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क्या पाकिस्तान को 'आतंकवादी राष्ट्र' घोषित कर सकता है भारत ? पढ़ें एक्सक्लूसिव रिपोर्ट

हाल के पहलगाम आतंकी हमले ने भारत-पाकिस्तान तनाव को बढ़ा दिया है, जिससे भारत पाकिस्तान को 'आतंकवादी राष्ट्र' घोषित करने पर विचार कर रहा है। जानिए क्या कहता है अंतरराष्ट्रीय कानून...

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Ajit Kumar Pandey
MODI SHAHBAZ NEWS

नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क । हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव को चरम पर पहुंचा दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भारतीय सरकार एक कठोर कदम पर विचार कर रही है: पाकिस्तान को 'आतंकवादी राष्ट्र' घोषित करना। लेकिन क्या यह संभव है, और इसके परिणाम क्या होंगे?

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पाकिस्तान पर लंबे समय से आतंकवाद को प्रायोजित करने का आरोप है, जिसमें भारत में हुए कई बड़े हमलों में उसकी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष संलिप्तता रही है। इनमें 2019 का पुलवामा हमला, 2016 का उरी हमला, 2008 का मुंबई हमला, और 1999 का कंधार अपहरण शामिल हैं। इन हमलों ने सैकड़ों लोगों की जान ली और भारत-पाकिस्तान संबंधों में गहरी खाई पैदा की। 

हाल ही में, पाकिस्तान के उपप्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार ने संसद में स्वीकार किया कि उन्होंने पहलगाम हमले की निंदा करने वाले संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के बयान से आतंकी संगठन टीआरएफ (द रेसिस्टेंस फ्रंट) का नाम हटवाने के लिए अपने संयुक्त राष्ट्र प्रतिनिधि को निर्देश दिए थे। यह स्वीकारोक्ति पाकिस्तान की आतंकी संगठनों के साथ संबंधों को नकारने और अंतरराष्ट्रीय धारणा को प्रभावित करने की कोशिशों को उजागर करती है।

भारत की संभावित कार्रवाई

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इन निरंतर खतरों के जवाब में, भारत निर्णायक कार्रवाई की तैयारी कर रहा है। हाल के मंत्रिमंडल सुरक्षा समिति (सीसीएस) और अन्य उच्च-स्तरीय सुरक्षा समितियों की बैठकों में आतंकवाद का मुकाबला करने की रणनीतियों पर चर्चा हुई है, जिसमें पाकिस्तान की भूमिका पर विशेष ध्यान दिया गया है। चर्चा का एक प्रमुख बिंदु पाकिस्तान को 'आतंकवादी राष्ट्र' घोषित करना है। लेकिन इस कदम का मतलब क्या है, और क्या यह कानूनी रूप से संभव है?

कानूनी और अंतरराष्ट्रीय दृष्टिकोण

वर्तमान में, अंतरराष्ट्रीय कानून में किसी देश को 'आतंकवादी राष्ट्र' घोषित करने की कोई औपचारिक प्रक्रिया नहीं है। संयुक्त राष्ट्र के पास व्यक्तियों और संगठनों पर प्रतिबंध लगाने की व्यवस्था है, जैसे कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की प्रस्ताव 1267 के तहत, जो आतंकी संगठनों और व्यक्तियों पर यात्रा प्रतिबंध, संपत्ति जब्ती, और हथियार आपूर्ति पर रोक लगाता है।

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हालांकि, किसी पूरे देश को आतंकवादी घोषित करना संभव नहीं है, क्योंकि यह कदम अत्यधिक राजनीतिक रूप से संवेदनशील है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में चीन और रूस जैसे देशों की वीटो शक्ति इस प्रक्रिया को और जटिल बनाती है।

अमेरिका के पास 'आतंकवाद के प्रायोजक देशों' की अपनी सूची है, जिसमें मार्च 2025 तक ईरान, क्यूबा, उत्तर कोरिया और सीरिया शामिल हैं (US State Department)। क्यूबा को इस सूची में अंतिम बार 2021 में जोड़ा गया था।

इस सूची में शामिल देशों को गंभीर प्रतिबंधों का सामना करना पड़ता है, जैसे कि विदेशी सहायता पर रोक, रक्षा निर्यात पर प्रतिबंध, और वित्तीय प्रतिबंध। हालांकि, भारत के पास ऐसी सूची बनाने या पाकिस्तान को इसमें शामिल करने का एकतरफा अधिकार नहीं है; इसके लिए अंतरराष्ट्रीय सहमति या संयुक्त राष्ट्र जैसे निकाय की कार्रवाई की आवश्यकता होगी।

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BHARAT PAKISTAN ARMY NEWS

विशेषज्ञों की राय

विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान को आतंकवादी राष्ट्र घोषित करना प्रतीकात्मक रूप से शक्तिशाली हो सकता है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय कानूनी समर्थन की कमी के कारण इसका व्यावहारिक प्रभाव सीमित हो सकता है।

सुरक्षा विश्लेषक कमर आगा सुझाव देते हैं कि पूरे देश को आतंकवादी घोषित करने के बजाय पाकिस्तानी सेना और इसकी खुफिया एजेंसी, इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई), को आतंकी संगठन के रूप में लक्षित करना अधिक प्रभावी हो सकता है।

यह दृष्टिकोण नागरिक आबादी को प्रभावित किए बिना जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह ठहरा सकता है। आगा का यह भी कहना है कि पूरे देश को आतंकवादी घोषित करने से भारत और पाकिस्तान के बीच 'शीत युद्ध' जैसी स्थिति पैदा हो सकती है, जो क्षेत्रीय स्थिरता के लिए हानिकारक हो सकती है।

पाकिस्तान के लिए प्रभाव

यदि अमेरिका जैसे किसी प्रमुख देश द्वारा पाकिस्तान को आतंकवादी राष्ट्र घोषित किया जाता है, तो इसके गंभीर आर्थिक और व्यापारिक परिणाम हो सकते हैं। पाकिस्तान पहले से ही फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की ग्रे लिस्ट में है, क्योंकि वह आतंकवाद के वित्तपोषण को रोकने में विफल रहा है।

अतिरिक्त प्रतिबंध पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को और कमजोर कर सकते हैं, जिससे विदेशी सहायता, व्यापार और वित्तीय लेनदेन में कटौती हो सकती है। इसके अलावा, इस तरह की घोषणा से पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय छवि को गंभीर नुकसान पहुंचेगा और वह कूटनीतिक रूप से अलग-थलग पड़ सकता है।

हालांकि, इस कदम से क्षेत्रीय स्थिरता को लेकर चिंताएं भी हैं। पाकिस्तान एक परमाणु शक्ति है, और इस तरह का कोई भी कठोर कदम अप्रत्याशित परिणामों को जन्म दे सकता है। सबसे गंभीर जोखिम यह है कि अस्थिरता के कारण परमाणु हथियार आतंकवादियों के हाथों में पहुंच सकते हैं। इस तरह की स्थिति दक्षिण एशिया और उससे परे के लिए गंभीर निहितार्थों के साथ 'शीत युद्ध' जैसी स्थिति को जन्म दे सकती है।

वर्तमान स्थिति और भविष्य की संभावनाएं

पाकिस्तान को आतंकवादी राष्ट्र घोषित करने का निर्णय जटिलताओं से भरा हुआ है। यह कदम राज्य-प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ एक मजबूत संदेश दे सकता है, लेकिन कानूनी, कूटनीतिक और सुरक्षा चुनौतियां इसे एक कठिन रास्ता बनाती हैं। भारत को अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ मिलकर उन विकल्पों पर विचार करना होगा जो आतंकवाद को प्रभावी ढंग से रोक सकें, बिना क्षेत्र को अस्थिर किए।

पाकिस्तान का आतंकवादी संगठनों, जैसे लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद, के साथ संबंध और FATF की ग्रे लिस्ट में उसकी स्थिति पहले से ही उसकी विश्वसनीयता पर सवाल उठाती है। इसके बावजूद, चीन जैसे देशों का संयुक्त राष्ट्र में वीटो समर्थन अक्सर पाकिस्तान को बचाता रहा है। भारत के लिए, इस स्थिति में रणनीतिक और कूटनीतिक दृष्टिकोण अपनाना महत्वपूर्ण होगा, जिसमें आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक सहमति बनाना और क्षेत्रीय स्थिरता को बनाए रखना शामिल है। 

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