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US PRESIDENT DONALD TRUMP
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने "रेसिप्रोकल टैरिफ" (जवाबी शुल्क) की घोषणा करते हुए 15 देशों को अपने निशाने पर लिया है। अमेरिकी ट्रेजरी सचिव स्कॉट बेसेन्ट ने इन देशों को "डर्टी 15" (गंदे 15) नाम दिया है, जो अमेरिकी सामानों पर अत्यधिक आयात शुल्क लगाते हैं। इनमें भारत, चीन, यूरोपीय संघ, जापान और मेक्सिको जैसे प्रमुख व्यापारिक साझेदार शामिल हैं।
कौन हैं 'डर्टी 15' देश ? अमेरिका के साथ व्यापार घाटे वाले टॉप टारगेट
अमेरिकी वाणिज्य विभाग के 2024 के डेटा के अनुसार, ये 15 देश अमेरिका के साथ सबसे ज्यादा व्यापार घाटा पैदा करते हैं:
- चीन
- यूरोपीय संघ
- मेक्सिको
- वियतनाम
- जर्मनी
- जापान
- दक्षिण कोरिया
- भारत
- ताइवान
- इटली
- थाईलैंड
- मलेशिया
- स्विट्जरलैंड
- इंडोनेशिया
- आयरलैंड
ट्रंप का आरोप: "ये देश अमेरिका को लूट रहे हैं"
ट्रंप ने कहा कि ये देश अमेरिकी उत्पादों पर 50% से 700% तक टैरिफ लगाकर "अनुचित व्यापार नीति" अपना रहे हैं। उदाहरण के लिए:
- यूरोपीय संघ अमेरिकी डेयरी उत्पादों पर 50% शुल्क लगाता है।
- जापान अमेरिकी चावल पर 700% टैरिफ वसूलता है।
- भारत अमेरिकी कृषि उत्पादों पर 100% शुल्क लगाता है।
- कनाडा अमेरिकी मक्खन और पनीर पर 300% टैक्स लेता है।
अमेरिका क्या करेगा? "जितना टैक्स लगाओगे, उतना ही वापस"
ट्रंप प्रशासन ने चेतावनी दी है कि अमेरिका इन देशों के सामानों पर समान या अधिक टैरिफ लगाएगा। इसके अलावा:
✅ 21 देशों की व्यापार नीतियों की समीक्षा की जाएगी (इसमें रूस, ब्राजील, यूके भी शामिल)।
✅ "अमेरिकन इंडिपेंडेंस डे" (4 जुलाई) से पहले नए टैरिफ लागू किए जा सकते हैं।
✅ ऑटो, स्टील, फार्मा और इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे।
भारत पर क्या होगा असर?
- भारत अमेरिका के साथ $100 बिलियन+ का व्यापार करता है।
- फार्मा, आईटी और हीरा-जवाहरात निर्यात को झटका लग सकता है।
- अमेरिका भारतीय स्टील, एल्युमिनियम और टेक्सटाइल पर अधिक शुल्क लगा सकता है।
- वैश्विक बाजारों में हड़कंप, शेयर बाजार गिरे
इस घोषणा के बाद
📉 एशियाई शेयर बाजारों (निक्केई, हैंग सेंग) में 2-3% गिरावट।
📉 अमेरिकी स्टॉक फ्यूचर्स (डॉव जोन्स, NASDAQ) 3% नीचे।
📈 सोने की कीमतें रिकॉर्ड उच्च स्तर पर (सुरक्षित निवेश की ओर रुख)।
क्या यह वैश्विक व्यापार युद्ध की शुरुआत है ?
ट्रंप का यह कदम "अमेरिका फर्स्ट" नीति का हिस्सा है, लेकिन इससे अंतरराष्ट्रीय व्यापार तनाव बढ़ सकता है। अगर अन्य देश भी जवाबी टैरिफ लगाते हैं, तो वैश्विक मंदी का खतरा पैदा हो सकता है।