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नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क । भारत पाकिस्तान की सीमा पर गरजतीं तोपें, बॉर्डर पर रह रहकर मचल रहे दैत्याकार फाइटर जेट्स, बिहार की जनसभा में दिखा प्रधानमंत्री का आक्रोश, तीनों सेनाओं का युद्धाभ्यास और सर्वदलीय बैठक की एक जुटता इस बार कुछ अलग संदेश दे रहा है।
भारत के शांति संदेशों को कमजोरी समझने वाले पाकिस्तान को अबकी बार बड़ा सबक सिखाने की तैयारी साफ है। सरकार के रूख और तीनों सेनाओं की एक साथ सीमा पर बढ़ी चहलकदमी ने दुनियाभर को हिलाकर रख दिया है। भारत इस बार दुनियाभर डिप्लोमैट्स को अपने पक्ष में करने की जुगत में है। ताकि बढ़ते तनाव के बीच कोई भारत का विरोध ना करे।
आपको बता दें कि 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव को एक नए स्तर पर पहुंचा दिया है। इस हमले में 26 लोग, जिनमें ज्यादातर पर्यटक थे, मारे गए और कई घायल हुए।
भारत ने इस हमले के लिए पाकिस्तान-समर्थित आतंकवादी संगठनों को जिम्मेदार ठहराया, जबकि पाकिस्तान ने इन आरोपों को खारिज कर दिया। इस घटना के बाद दोनों देशों के बीच सैन्य और कूटनीतिक तनाव बढ़ गया है, जिसने एक संभावित युद्ध की आशंका को जन्म दिया है। आइए इस हमले के पीछे छिपी साजिशें, परिणामों, भारत-पाक युद्ध की संभावनाओं और परमाणु हथियारों की भूमिका का विश्लेषण करते हैं...
पहलगाम हमले का विवरण
पहलगाम के बैसरण घाटी में हुए इस हमले को कश्मीर में हाल के वर्षों में सबसे घातक आतंकी हमलों में से एक माना जा रहा है। आतंकवादी संगठन 'द रेसिस्टेंस फ्रंट' (TRF), जो लश्कर-ए-तैयबा (LeT) का एक सहयोगी माना जाता है, ने इस हमले की जिम्मेदारी ली।
भारतीय खुफिया एजेंसियों के अनुसार, इस हमले में शामिल आतंकवादियों में दो पाकिस्तानी नागरिक, हाशिम मूसा और अली भाई, शामिल थे, जबकि तीसरा आतंकी, अब्दुल हुसैन थोकर, अनंतनाग का निवासी था।
हमले में आतंकवादियों ने तीन अलग-अलग स्थानों पर गोलीबारी की, जिसके परिणामस्वरूप 26 लोगों की मौत हो गई। मृतकों में ज्यादातर पर्यटक थे, जो महाराष्ट्र, गुजरात, और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों से आए थे। इस हमले ने न केवल कश्मीर में पर्यटन को प्रभावित किया, बल्कि भारत-पाक संबंधों को भी गहरी चोट पहुँचाई।
भारत की प्रतिक्रिया
पहलगाम हमले के बाद भारत ने त्वरित और सख्त कदम उठाए। 23 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) की बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। इनमें शामिल हैं...
सिंधु जल संधि को निलंबित करना: भारत ने 1960 की सिंधु जल संधि को तत्काल प्रभाव से "निलंबित" कर दिया। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने इस निर्णय की घोषणा करते हुए कहा कि पाकिस्तान ने संधि की शर्तों का उल्लंघन किया है। इस कदम ने पाकिस्तान में गहरी चिंता पैदा की, क्योंकि सिंधु नदी प्रणाली पाकिस्तान की कृषि और जल आपूर्ति के लिए महत्वपूर्ण है।
कूटनीतिक संबंधों में कटौती: भारत ने अटारी सीमा को बंद कर दिया और इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायोग और नई दिल्ली में पाकिस्तानी उच्चायोग में कर्मचारियों की संख्या को 30 तक सीमित कर दिया। इसके अलावा, दोनों देशों के सैन्य सलाहकारों को निष्कासित कर दिया गया।
सैन्य कार्रवाई: हमले के तीन दिन बाद, 25-26 अप्रैल की रात को, नियंत्रण रेखा (LoC) पर पाकिस्तानी सेना की ओर से गोलीबारी शुरू की गई, जिसका भारतीय सेना ने जवाब दिया। भारतीय सेना ने उधमपुर और बांदीपोरा में आतंकवादियों के खिलाफ ऑपरेशन भी शुरू किए।
आतंकियों के ठिकानों पर कार्रवाई: सुरक्षा बलों ने हमले में शामिल संदिग्ध लश्कर आतंकियों के घरों को नष्ट कर दिया। अनंतनाग में आदिल थोकर और पुलवामा में आसिफ शेख के घरों को विस्फोटकों से उड़ा दिया गया।
पाकिस्तान का रुख
पाकिस्तान ने पहलगाम हमले में किसी भी तरह की संलिप्तता से इनकार किया है। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने एक साक्षात्कार में कहा कि भारत ने इस हमले को क्षेत्र में संकट पैदा करने के लिए "मंचित" किया है। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि पाकिस्तान ने पिछले तीन दशकों में आतंकवादी संगठनों को समर्थन दिया, लेकिन इसे "अमेरिका और पश्चिम के लिए गंदा काम" करार दिया।
पाकिस्तान ने भारत के कदमों को "कायराना" और "अनुचित" बताया और चेतावनी दी कि सिंधु जल संधि को निलंबित करना "युद्ध का कार्य" माना जाएगा। पाकिस्तानी सीनेट ने एक प्रस्ताव पारित कर भारत के आरोपों को "निराधार" बताया और किसी भी भारतीय कार्रवाई का जवाब देने की कसम खाई।
युद्ध की संभावनाएं
पहलगाम हमले ने भारत और पाकिस्तान के बीच एक पूर्ण युद्ध की आशंका को बढ़ा दिया है। दोनों देश परमाणु हथियारों से लैस हैं, जिसके कारण किसी भी सैन्य संघर्ष के वैश्विक परिणाम हो सकते हैं। आइए, इस संभावित युद्ध के विभिन्न पहलुओं का विश्लेषण करें...
सैन्य ताकत की तुलना
ग्लोबल फायरपावर इंडेक्स 2025 के अनुसार, भारत सैन्य शक्ति में विश्व में चौथे स्थान पर है, जबकि पाकिस्तान 12वें स्थान पर। यहाँ कुछ प्रमुख आंकड़े हैं...
रक्षा बजट: भारत वित्त वर्ष 2025-26 में रक्षा पर 79 अरब डॉलर खर्च कर रहा है, जबकि पाकिस्तान का रक्षा बजट लगभग 8.2 अरब डॉलर (2,281 अरब रुपये) है।
सैन्य बल: भारत के पास 14.5 लाख सक्रिय सैनिक और 25 लाख से अधिक अर्धसैनिक बल हैं, जबकि पाकिस्तान के पास 6.5 लाख सक्रिय सैनिक और 5 लाख अर्धसैनिक बल हैं।
वायुसेना: भारतीय वायुसेना के पास 2,200 से अधिक विमान हैं, जिनमें सुखोई-30, राफेल, और तेजस जैसे उन्नत लड़ाकू विमान शामिल हैं। पाकिस्तान के पास 800 विमान हैं, जिनमें जे-17 और एफ-16 प्रमुख हैं।
नौसेना: भारतीय नौसेना के पास 2 विमानवाहक पोत, 16 पनडुब्बियां और 140 युद्धपोत हैं, जबकि पाकिस्तान के पास 10 पनडुब्बियां और 30 युद्धपोत हैं।
परमाणु हथियारों की स्थिति
पाकिस्तान ने बार-बार परमाणु हथियारों का उपयोग करने की धमकी दी है, खासकर जब भारत के साथ तनाव बढ़ता है। स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) 2024 की रिपोर्ट के अनुसार...
भारत: 164 परमाणु हथियार, जिनमें अग्नि-5 जैसी अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलें शामिल हैं, जो 5,000 किमी तक मार कर सकती हैं।
पाकिस्तान: 170 परमाणु हथियार, जिनमें शाहीन-3 मिसाइलें शामिल हैं, जिनकी मारक क्षमता 2,750 किमी है।
हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि भारत की उन्नत मिसाइल रक्षा प्रणाली, जैसे कि पृथ्वी एयर डिफेंस और आकाश मिसाइल सिस्टम, पाकिस्तान के परमाणु हमलों को निष्प्रभावी करने में सक्षम हैं। इसके अलावा, भारत की दूसरी हमले की क्षमता (second-strike capability), जो परमाणु पनडुब्बियों जैसे INS अरिहंत पर आधारित है, पाकिस्तान के लिए एक बड़ा खतरा है।
युद्ध का स्वरूप
यदि भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध छिड़ता है, तो यह संभवतः निम्नलिखित रूप ले सकता है...
पारंपरिक युद्ध: भारत अपनी संख्यात्मक और तकनीकी श्रेष्ठता का उपयोग करके नियंत्रण रेखा पर तेजी से हमले कर सकता है। पूर्व वायुसेना प्रमुख अरूप राहा ने कहा कि भारत ने उरी (2016) और पुलवामा (2019) हमलों के बाद सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट हवाई हमले करके यह साबित किया है कि दो परमाणु शक्तियां पारंपरिक युद्ध लड़ सकती हैं।
समुद्री नाकाबंदी: भारतीय नौसेना कराची और ग्वादर जैसे पाकिस्तानी बंदरगाहों पर नाकाबंदी कर सकती है, जिससे पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को गंभीर नुकसान होगा। भारत का विमानवाहक पोत INS विक्रांत इस रणनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
साइबर युद्ध: दोनों देश साइबर हमलों का सहारा ले सकते हैं। भारत की साइबर सुरक्षा एजेंसियां, जैसे कि CERT-In, पाकिस्तानी बुनियादी ढांचे को लक्षित कर सकती हैं।
परमाणु युद्ध की संभावना: परमाणु युद्ध की स्थिति में, दोनों देशों को भारी नुकसान होगा। एक अनुमान के अनुसार, भारत-पाक परमाणु युद्ध में 10 करोड़ से अधिक लोग मारे जा सकते हैं, और वैश्विक जलवायु पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ सकता है।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
पहलगाम हमले ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान आकर्षित किया है। कुछ प्रमुख प्रतिक्रियाएं इस प्रकार हैं:
अमेरिका: अमेरिकी राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गबार्ड ने कहा कि अमेरिका पहलगाम हमले के दोषियों को पकड़ने में भारत का समर्थन करेगा। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हमले को "बुरा" बताया और कहा कि भारत और पाकिस्तान को इस मुद्दे को सुलझाना होगा।
संयुक्त राष्ट्र: संयुक्त राष्ट्र ने दोनों देशों से "अधिकतम संयम" बरतने की अपील की।
पाकिस्तान के सहयोगी: चीन और तुर्की जैसे देशों ने पाकिस्तान का समर्थन किया, जबकि रूस और ईरान ने तटस्थ रुख अपनाया।
सामाजिक और आर्थिक प्रभाव
पहलगाम हमले ने भारत में व्यापक आक्रोश पैदा किया। हैदराबाद में तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी और AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कैंडल मार्च निकाला। मध्य प्रदेश के भोपाल, खरगोन, और हरदा में मुस्लिम समुदाय ने हमले के खिलाफ प्रदर्शन किए और पाकिस्तान-विरोधी नारे लगाए।
आर्थिक रूप से, भारत ने पाकिस्तानी खिलाड़ियों को वीजा देने से इनकार कर दिया, जिससे 2025 एशिया कप जैसे खेल आयोजनों पर असर पड़ सकता है। बीसीसीआई ने आईसीसी को पत्र लिखकर पाकिस्तान के साथ क्रिकेट मैचों पर रोक लगाने की मांग की।
पहलगाम आतंकी हमला भारत-पाक संबंधों में एक नया मोड़ लाया है। भारत की सख्त प्रतिक्रिया और पाकिस्तान की जवाबी धमकियों ने युद्ध की आशंका को बढ़ा दिया है। हालांकि, भारत की सैन्य और कूटनीतिक ताकत, साथ ही उसकी उन्नत मिसाइल रक्षा प्रणाली, पाकिस्तान के परमाणु खतरों को कमजोर करती है। फिर भी, दोनों देशों को संयम बरतना होगा, क्योंकि एक पूर्ण युद्ध न केवल दक्षिण एशिया, बल्कि पूरे विश्व के लिए विनाशकारी हो सकता है।
इस संकट में भारत को अपनी रणनीति को सावधानीपूर्वक लागू करना होगा, ताकि आतंकवाद के खिलाफ कठोर कार्रवाई करते हुए युद्ध के जोखिम को कम किया जा सके। अंतरराष्ट्रीय समुदाय की भूमिका भी महत्वपूर्ण होगी, जो दोनों देशों को बातचीत की मेज पर लाने में मदद कर सकता है। India Pakistan Tension | indian army | indian army reaction |