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'सुन लो मोदी'! बिलावल की गीदड़ भभकी 'नदी में या तो हमारा पानी बहेगा या भारत का खून'

पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो और आतंकी सरगना हाफिज सईद का भारत के खिलाफ भड़काऊ बयान भारत-पाक संबंधों में नए विवाद का कारण बन रहा है, जिससे अंतरराष्ट्रीय चिंता बढ़ी है।

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Ajit Kumar Pandey
PAKISTAN INDIA TENSION
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नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क । पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो-जरदारी और आतंकी सरगना हाफिज सईद ने हाल ही में भारत के खिलाफ एक भड़काऊ बयान दिया है, जिसने दोनों देशों के बीच तनाव को और बढ़ा दिया है।

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यह बयान भारत द्वारा सिंधु जल संधि (Indus Waters Treaty - IWT) को निलंबित करने के फैसले के जवाब में आया, जो 1960 में दोनों देशों के बीच हस्ताक्षरित एक महत्वपूर्ण जल-साझा समझौता है।

बिलावल और आतंकी सरगना हाफिज सईद ने कहा, “सिंधु नदी हमारी है और रहेगी। इस नदी में या तो हमारा पानी बहेगा, या उनका (भारत का) खून बहेगा।” यह बयान न केवल भारत-पाक संबंधों में एक नया विवाद पैदा कर रहा है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी चर्चा का विषय बन गया है। इस लेख में हम इस घटनाक्रम के विभिन्न पहलुओं, इसके ऐतिहासिक संदर्भ, और इसके संभावित परिणामों का विश्लेषण करेंगे।

पहलगाम हमले और भारत का जवाब

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यह विवाद हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए एक आतंकी हमले के बाद शुरू हुआ, जिसमें 26 लोग मारे गए, जिनमें अधिकांश नागरिक थे। इस हमले के लिए भारत ने पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया और इसके जवाब में कई कड़े कदम उठाए। इनमें शामिल हैं...

सिंधु जल संधि का निलंबन: भारत ने 23 अप्रैल, 2025 को इस संधि को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने की घोषणा की। यह फैसला विदेश सचिव विक्रम मिश्री ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में साझा किया, जिसमें उन्होंने कहा कि यह कदम पहलगाम हमले के जवाब में उठाया गया है।

कूटनीतिक संबंधों में कमी: भारत ने इस्लामाबाद के साथ कूटनीतिक संबंधों को और कम कर दिया, जिसमें पाकिस्तानी सैन्य अताशे को निष्कासित करना शामिल था।

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अटारी सीमा चौकी बंद: भारत ने अटारी एकीकृत जांच चौकी को बंद कर दिया, जो दोनों देशों के बीच व्यापार और आवाजाही का एक प्रमुख केंद्र था।

पाकिस्तानी नागरिकों पर प्रतिबंध: भारत ने सार्क वीजा छूट योजना (SVES) के तहत पाकिस्तानी नागरिकों के भारत में प्रवेश पर रोक लगा दी।

इन कदमों ने पाकिस्तान में तीखी प्रतिक्रिया को जन्म दिया, और बिलावल भुट्टो का बयान इसी का हिस्सा है।

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बिलावल भुट्टो और आतंकी सरगना हाफिज सईद का बयान: क्या है मंशा?

बिलावल भुट्टो और आतंकी सरगना हाफिज सईद ने भारत के खिलाफ अपने तीखे विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा, “मोदी को यह स्पष्ट रूप से सुन लेना चाहिए - सिंधु हमारा है, और यह हमारा ही रहेगा। या तो हमारा पानी बहेगा, या उनका खून।” उन्होंने भारत के संधि निलंबन के फैसले को “अवैध और अमानवीय” करार दिया और इसे अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा मान्यता प्राप्त समझौते का उल्लंघन बताया।

बिलावल और आतंकी सरगना हाफिज सईद ने यह भी आरोप लगाया कि भारत पहलगाम हमले का इस्तेमाल अपनी आंतरिक सुरक्षा विफलताओं से ध्यान हटाने के लिए कर रहा है। उन्होंने कहा, “जब भी कश्मीर में अशांति होती है, भारत अपनी कमजोरियों को छिपाने के लिए पाकिस्तान पर दोष मढ़ता है।”

सिंधु जल संधि: एक नजर में

सिंधु जल संधि 19 सितंबर, 1960 को भारत और पाकिस्तान के बीच विश्व बैंक की मध्यस्थता में हस्ताक्षरित एक ऐतिहासिक समझौता है। यह संधि सिंधु नदी प्रणाली की छह नदियों - सिंधु, झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास, और सतलुज - के जल के उपयोग और वितरण को नियंत्रित करती है। संधि के मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं...

जल वितरण: संधि के अनुसार, रावी, ब्यास, और सतलुज नदियों का जल मुख्य रूप से भारत के उपयोग के लिए है, जबकि सिंधु, झेलम, और चिनाब नदियों का जल पाकिस्तान के लिए आवंटित है।

विश्व बैंक की भूमिका: विश्व बैंक इस संधि का एक हस्ताक्षरकर्ता है और विवादों के समाधान के लिए तटस्थ विशेषज्ञ नियुक्त करने का अधिकार रखता है।

सहयोग का ढांचा: संधि में जल-साझा और सूचना विनिमय के लिए एक तंत्र स्थापित किया गया है, जो दोनों देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देता है।

पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था, विशेष रूप से इसकी कृषि, इन नदियों के जल पर बहुत अधिक निर्भर है। 2023 के आंकड़ों के अनुसार, पाकिस्तान की 90% से अधिक कृषि सिंधु नदी प्रणाली के जल पर निर्भर है, जो देश के 60% से अधिक रोजगार और 20% जीडीपी में योगदान देती है। भारत के लिए, ये नदियां जम्मू-कश्मीर और पंजाब जैसे राज्यों में जलविद्युत उत्पादन और सिंचाई के लिए महत्वपूर्ण हैं।

भारत का दृष्टिकोण: संधि निलंबन का औचित्य

भारत ने संधि के निलंबन को आतंकवाद के खिलाफ एक जवाबी कार्रवाई के रूप में उचित ठहराया है। गृह मंत्री अमित शाह ने 25 अप्रैल, 2025 को एक उच्च-स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की, जिसमें संधि के भविष्य पर चर्चा हुई। सरकार के सूत्रों के अनुसार, भारत अब निम्नलिखित कदमों पर विचार कर रहा है...

नदियों का पानी मोड़ना: भारत ने सिंधु नदी के पानी को रोकने के लिए नई परियोजनाओं की योजना बनाई है, जिसमें बांधों का विसिल्टिंग और नई जलाशय परियोजनाएं शामिल हैं।

जलविद्युत परियोजनाएं: भारत जम्मू-कश्मीर में चिनाब और झेलम नदियों पर नई जलविद्युत परियोजनाओं को तेज करने की योजना बना रहा है। 2024 तक, भारत ने इन नदियों पर 3,000 मेगावाट की जलविद्युत परियोजनाओं को पूरा किया था, और अगले पांच वर्षों में 5,000 मेगावाट और जोड़ने की योजना है।

पाकिस्तान को पानी की आपूर्ति रोकना: केंद्रीय मंत्री पाटिल ने दावा किया कि भारत यह सुनिश्चित करेगा कि सिंधु नदी का “एक बूंद पानी भी पाकिस्तान न जाए।”

जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी संधि को “जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए सबसे अनुचित दस्तावेज” करार दिया, यह कहते हुए कि इसने स्थानीय लोगों के हितों को नजरअंदाज किया।

पाकिस्तान की प्रतिक्रिया: एकता का आह्वान

बिलावल भुट्टो ने अपने बयान में पाकिस्तान के चारों प्रांतों - पंजाब, सिंध, खैबर पख्तूनख्वा, और बलूचिस्तान - की एकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “ये चार सूबे चार भाइयों जैसे हैं और मिलकर भारत के हर मंसूबे का करारा जवाब देंगे।” पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भी बिलावल के साथ एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस मुद्दे पर एकजुटता दिखाई। उन्होंने घोषणा की कि बिना सभी प्रांतों की सहमति के कोई नया नहर परियोजना शुरू नहीं की जाएगी।

पाकिस्तान ने भारत के इस कदम को “पानी का युद्ध” करार दिया है। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा कि देश की शीर्ष नागरिक और सैन्य नेतृत्व 24 अप्रैल, 2025 को एक बैठक करेगा ताकि भारत के कदमों का जवाब तैयार किया जा सके।

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया और कानूनी निहितार्थ

सिंधु जल संधि को विश्व बैंक द्वारा समर्थित एक अंतरराष्ट्रीय समझौता माना जाता है, और भारत के निलंबन के फैसले ने वैश्विक चिंता को जन्म दिया है। विश्व बैंक ने अभी तक इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि भारत का यह कदम संधि के प्रावधानों का उल्लंघन हो सकता है।

पाकिस्तानी वकील आयशा मलिक ने एक बयान में कहा, “भारत का यह कदम न केवल संधि के प्रावधानों के खिलाफ है, बल्कि यह मानवीय आधार पर भी गलत है, क्योंकि यह पाकिस्तान की लाखों लोगों की आजीविका को प्रभावित करेगा।” संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) ने भी पहलगाम हमले की निंदा की है, लेकिन संधि के मुद्दे पर अभी तक कोई टिप्पणी नहीं की है।

संभावित परिणाम और भविष्य

भारत के इस कदम के कई दीर्घकालिक परिणाम हो सकते हैं...

पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर प्रभाव: यदि भारत सिंधु नदी के पानी को रोकता है, तो पाकिस्तान की कृषि और खाद्य सुरक्षा पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। 2023 में, पाकिस्तान ने 80 मिलियन एकड़ से अधिक भूमि पर सिंचाई के लिए सिंधु नदी प्रणाली के पानी का उपयोग किया था।

क्षेत्रीय अस्थिरता: पानी का यह विवाद दोनों देशों के बीच सैन्य तनाव को बढ़ा सकता है। पाकिस्तान ने पहले ही संधि के निलंबन को “युद्ध का कार्य” करार दिया है।

अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता: विश्व बैंक या संयुक्त राष्ट्र जैसे संगठन इस विवाद में मध्यस्थता कर सकते हैं, लेकिन दोनों देशों के कड़े रुख को देखते हुए यह आसान नहीं होगा।

बिलावल भुट्टो का बयान और भारत का संधि निलंबन दोनों ही इस बात का संकेत हैं कि भारत-पाक संबंध एक बार फिर संकट के दौर में प्रवेश कर चुके हैं। सिंधु जल संधि, जो दशकों तक दोनों देशों के बीच सहयोग का प्रतीक रही, अब एक नए विवाद का केंद्र बन चुकी है।

इस स्थिति में, दोनों देशों को संयम और कूटनीति का सहारा लेना होगा ताकि क्षेत्रीय शांति और स्थिरता बनी रहे। अंतरराष्ट्रीय समुदाय की भूमिका भी इस विवाद को सुलझाने में महत्वपूर्ण होगी। India Pakistan Tension | pm modi | पीएम मोदी |

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