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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । अमेरिका और चीन ने व्यापार को लेकर तनाव को कम करने के लिए 90 दिनों कि ट्रेड डील की है। दोनों ही देश इस बात पर सहमत हुए हैं कि अगले 90 दिनों तक नए टैरिफ नहीं लागू किए जाएंगे। इसके अलावा मौजूदा टैरिफ को घटाने को लेकर भी दोनों देशों में सहमति बनी है। दोनों देशों के बीच इस डील से यूके समेत कई देशों को झटका भी लगा है। इस समझौते के तहत दोनों देश व्यापार वार्ता को आगे बढ़ाने पर ध्यान देंगे।
पृष्ठभूमि और समझौते की शुरुआत
पिछले कुछ वर्षों से अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक तनाव चरम पर था। अमेरिका ने चीनी सामानों पर भारी टैरिफ लगाए थे, जिसके जवाब में चीन ने भी अमेरिकी उत्पादों पर जवाबी टैरिफ थोपे थे। इस टैरिफ युद्ध ने न केवल दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं को प्रभावित किया, बल्कि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला और शेयर बाजारों को भी अस्थिर कर दिया।
हालांकि, हाल ही में जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान ट्रम्प और शी जिनपिंग की मुलाकात ने उम्मीद की किरण जगाई। दोनों नेताओं ने व्यापारिक तनाव को कम करने और आपसी सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई। इस 90 दिन की अस्थायी शांति अवधि में दोनों देश व्यापार समझौतों पर गहन चर्चा करेंगे, जिसमें बौद्धिक संपदा अधिकार, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, और कृषि उत्पादों जैसे मुद्दे शामिल होंगे।
डोनाल्ड ट्रम्प की प्रतिक्रिया
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने इस समझौते को एक बड़ी जीत करार दिया। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, "चीन के साथ हमारा समझौता अमेरिकी किसानों, व्यवसायियों और उपभोक्ताओं के लिए एक ऐतिहासिक कदम है। हम एक निष्पक्ष और मजबूत व्यापारिक रिश्ते की ओर बढ़ रहे हैं।" ट्रम्प ने यह भी दावा किया कि यह समझौता अमेरिकी अर्थव्यवस्था को और मजबूत करेगा।
वैश्विक बाजारों पर प्रभाव
इस समझौते की घोषणा के बाद वैश्विक शेयर बाजारों में तुरंत सकारात्मक प्रतिक्रिया देखी गई। न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज, नैस्डैक, और यूरोपीय बाजारों में 2-3% की बढ़ोतरी दर्ज की गई। एशियाई बाजारों, विशेष रूप से शंघाई और हांगकांग स्टॉक एक्सचेंज, में भी तेजी देखी गई। निवेशकों का मानना है कि यह अस्थायी राहत वैश्विक व्यापार और आपूर्ति श्रृंखला को स्थिर करने में मदद करेगी।
भारतीय शेयर बाजार, जैसे सेंसेक्स और निफ्टी, भी इस खबर से प्रभावित हुए। विशेषज्ञों का कहना है कि भारत जैसे उभरते बाजारों को इस समझौते से अप्रत्यक्ष लाभ होगा, क्योंकि वैश्विक व्यापार में स्थिरता भारतीय निर्यात और निवेश को बढ़ावा दे सकती है।
चुनौतियां और भविष्य की संभावनाएं
हालांकि यह समझौता सकारात्मक है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि 90 दिनों में सभी मुद्दों का समाधान करना चुनौतीपूर्ण होगा। अमेरिका और चीन के बीच बौद्धिक संपदा और प्रौद्योगिकी जैसे मुद्दों पर गहरे मतभेद हैं। इसके अलावा, दोनों देशों की घरेलू राजनीति भी इस समझौते को प्रभावित कर सकती है।
विश्लेषकों का कहना है कि इस अवधि में दोनों देशों को पारदर्शी और रचनात्मक वार्ता पर ध्यान देना होगा। यदि यह समझौता स्थायी समाधान की ओर ले जाता है, तो यह वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए एक मील का पत्थर साबित हो सकता है।
भारत पर प्रभाव
भारत के लिए यह समझौता कई अवसर ला सकता है। वैश्विक व्यापार में स्थिरता से भारतीय निर्यात, विशेष रूप से फार्मास्यूटिकल्स, आईटी, और ऑटोमोबाइल क्षेत्रों को लाभ हो सकता है। हालांकि, भारत को अपनी व्यापार नीतियों को और मजबूत करने की आवश्यकता होगी ताकि वह वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में अपनी स्थिति को और सुदृढ़ कर सके।
अमेरिका और चीन के बीच 90 दिन की यह व्यापारिक शांति वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए एक सकारात्मक संकेत है। यह समझौता न केवल दोनों देशों के बीच तनाव को कम करेगा, बल्कि वैश्विक शेयर बाजारों और आपूर्ति श्रृंखला को भी स्थिरता प्रदान करेगा। हालांकि, इस अवधि में दोनों देशों को रचनात्मक और पारदर्शी वार्ता पर ध्यान देना होगा ताकि स्थायी समाधान निकाला जा सके।
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