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नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क । भारतीय नौसेना ने एक बार फिर अपनी ताकत का परिचय देते हुए घातक INS विक्रांत कैरियर स्ट्राइक ग्रुप (CSG) को अरब सागर के करवार तट पर तैनात कर दिया है। यह कदम न सिर्फ भारत की समुद्री सुरक्षा को मजबूत करता है, बल्कि इस क्षेत्र में चीन और पाकिस्तान जैसे देशों के लिए एक स्पष्ट चेतावनी भी है।
INS विक्रांत, जो भारत का पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत है, अपने साथ लड़ाकू विमानों, युद्धपोतों और पनडुब्बियों की एक शक्तिशाली टीम लेकर आया है, जो किसी भी दुश्मन के लिए खतरनाक साबित हो सकती है। इस रणनीतिक तैनाती का मकसद अरब सागर में भारत की उपस्थिति को और मजबूत करना है, जहां पाकिस्तान की घुसपैठ और समुद्री अस्थिरता के खतरे लगातार बढ़ रहे हैं।
विक्रांत CSG में शामिल मिग-29K लड़ाकू विमान, स्टील्थ फ्रिगेट्स और एडवांस्ड सबमरीन हंटर्स भारत की नौसैन्य क्षमता को एक नए स्तर पर ले जाते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम भारत की "समुद्र में शांति" (SAGAR - Security and Growth for All in the Region) की नीति को साकार करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
अगर दुश्मनों ने भारत की ताकत को कम आंका था, तो INS विक्रांत की यह तैनाती उनकी गलती साबित कर देगी! यह मिशन साबित करता है कि भारत अब किसी भी चुनौती का जवाब देने के लिए पूरी तरह तैयार है। आइए, हम INS विक्रांत कैरियर स्ट्राइक ग्रुप की ताकत, संरचना, और इसकी रणनीतिक महत्ता को विस्तार से समझते हैं...
INS विक्रांत: भारत का स्वदेशी गौरव
INS विक्रांत भारत का पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत है, जिसे कोचिन शिपयार्ड लिमिटेड (CSL) में डिजाइन और निर्मित किया गया है। इसका निर्माण 2009 में शुरू हुआ और इसे सितंबर 2022 में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया।
यह पोत 262 मीटर लंबा, 62 मीटर चौड़ा है और इसका वजन लगभग 45,000 टन है। यह भारत की स्वदेशी तकनीकी क्षमता और आत्मनिर्भरता का प्रतीक है।
INS विक्रांत का नाम ऐतिहासिक महत्व रखता है, क्योंकि यह 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले पहले INS विक्रांत की विरासत को आगे बढ़ाता है।
विक्रांत को STOBAR (शॉर्ट टेक-ऑफ बट अरेस्टेड रिकवरी) तकनीक के साथ डिजाइन किया गया है, जो इसे विभिन्न प्रकार के लड़ाकू विमानों को संचालित करने में सक्षम बनाता है।
इसकी डेक पर 30 से अधिक विमान और हेलीकॉप्टर तैनात किए जा सकते हैं, जिसमें मिग-29के, राफेल-एम, और स्वदेशी तेजस नौसेना संस्करण शामिल हैं। इसके अलावा, इसमें कामोव-31 और MH-60R सीहॉक जैसे हेलीकॉप्टर भी हैं, जो पनडुब्बी-रोधी और खोज-बचाव अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
कैरियर स्ट्राइक ग्रुप: एक अजेय संयोजन
INS विक्रांत अकेले नहीं लड़ता: यह एक कैरियर स्ट्राइक ग्रुप (CSG) का नेतृत्व करता है, जो विभिन्न युद्धपोतों, पनडुब्बियों, और सहायक जहाजों का एक संगठित समूह है। यह समूह एक सामुद्रिक किले की तरह कार्य करता है, जो किसी भी खतरे को तुरंत जवाब देने में सक्षम है। कैरियर स्ट्राइक ग्रुप की संरचना इस प्रकार है:
विमानवाहक पोत (INS विक्रांत): यह CSG का केंद्रबिंदु है, जो हवाई शक्ति प्रदान करता है। इसके विमान दुश्मन के ठिकानों, जहाजों, और हवाई लक्ष्यों को नष्ट करने में सक्षम हैं।
डिस्ट्रॉयर: कोलकाता-श्रेणी और दिल्ली-श्रेणी के विध्वंसक CSG को हवाई और सतह-आधारित खतरों से बचाते हैं। ये जहाज ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों और बराक-8 सतह-से-हवा मिसाइलों से लैस हैं।
फ्रिगेट: तलवार-श्रेणी और शिवालिक-श्रेणी के फ्रिगेट पनडुब्बी-रोधी युद्ध और सतह-आधारित हमलों में विशेषज्ञता रखते हैं।
पनडुब्बियां: कलवरी-श्रेणी की पनडुब्बियां CSG को गुप्त हमले और टोही मिशनों में सहायता प्रदान करती हैं। ये पनडुब्बियां टॉरपीडो और एक्सोसेट मिसाइलों से लैस हैं।
सहायक जहाज: रसद और आपूर्ति जहाज CSG को लंबे समय तक समुद्र में संचालन के लिए ईंधन, भोजन, और गोला-बारूद प्रदान करते हैं।
यह संयोजन INS विक्रांत को एक गतिशील और बहुआयामी युद्ध मंच बनाता है, जो हवा, सतह, और पानी के नीचे के खतरों से निपट सकता है।
हथियार और तकनीकी क्षमता
INS विक्रांत कैरियर स्ट्राइक ग्रुप की ताकत इसके उन्नत हथियारों और तकनीकी प्रणालियों में निहित है। इसके कुछ प्रमुख हथियार और प्रणालियाँ निम्नलिखित हैं...
मिग-29के और राफेल-एम: ये लड़ाकू विमान हवा-से-हवा और हवा-से-जमीन मिशनों में सक्षम हैं। राफेल-एम विशेष रूप से अपनी लंबी दूरी की मिसाइलों और सटीक हमलों के लिए जाना जाता है।
ब्रह्मोस मिसाइल: CSG के विध्वंसक और फ्रिगेट ब्रह्मोस मिसाइलों से लैस हैं, जो 400 किलोमीटर तक की दूरी पर सटीक हमले कर सकती हैं।
बराक-8 मिसाइल: यह हवाई रक्षा प्रणाली दुश्मन के विमानों और मिसाइलों को नष्ट करने में सक्षम है।
रडार सिस्टम: विक्रांत पर लगे MF-STAR रडार और EL/M-2248 रडार सैकड़ों किलोमीटर की दूरी पर लक्ष्यों का पता लगाने और ट्रैक करने में सक्षम हैं।
पनडुब्बी-रोधी हथियार: टॉरपीडो, सोनार सिस्टम, और MH-60R हेलीकॉप्टर CSG को पनडुब्बी हमलों से बचाते हैं।
इसके अतिरिक्त, CSG में एकीकृत कमांड और कंट्रोल सिस्टम हैं, जो सभी जहाजों और विमानों को एक साथ जोड़ते हैं, जिससे रीयल-टाइम में रणनीतिक निर्णय लिए जा सकते हैं।
INS विक्रांत कैरियर स्ट्राइक ग्रुप का रणनीतिक महत्व केवल युद्ध की स्थिति तक सीमित नहीं है। यह भारत की सामुद्रिक नीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो हिंद महासागर क्षेत्र में शक्ति संतुलन बनाए रखने और भारत के हितों की रक्षा करने पर केंद्रित है। इसके कुछ प्रमुख रणनीतिक लाभ निम्नलिखित हैं...
क्षेत्रीय प्रभुत्व: हिंद महासागर में भारत की उपस्थिति को मजबूत करने के लिए INS विक्रांत CSG एक महत्वपूर्ण उपकरण है। यह क्षेत्र में अन्य नौसेनाओं, विशेष रूप से चीन की बढ़ती उपस्थिति, को संतुलित करता है।
निवारक शक्ति: CSG की ताकत संभावित विरोधियों के लिए एक मजबूत निवारक के रूप में कार्य करती है। यह किसी भी आक्रामक कार्रवाई को हतोत्साहित करता है।
संकट प्रबंधन: प्राकृतिक आपदाओं या मानवीय संकटों में CSG त्वरित सहायता प्रदान कर सकता है, जैसा कि भारतीय नौसेना ने पहले सुनामी और चक्रवातों के दौरान किया है।
वैश्विक सहयोग: INS विक्रांत CSG भारत को अन्य नौसेनाओं, जैसे अमेरिका, फ्रांस, और जापान, के साथ संयुक्त अभ्यास और सहयोग के लिए एक मंच प्रदान करता है।
हाल की तैनाती और सामरिक स्थिति
हाल ही में, जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारतीय नौसेना ने INS विक्रांत को अरब सागर में करवर तट के पास तैनात किया है। यह तैनाती भारत की ओर से एक मजबूत संदेश है कि वह किसी भी उकसावे का कड़ा जवाब देने के लिए तैयार है।
अरब सागर में विक्रांत की उपस्थिति न केवल सामरिक दबाव बनाती है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करती है कि भारत की समुद्री सीमाएं सुरक्षित रहें।
CSG की तैनाती ने क्षेत्रीय तनाव को और बढ़ा दिया है, विशेष रूप से भारत-पाकिस्तान संबंधों के संदर्भ में। हालांकि, यह भारत की रक्षा नीति का हिस्सा है, जो न केवल जवाबी कार्रवाई पर, बल्कि निवारक उपायों पर भी जोर देती है।
INS विक्रांत की ताकत और इसकी त्वरित तैनाती की क्षमता इसे एक ऐसी शक्ति बनाती है, जो किसी भी संभावित खतरे को तुरंत बेअसर कर सकती है।
INS विक्रांत और इसका कैरियर स्ट्राइक ग्रुप भारत की नौसैनिक शक्ति का प्रतीक है। यह न केवल एक युद्ध मंच है, बल्कि भारत की तकनीकी प्रगति, रणनीतिक दृष्टि, और आत्मनिर्भरता का भी प्रमाण है।
अरब सागर और हिंद महासागर में इसकी उपस्थिति भारत को एक क्षेत्रीय महाशक्ति के रूप में स्थापित करती है, जो अपनी संप्रभुता और हितों की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकता है।
विक्रांत की ताकत केवल इसकी मिसाइलों, विमानों, या जहाजों तक सीमित नहीं है; यह भारत के साहस, संकल्प, और भविष्य के प्रति दृष्टिकोण में निहित है।
यह कैरियर स्ट्राइक ग्रुप न केवल भारत की नौसेना को एक नई ऊंचाई प्रदान करता है, बल्कि वैश्विक मंच पर भारत की स्थिति को भी मजबूत करता है। जैसे-जैसे भारत अपनी सामुद्रिक शक्ति को और विस्तार देगा, INS विक्रांत और इसका CSG निश्चित रूप से इस यात्रा में अग्रणी भूमिका निभाएगा। Indian Navy power | pakistan | china |