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भारत के बड़े एक्शन से हुक्का पानी बंद! क्या खेती, पीने के पानी और बिजली के लिए बेचैन होगा पाकिस्तान ?

भारत ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के खिलाफ सख्त कदम उठाए, जिसमें सिंधु जल समझौते को स्थगित करना शामिल है, जो पाकिस्तान की खेती और बिजली पर असर डाल सकता है।

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Ajit Kumar Pandey
SINDHI JAL SAMJHAUTA
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नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क । पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ सख्त कदम उठाए हैं। इनमें सबसे अहम है सिंधु जल समझौते को स्थगित करने का फैसला। यह समझौता पाकिस्तान की खेती, पीने के पानी और बिजली उत्पादन का आधार है। भारत और पाकिस्तान के बीच तीन युद्धों के बावजूद यह समझौता 1960 से लागू था। अब भारत ने इसे रोककर साफ संदेश दिया है कि आतंकवाद के मुद्दे पर कोई समझौता नहीं होगा।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) ने 5 बड़े फैसले लिए। इस लेख में हम इन फैसलों, उनके असर, सिंधु जल समझौते की स्थिति और पाकिस्तान के पास बचे विकल्पों को आसान भाषा में समझेंगे।

पहलगाम हमले के बाद भारत ने कौन-से 5 बड़े फैसले लिए ?

22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोग मारे गए। इसके बाद 23 अप्रैल को प्रधानमंत्री आवास पर CCS की ढाई घंटे की बैठक हुई। इसमें निम्नलिखित 5 फैसले लिए गए...

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सिंधु जल समझौता स्थगित: जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद को पूरी तरह बंद नहीं करता, भारत इस समझौते को रोक देगा।

अटारी-वाघा बॉर्डर बंद: भारत-पाकिस्तान के बीच एकमात्र जमीनी व्यापारिक रास्ता तुरंत बंद कर दिया गया। जो लोग चेकपोस्ट पार कर चुके हैं, उन्हें 1 मई 2025 तक वापस जाना होगा।

SAARC वीजा छूट रद्द: पाकिस्तानी नागरिकों को SAARC वीजा छूट के तहत भारत आने की अनुमति खत्म। पहले से जारी वीजा रद्द होंगे और भारत में मौजूद पाकिस्तानियों को 48 घंटे में देश छोड़ना होगा।

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उच्चायोग से सैन्य सलाहकारों की वापसी: दिल्ली में पाकिस्तानी उच्चायोग के सैन्य सलाहकारों को एक हफ्ते में भारत छोड़ना होगा। भारत भी अपने सलाहकारों को इस्लामाबाद से वापस बुलाएगा।

उच्चायोग कर्मचारियों की संख्या घटाई: दोनों देशों के उच्चायोग में कर्मचारियों की संख्या 55 से घटाकर 30 की जाएगी। यह नियम 1 मई 2025 से लागू होगा।

इन 5 फैसलों का क्या असर होगा ?

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ये फैसले भारत-पाकिस्तान के रिश्तों को नए निचले स्तर पर ले जाएंगे। BHU के प्रोफेसर प्रियंकर उपाध्याय कहते हैं कि भारत ने पाकिस्तान को साफ संदेश दिया है कि आतंकवाद अब बर्दाश्त नहीं होगा। इन फैसलों के असर इस प्रकार हैं...

1. सिंधु जल समझौता स्थगित करने का असर

  • पाकिस्तान की 90% खेती (4.7 करोड़ हेक्टेयर) सिंधु नदी प्रणाली पर निर्भर है।
  • वहां की अर्थव्यवस्था में कृषि की हिस्सेदारी 23% है और 68% ग्रामीण आबादी इससे जीविका चलाती है।
  • पानी की कमी से खेती, बिजली उत्पादन (मंगल और तारबेला बांधों पर 30-50% कमी) और उद्योग प्रभावित होंगे।
  • इससे पाकिस्तान की पहले से कमजोर अर्थव्यवस्था और बिगड़ सकती है।

2. अटारी-वाघा बॉर्डर बंद करने का असर

  • यह भारत-पाकिस्तान और भारत-अफगानिस्तान के बीच व्यापार का मुख्य रास्ता है। 2023-24 में यहां 3,886 करोड़ का व्यापार हुआ।
  • भारत से सोयाबीन, चिकन, सब्जियां, मिर्च, प्लास्टिक और पाकिस्तान से मेवे, खजूर, जिप्सम, नमक आदि का व्यापार रुक जाएगा।
  • इलाज के लिए भारत आने वाले 71,500 पाकिस्तानियों (2023-24) को दिक्कत होगी।

3. SAARC वीजा छूट रद्द करने का असर

  • राजनेता, पत्रकार, व्यापारी, खिलाड़ी आदि 24 श्रेणियों को बिना वीजा यात्रा की सुविधा थी, जो अब खत्म हो गई।
  • भारत में मौजूद पाकिस्तानियों को 48 घंटे में देश छोड़ना होगा।

4. सैन्य सलाहकारों की वापसी का असर

  • दोनों देशों के बीच सैन्य-कूटनीतिक रिश्ते खत्म हो जाएंगे।
  • सैन्य गतिविधियों और खुफिया जानकारी का आदान-प्रदान रुकने से गलतफहमियां और तनाव बढ़ सकता है।
  • छोटे टकराव बड़े संघर्ष में बदल सकते हैं।

5. उच्चायोग कर्मचारियों की संख्या घटाने का असर

  • वीजा, व्यापार और अन्य कूटनीतिक काम प्रभावित होंगे।
  • पाकिस्तानियों को भारत में वीजा लेना मुश्किल होगा, जिससे शिक्षा, स्वास्थ्य और पर्यटन क्षेत्र को नुकसान होगा।
  • पूर्व राजनयिक जेके त्रिपाठी कहते हैं कि सिंधु जल समझौता रोकना सबसे बड़ा फैसला है। इससे पाकिस्तान के पंजाब में खेती पर भारी संकट आएगा।

सिंधु जल समझौता क्या है ?

सिंधु नदी प्रणाली में 6 नदियां हैं: सिंधु, झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास, सतलुज। इसका क्षेत्र 11.2 लाख वर्ग किमी में फैला है, जिसमें...

  • 47% हिस्सा पाकिस्तान में,
  • 39% भारत में,
  • 8% चीन में,
  • 6% अफगानिस्तान में।

यहां 30 करोड़ लोग रहते हैं। 1947 के बंटवारे के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच पानी के बंटवारे पर विवाद शुरू हुआ। 1948 में भारत ने पानी रोका तो पाकिस्तान की 17 लाख एकड़ खेती बर्बाद हो गई। इसके बाद 1951-1960 तक वर्ल्ड बैंक की मध्यस्थता में बातचीत हुई।

19 सितंबर 1960 को कराची में भारत के पीएम जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान ने सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर किए। इसके तहत...

  • पूर्वी नदियां (रावी, ब्यास, सतलुज) भारत को मिलीं।
  • पश्चिमी नदियां (सिंधु, झेलम, चिनाब) पाकिस्तान को मिलीं।
  • क्या भारत ने समझौता रद्द किया या सिर्फ रोका?
  • 23 अप्रैल 2025 को विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद को पूरी तरह बंद नहीं करता, तब तक समझौता स्थगित रहेगा।

जानकार कहते हैं कि भारत ने समझौते से खुद को अलग कर लिया है, लेकिन पानी रोकने के लिए बांध, नहर या अन्य ढांचे बनाने में समय लगेगा। उनका मानना है कि पाकिस्तान का सिस्टम आतंकवाद को रोकने में सक्षम नहीं है, इसलिए समझौता जल्द बहाल होने की उम्मीद कम है।

क्या भारत रातोंरात पानी रोक सकता है ?

सिंधु जल समझौता एक स्थायी संधि है, जिसे एकतरफा रद्द नहीं किया जा सकता। लेकिन स्ट्रैटजी एनालिस्ट ब्रह्मा चेल्लानी कहते हैं कि वियना संधि (धारा 62) के तहत भारत आतंकवाद का हवाला देकर इससे पीछे हट सकता है।  India Pakistan Relations |

भारत के मौजूदा प्रोजेक्ट

  • पूर्वी नदियों पर भारत ने भाखड़ा नंगल, पोंग, रंजीत सागर बांध, हरिके बैराज और इंदिरा नहर बनाई है। इनसे 94% पानी का उपयोग हो रहा है।
  • 2019 के उरी हमले के बाद भारत ने शाहपुर कांडी, सतलुज-ब्यास लिंक और उझ डैम शुरू किए, जो अभी पूरे नहीं हुए।
  • पश्चिमी नदियों पर बगलीहार, रतले, पाकल दुल और किशनगंगा प्रोजेक्ट हैं। इनमें बगलीहार और किशनगंगा चालू हैं।
  • पानी रोकने के लिए बड़े बांध और ढांचे चाहिए। रातोंरात पानी रोकना संभव नहीं है, क्योंकि इससे भारत के पंजाब और जम्मू-कश्मीर में बाढ़ का खतरा हो सकता है। पश्चिमी नदियों में सिंधु प्रणाली का 80% पानी है, जिसे मोड़ना चुनौतीपूर्ण है।

तीन युद्धों के बावजूद समझौता क्यों बरकरार रहा ?

प्रोफेसर राजन कुमार कहते हैं कि यह समझौता दुनिया की सबसे मजबूत द्विपक्षीय संधियों में से एक है। इसे बरकरार रखने की वजहें...

वर्ल्ड बैंक की मध्यस्थता: 1960 में वर्ल्ड बैंक ने समझौता करवाया और इसकी गारंटी दी।

दोनों देशों की जरूरत: पाकिस्तान की 90% खेती और भारत की कुछ खेती इस पानी पर निर्भर है।

युद्धकाल में भी लागू: यह एक ट्रांसबाउंड्री संधि है, जिसे युद्ध में भी हथियार नहीं बनाया जा सकता।

सिंधु आयोग: दोनों देशों के बीच हर साल मीटिंग और जानकारी साझा करने का मंच।

भारत की अंतरराष्ट्रीय साख: भारत ने वैश्विक छवि बनाए रखने के लिए इसे नहीं तोड़ा।

पाकिस्तान के पास क्या हैं सीमित विकल्प 

वर्ल्ड बैंक से शिकायत: समझौते में वर्ल्ड बैंक मध्यस्थ है। पाकिस्तान इसकी मदद ले सकता है।

अंतरराष्ट्रीय मंच: संयुक्त राष्ट्र या अन्य मंचों पर मुद्दा उठा सकता है। लेकिन प्रोफेसर राजन कुमार कहते हैं कि पहलगाम हमले के बाद वैश्विक समर्थन मिलना मुश्किल है।

चीन की मदद: जानकार बताते हैं कि चीन खुलकर समर्थन नहीं करेगा, लेकिन दबे-छुपे मदद दे सकता है।

पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पहले से कमजोर है। पानी की कमी से स्थिति और बिगड़ सकती है। आतंकवाद पर ठोस कदम उठाए बिना उसके लिए भारत से बातचीत की राह मुश्किल होगी।

भारत के इन फैसलों ने पाकिस्तान को कड़ा संदेश दिया है। सिंधु जल समझौता रोकना सबसे बड़ा कदम है, लेकिन पानी रोकने में समय और ढांचागत तैयारी चाहिए। पाकिस्तान के पास वर्ल्ड बैंक या चीन जैसे विकल्प हैं, लेकिन वैश्विक मंचों पर समर्थन मिलना मुश्किल है। भारत ने साफ कर दिया है कि आतंकवाद के मुद्दे पर अब कोई नरमी नहीं बरती जाएगी।

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