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पहलगाम टेरर अटैक का Mastermind हासिम मूसा कौन ? जांच में हुआ चौंकाने वाला खुलासा

हाशिम मूसा, लश्कर-ए-तैयबा के लिए काम करता है और कठुआ और सांबा से भारत में घुसपैठ की थी। हमले में अन्य आतंकियों के साथ योजना बनाई गई थी। आइए, इस पूरी कहानी को विस्तार से समझते हैं।

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Ajit Kumar Pandey
PAKISTAN ARMY HASIM MUSA
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नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क । 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भयावह आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। इस हमले में 26 निर्दोष लोगों की जान चली गई, जिसमें ज्यादातर पर्यटक थे। जांच में एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ कि इस हमले का मास्टरमाइंड हाशिम मूसा है, जो पाकिस्तान की सेना का पूर्व पैरा कमांडो रह चुका है।

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यह हमला न केवल एक आतंकी घटना थी, बल्कि इसके पीछे गहरी साजिश और पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद का चेहरा भी सामने आया। आइए, इस पूरी कहानी को विस्तार से समझते हैं।

हाशिम मूसा: कौन है यह आतंकी?

हाशिम मूसा, जिसे सुलेमान या आसिफ फौजी के नाम से भी जाना जाता है, पाकिस्तान की विशेष सेवा समूह (एसएसजी) का पूर्व कमांडो है। सूत्रों के अनुसार, मूसा ने पाकिस्तान में उच्च स्तर की पैरा-कमांडो ट्रेनिंग ली थी, जिसने उसे आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने में खासा मदद की। वह वर्तमान में प्रतिबंधित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के लिए काम करता है।

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मूसा की उम्र 20 से 30 वर्ष के बीच बताई जाती है, और वह कठुआ और सांबा सेक्टर के रास्ते भारतीय सीमा में घुसपैठ करने में सफल रहा था। उसकी ट्रेनिंग और अनुभव ने उसे एक खतरनाक आतंकी बना दिया, जो जम्मू-कश्मीर में गैर-कश्मीरी लोगों और सुरक्षा बलों को निशाना बनाने के लिए सक्रिय है।

पहलगाम हमला: कैसे हुई साजिश?

पहलगाम के बैसारन मीडो में हुए इस हमले की योजना बेहद सुनियोजित थी। हमले में हाशिम मूसा के साथ दो अन्य पाकिस्तानी आतंकी, अली भाई उर्फ तल्हा और एक स्थानीय लश्कर-ए-तैयबा का आतंकी आदिल हुसैन ठोकर शामिल थे।

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राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के अनुसार, इस हमले में लश्कर-ए-तैयबा के कमांडर फारूक अहमद के नेटवर्क ने अहम भूमिका निभाई। फारूक, जो वर्तमान में पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में छिपा हुआ है, पिछले दो वर्षों से कश्मीर में कई आतंकी हमलों को अंजाम देने में शामिल रहा है।

हमले में इस्तेमाल किए गए हथियार, जैसे एम4 कार्बाइन, उच्च स्तर की सैन्य ट्रेनिंग की ओर इशारा करते हैं। एनआईए ने 14 स्थानीय ओवर ग्राउंड वर्कर्स (ओजीडब्ल्यू) से पूछताछ की, जिन्होंने इस हमले में रसद और हथियारों की व्यवस्था में मदद की थी। यह नेटवर्क इतना मजबूत था कि हमलावरों को स्थानीय स्तर पर आश्रय, परिवहन और अन्य सुविधाएं आसानी से उपलब्ध हो गईं।

PAHALGAM TERROR ATTACK

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हमले का भयावह मंजर

22 अप्रैल को पहलगाम के बैसारन मीडो में उस समय अफरा-तफरी मच गई, जब आतंकियों ने अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी। एक गुजराती पर्यटक, ऋषि भट्ट, ने अपनी जिपलाइन राइड के दौरान इस हमले का वीडियो रिकॉर्ड किया, जो बाद में सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।

इस हमले में 25 पर्यटकों और एक कश्मीरी नागरिक की जान चली गई। एक जिपलाइन ऑपरेटर के "अल्लाहु अकबर" चिल्लाने की आवाज भी वीडियो में रिकॉर्ड हुई, जिसने जांच को नया मोड़ दिया। हालांकि, ऑपरेटर के भाई ने दावा किया कि वह निर्दोष है और खतरे को देखकर भाग गया था।

भारत की प्रतिक्रिया

हमले के बाद भारत ने त्वरित और कठोर कदम उठाए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी सऊदी अरब यात्रा बीच में छोड़कर सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीएस) की बैठक बुलाई। 30 अप्रैल को पीएम आवास पर एक अहम बैठक हुई, जिसमें गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह शामिल थे।

भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कूटनीतिक और राजनयिक कार्रवाई शुरू की। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सात अस्थायी सदस्य देशों के समकक्षों से बात की, ताकि इस हमले को वैश्विक मंच पर उठाया जा सके।

सुरक्षा बलों ने भी जवाबी कार्रवाई तेज कर दी। एनआईए ने हाशिम मूसा की गिरफ्तारी के लिए 20 लाख रुपये का इनाम घोषित किया है। इसके अलावा, पाकिस्तान की सेना ने 28-29 अप्रैल की रात को नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर अकारण गोलीबारी शुरू की, जिसका भारतीय सेना ने मुंहतोड़ जवाब दिया।
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