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पाकिस्तान में कैसे फंसा BSF जवान? जानें सीमा पार करने की कहानी

पंजाब के फिरोजपुर जिले में बीएसएफ जवान पीके सिंह को पाकिस्तानी रेंजर्स ने 23 अप्रैल को हिरासत में लिया, जब वे अनजाने में जीरो लाइन पार कर गए थे।

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Ajit Kumar Pandey
BSF JAWAN
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नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क । पंजाब के फिरोजपुर जिले में भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा पर हाल ही में एक ऐसी घटना घटी, जिसने दोनों देशों के बीच तनाव को और बढ़ा दिया। सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के जवान पीके सिंह, जो 182वीं बटालियन में तैनात थे, को 23 अप्रैल 2025 को पाकिस्तानी रेंजर्स ने हिरासत में ले लिया।

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यह घटना तब हुई जब सिंह अनजाने में जीरो लाइन पार कर पाकिस्तानी क्षेत्र में चले गए। इस घटना ने न केवल स्थानीय लोगों में हलचल मचाई, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी चर्चा का विषय बन गई। आइए इस घटना के हर पहलू, इसके कारणों, प्रभावों और चल रहे प्रयासों को विस्तार से समझते हैं...

ऐसे हुई थी बॉर्डर पर घटना

23 अप्रैल 2025 को सुबह के समय, फिरोजपुर के ममदोट सेक्टर में बीएसएफ की जलोके दोना पोस्ट के पास यह घटना घटी। बीएसएफ सूत्रों के अनुसार, जवान पीके सिंह उस समय ड्यूटी पर थे, जब वे स्थानीय किसानों की निगरानी कर रहे थे। ये किसान सीमा पर तारबंदी के पास अपने खेतों में फसल काट रहे थे, जो भारतीय क्षेत्र में ही था। जवान पीके सिंह, जो हाल ही में श्रीनगर से स्थानांतरित होकर फिरोजपुर आए थे, को इस क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति की पूरी जानकारी नहीं थी।

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सूत्रों के मुताबिक, पीके सिंह ने गर्मी से राहत पाने के लिए एक पेड़ की छाया में विश्राम करने का फैसला किया। अनजाने में, वे जीरो लाइन को पार कर पाकिस्तानी क्षेत्र में प्रवेश कर गए। जीरो लाइन, जो भारत और पाकिस्तान के बीच की अंतरराष्ट्रीय सीमा को चिह्नित करती है, कई स्थानों पर स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देती। इस क्षेत्र में सीमा को चिह्नित करने के लिए खंभे लगाए गए हैं, लेकिन नए जवानों के लिए इसे समझना कभी-कभी मुश्किल हो जाता है।

पाकिस्तानी रेंजर्स ने जवान पीके सिंह को देखते ही उन्हें हिरासत में ले लिया। उस समय वह अपनी वर्दी में थे और उनके पास एक एके-47 राइफल और एक पानी की बोतल थी। रेंजर्स ने उनकी राइफल जब्त कर ली और उन्हें सीमा चौकी से दूर ले गए। खबरों के अनुसार, पाकिस्तानी रेंजर्स ने जवान पीके सिंह की आंखों पर पट्टी बांधकर उनकी तस्वीरें भी जारी कीं, जिससे भारत में उनके परिवार में चिंता बढ़ गई।

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परिवार की व्यथा, जानें पत्नी ने क्या कहा...

जवान पीके सिंह, जो पश्चिम बंगाल के हुगली जिले के रहने वाले हैं, के परिवार को इस घटना की जानकारी 24 अप्रैल को मिली। उनकी पत्नी, रजनी साहू, इस खबर से पूरी तरह टूट गईं। समाचार चैनलों और सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीरों में जवान पीके सिंह को आंखों पर पट्टी बांधे देखकर परिवार का दुख और गहरा गया।

रजनी ने मीडिया से बात करते हुए कहा, "मेरा पति देश की सेवा के लिए सीमा पर गया था। उसे अनजाने में हुई गलती की इतनी बड़ी सजा नहीं मिलनी चाहिए। मैं सरकार से अनुरोध करती हूं कि उसे जल्द से जल्द वापस लाया जाए।"

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जवान पीके सिंह के परिवार में उनकी पत्नी के अलावा दो छोटे बच्चे और बुजुर्ग माता-पिता हैं। परिवार ने सरकार और बीएसएफ अधिकारियों से तत्काल कार्रवाई की मांग की है। स्थानीय समुदाय ने भी जवान पीके सिंह की रिहाई के लिए समर्थन जुटाना शुरू कर दिया है। सोशल मीडिया पर #BringBackPKSingh हैशटैग के साथ कई पोस्ट वायरल हो रही हैं, जिनमें लोग सरकार से इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग कर रहे हैं।

बीएसएफ और सरकार के प्रयास जारी

घटना के तुरंत बाद, बीएसएफ ने पाकिस्तानी रेंजर्स के साथ एक फ्लैग मीटिंग का आयोजन करने की कोशिश की। 24 अप्रैल को सुबह होने वाली यह मीटिंग, जिसमें जवान पीके सिंह की रिहाई पर चर्चा होनी थी, पाकिस्तानी पक्ष के शामिल न होने के कारण रद्द हो गई। इसके बाद, 25 और 26 अप्रैल को दो और फ्लैग मीटिंग आयोजित की गईं, लेकिन पाकिस्तानी अधिकारियों ने जवान पीके सिंह को रिहा करने से इनकार कर दिया।

बीएसएफ के डायरेक्टर जनरल, दलजीत सिंह चौधरी ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए 25 अप्रैल की शाम को केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन से बात की। सूत्रों के अनुसार, बीएसएफ ने इस मामले को राजनयिक स्तर पर उठाने का फैसला किया है। भारत सरकार ने पाकिस्तान के उच्चायोग के माध्यम से इस मुद्दे को उठाया और जवान पीके सिंह की तत्काल रिहाई की मांग की।

भारत-पाक सीमा पर तनाव का इतिहास

भारत और पाकिस्तान के बीच 3,323 किलोमीटर लंबी सीमा, जो जम्मू-कश्मीर, पंजाब, राजस्थान और गुजरात से होकर गुजरती है, हमेशा से तनाव का केंद्र रही है। बीएसएफ इस सीमा की प्राथमिक रक्षक है, और हर साल दोनों पक्षों के बीच छोटी-मोटी झड़पें और गलतफहमियां होती रहती हैं। आंकड़ों के अनुसार, 2023 और 2024 में भारत-पाक सीमा पर कम से कम 15 ऐसी घटनाएं हुईं, जिनमें सैनिकों या नागरिकों ने अनजाने में सीमा पार की और दूसरी ओर से हिरासत में लिया गया।

हाल ही में, 5 अप्रैल 2025 को जम्मू के आरएस पुरा सेक्टर में बीएसएफ ने एक पाकिस्तानी घुसपैठिए को मार गिराया था। इस घटना के बाद भी दोनों पक्षों के बीच फ्लैग मीटिंग हुई थी, लेकिन पाकिस्तानी रेंजर्स ने घुसपैठिए का शव लेने से इनकार कर दिया था। इन घटनाओं से साफ है कि दोनों देशों के बीच विश्वास की कमी अभी भी बरकरार है।

पहलगाम हमले का प्रभाव

यह घटना ऐसे समय में हुई है, जब जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने दोनों देशों के बीच तनाव को और बढ़ा दिया है। 24 अप्रैल 2025 को हुए इस हमले में 26 लोगों की जान गई थी। भारत ने इस हमले के लिए पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठनों को जिम्मेदार ठहराया है। पाकिस्तान के उपप्रधानमंत्री ने इस हमले के हमलावरों को "स्वतंत्रता सेनानी" कहकर विवाद को और हवा दी।

इस पृष्ठभूमि में, पीके सिंह की हिरासत को कई विश्लेषकों ने दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव से जोड़ा है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान इस घटना का इस्तेमाल भारत पर दबाव बनाने के लिए कर सकता है।

घटना की तारीख: 23 अप्रैल 2025

स्थान: फिरोजपुर, पंजाब (ममदोट सेक्टर, जलोके दोना पोस्ट)

जवान का नाम: पीके सिंह

बटालियन: 182वीं बीएसएफ बटालियन

हिरासत की अवधि: 72 घंटे से अधिक (26 अप्रैल 2025 तक)

फ्लैग मीटिंग: 3 (24, 25, और 26 अप्रैल को)

हथियार: एके-47 राइफल (जब्त)

परिवार: पत्नी (रजनी साहू), दो बच्चे, बुजुर्ग माता-पिता

सीमा की लंबाई: 3,323 किलोमीटर

पिछली घटनाएं: 2023-2024 में 15 सीमा पार करने की घटनाएं

इस घटना के कई संभावित परिणाम हो सकते हैं। पहला, यदि राजनयिक प्रयास सफल होते हैं, तो सिंह को जल्द ही रिहा किया जा सकता है। दूसरा, यदि पाकिस्तान इस मामले को लंबा खींचता है, तो यह दोनों देशों के बीच तनाव को और बढ़ा सकता है। तीसरा, इस घटना से सीमा पर तैनात जवानों के लिए बेहतर प्रशिक्षण और जागरूकता कार्यक्रमों की आवश्यकता पर बल पड़ सकता है।

बीएसएफ ने पहले ही इस मामले की जांच शुरू कर दी है और यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि जवान पीके सिंह ने अनजाने में सीमा कैसे पार की। साथ ही, भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सीमा पर और अधिक स्पष्ट चिह्न और निगरानी प्रणाली स्थापित करने की योजना बनाई जा रही है।

पीके सिंह की हिरासत की घटना भारत-पाकिस्तान सीमा पर मौजूद जटिलताओं और तनाव का एक और उदाहरण है। यह न केवल एक सैनिक और उसके परिवार की कहानी है, बल्कि दो देशों के बीच विश्वास और सहयोग की कमी को भी दर्शाता है।

भारत सरकार और बीएसएफ के प्रयासों के बावजूद, जवान पीके सिंह की रिहाई अभी तक नहीं हो पाई है। इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल उठाया है कि क्या दोनों देश छोटी-मोटी गलतफहमियों को सुलझाने के लिए बेहतर तंत्र विकसित कर सकते हैं।

जवान पीके सिंह के परिवार और उनके समर्थकों की उम्मीद अब सरकार और अंतरराष्ट्रीय समुदाय पर टिकी है। इस बीच, यह घटना हमें याद दिलाती है कि सीमा पर तैनात हमारे जवान हर दिन कितने जोखिमों का सामना करते हैं। उनकी सुरक्षा और सम्मान हम सभी की जिम्मेदारी है। BSF | India Pakistan Tension |

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