) जैसे महत्वपूर्ण पदों पर काम किया। 2017 में वह सैन्य खुफिया के महानिदेशक बने और 2018 में आईएसआई के 23वें महानिदेशक नियुक्त हुए।
हालांकि, उनका आईएसआई प्रमुख के रूप में कार्यकाल सबसे छोटा रहा, क्योंकि तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ मतभेदों के चलते उन्हें हटा दिया गया। सूत्रों के अनुसार, मुनीर ने इमरान खान की पत्नी बुशरा बीबी के परिवार की कथित भ्रष्टाचार की गतिविधियों को उजागर किया था, जिसके बाद उनकी इमरान से दुश्मनी गहरी हो गई।
इसके बाद मुनीर को गुजरांवाला में कोर का कमांडर बनाया गया और फिर जीएचक्यू में क्वार्टरमास्टर जनरल के रूप में तैनात किया गया। 2022 में, प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने उन्हें पाकिस्तानी सेना का 11वां प्रमुख नियुक्त किया, जिसके बाद उनकी छवि एक मजबूत और धार्मिक नेता के रूप में उभरी।
टू-नेशन थ्योरी और भारत के प्रति रुख
आसिम मुनीर की हालिया बयानबाजी ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बना दिया है। अप्रैल 2025 में इस्लामाबाद में आयोजित प्रवासी पाकिस्तानी सम्मेलन में उन्होंने 'टू-नेशन थ्योरी' को जोर-शोर से उठाया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के बच्चों को यह सिखाना चाहिए कि हिंदू और मुस्लिम दो अलग-अलग राष्ट्र हैं, और यही थ्योरी पाकिस्तान की नींव है। उनके इस बयान की भारत में कड़ी आलोचना हुई, और इसे भारत-पाक संबंधों में तनाव बढ़ाने वाला माना गया।
मुनीर ने कश्मीर को पाकिस्तान की 'जुगुलर वेन' (जीवन रेखा) करार दिया और भारत के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाया। उनके इस बयान के कुछ ही दिनों बाद, 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में एक आतंकी हमला हुआ, जिसमें 26 लोगों की मौत हो गई। इस हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान पर आतंकवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाया, जबकि पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने इन आरोपों से इनकार किया।
मुनीर के खिलाफ भड़का गुस्सा
पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान में भी मुनीर के खिलाफ गुस्सा भड़क उठा। सोशल मीडिया पर #ResignAsimMunir जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे, और कई लोगों ने उन्हें हमले का जिम्मेदार ठहराया। पूर्व सैन्य अधिकारी आदिल राजा ने तो यहां तक आरोप लगाया कि मुनीर ने आईएसआई को इस हमले का आदेश दिया था। इमरान खान के समर्थकों ने भी मुनीर की आलोचना की और उनकी सैन्य नीतियों को देश के लिए खतरनाक बताया।
मुनीर की धार्मिक छवि और कट्टर बयानबाजी ने उन्हें 'मुल्ला जनरल' का उपनाम दिलाया है। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि वह अपनी धार्मिक छवि का इस्तेमाल देश को एकजुट करने और सेना की छवि को मजबूत करने के लिए कर रहे हैं। हालांकि, उनकी नीतियां और बयानबाजी पाकिस्तान के आर्थिक संकट और बलूचिस्तान जैसे आंतरिक मुद्दों से ध्यान हटाने की कोशिश के रूप में भी देखी जा रही हैं।
आसिम मुनीर के सामने कई चुनौतियां हैं। एक ओर, उन्हें बलूचिस्तान में बढ़ते विद्रोह और तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) जैसे आतंकी संगठनों से निपटना है। दूसरी ओर, भारत के साथ बढ़ता तनाव और आर्थिक संकट उनके लिए सिरदर्द बना हुआ है। उनकी नीतियां और बयानबाजी क्या पाकिस्तान को एकजुट कर पाएंगी या इसे और अस्थिरता की ओर ले जाएंगी, यह भविष्य बताएगा।
जनरल आसिम मुनीर एक ऐसे सैन्य नेता हैं, जिनकी धार्मिक और कट्टर छवि ने उन्हें पाकिस्तान में एक अलग पहचान दी है। उनकी टू-नेशन थ्योरी और भारत विरोधी बयानबाजी ने जहां उन्हें समर्थन दिलाया, वहीं विवादों को भी जन्म दिया।
एक सैन्य कमांडर, धार्मिक विद्वान, और रणनीतिकार के रूप में उनकी यात्रा पाकिस्तान की जटिल सैन्य और राजनीतिक गतिशीलता को दर्शाती है। क्या वह अपने देश को एकजुट कर पाएंगे, या उनकी नीतियां और विवाद उन्हें और आलोचनाओं के घेरे में लाएंगे, यह देखना बाकी है। breaking news india pakistan | Current Affairs India Pakistan | india pakistan latest tension | India Pakistan Nuclear War |