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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम स्टील प्लांट से निकाले गए 2000 कर्मचारियों के पक्ष में अब सियासत भी गरमा गई है। राज्य कांग्रेस अध्यक्ष वाईएस शर्मिला खुद अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठ गई हैं। उनका आरोप है कि बिना किसी वैध प्रक्रिया के हज़ारों मज़दूरों की रोज़ी-रोटी छीनी जा रही है। केंद्र सरकार की नीतियों और प्रबंधन की नाकामी पर शर्मिला ने तीखा हमला बोला है। इस आंदोलन से स्टील प्लांट का भविष्य और मज़दूरों का जीवन दोनों अधर में लटक गया है।
आंध्र प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष वाईएस शर्मिला ने विशाखापत्तनम स्टील प्लांट (VSP) से बिना पूर्व सूचना निकाले गए 2000 ठेका कर्मचारियों के समर्थन में भूख हड़ताल शुरू कर दी है। उनका आरोप है कि केंद्र सरकार इस प्लांट को निजी हाथों में सौंपने के लिए कर्मचारियों की बलि चढ़ा रही है। शर्मिला ने चेतावनी दी है कि जब तक निकाले गए कर्मचारियों को वापस नहीं लिया जाएगा, उनका अनशन जारी रहेगा। मामला सियासी तूल पकड़ता जा रहा है।
#WATCH | Visakhapatnam, Andhra Pradesh: APCC President YS Sharmila sits on a hunger strike in support of Visakhapatnam Steel Plant (VSP) workers.
— ANI (@ANI) May 21, 2025
She says, "Andhra Pradesh Congress is here in Visakhapatnam Steel. We are going on an indefinite hunger strike because the management… pic.twitter.com/DsNFkq2SRy
भूख हड़ताल के पीछे का दर्द: शर्मिला ने सुनाई मज़दूरों की व्यथा
वाईएस शर्मिला ने कहा कि विशाखापत्तनम स्टील प्लांट से हटाए गए 2000 ठेका कर्मचारी वे हैं जिन्होंने कभी अपनी जमीन प्लांट को दी थी। ये कर्मचारी पिछले 10 से 20 सालों से यहां लगातार काम कर रहे थे। उनकी एक झटके में रोज़ी छीन ली गई, न कोई सूचना, न प्रक्रिया।
यह सिर्फ एक प्लांट नहीं, बल्कि हज़ारों परिवारों की उम्मीदों का केंद्र है।
2014 में मुनाफा, 2025 में कर्ज़ का पहाड़
शर्मिला ने कहा कि 2014 तक यही स्टील प्लांट सालाना 1000 करोड़ रुपये का मुनाफा कमा रहा था। लेकिन अब इसके ऊपर 28,000 करोड़ रुपये का कर्ज लद चुका है। केंद्र सरकार ने अब प्लांट को उबारने के नाम पर एक शर्त रखी है- जब तक 5000 कर्मचारियों को नहीं हटाया जाएगा, 11,000 करोड़ रुपये का राहत पैकेज नहीं मिलेगा। अब तक 2000 कर्मचारियों को हटा दिया गया है और 3000 और की लिस्ट तैयार है।
सियासी चाल या हक़ की लड़ाई?
शर्मिला के अनुसार यह केवल आर्थिक सुधार नहीं, बल्कि मजदूर विरोधी फैसला है। उनका कहना है, "हम विशाखापत्तनम स्टील प्लांट के साथ खड़े हैं। जब तक सभी मजदूरों को न्याय नहीं मिलेगा, हम पीछे नहीं हटेंगे।" कांग्रेस इस मुद्दे को राज्यव्यापी आंदोलन बनाने की तैयारी में है। वहीं, मज़दूर संगठन भी अब खुलकर समर्थन में आ चुके हैं।
सोशल मीडिया पर समर्थन की लहर
शर्मिला की इस भूख हड़ताल को सोशल मीडिया पर जबरदस्त समर्थन मिल रहा है। #SaveVizagSteel और #JusticeForVSP जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं। लोग इस फैसले को मज़दूरों के साथ अन्याय बता रहे हैं। इससे एक बार फिर मज़दूर अधिकार और सरकारी नीतियों पर सवाल उठ खड़े हुए हैं।
इस आंदोलन ने एक बार फिर मज़दूरों के हक और सरकारी जवाबदेही पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है।
क्या सरकार मजदूरों के भविष्य से खेल रही है? क्या आप इससे सहमत हैं? नीचे कमेंट करके अपनी राय ज़रूर बताएं।
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