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सामने था POCSO एक्ट का दोषी पर सजा देने का हौसला नहीं जुटा सके जज

अपने अंतिम कार्य दिवस पर फैसला सुनाते हुए जस्टिस ओका ने कहा कि सजा के मुद्दे ने अदालत को परेशान कर दिया है। उन्होंने टिप्पणी की कि अपराध हुआ है। लेकिन सभी से गलती हुई।

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Shailendra Gautam
Supreme Court

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कः  सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को POCSO एक्ट के तहत एक दोषी को इस आधार पर सज़ा देने से मना कर दिया क्योंकि पीड़िता कोर्ट में रोने बिलखने लगी। अदालत ने दोषी को यह तर्क देकर सजा नहीं सुनाई कि दोषी ने पीड़िता से शादी कर ली है।  पीड़िता, जिसने एक बच्चे को जन्म दिया था, अपने पति और परिवार को बचाने के लिए बेताब थी। trendig news | Indian Judiciary | न्यायपालिका भारत | Judiciary 

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जजों ने मानीं कानून व्यवस्था की खामियां

अपने अंतिम कार्य दिवस पर फैसला सुनाते हुए जस्टिस ओका ने कहा कि सजा के मुद्दे ने अदालत को परेशान कर दिया है। उन्होंने टिप्पणी की कि अपराध हुआ है। लेकिन सभी से गलती हुई। । जब पीड़िता को मदद चाहिए थी तब कोई आगे नहीं आया। आज हम अगर उस अपराध के लिए उसे न्याय दिलाते हैं तो उसका बसा बसाया घर उजड़ जाएगा। यह मामला हमारी कानूनी व्यवस्था में कमियों को उजागर करता है।

कलकत्ता हाईकोर्ट के विवादित फैसले पर थी सुनवाई

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जस्टिस एएस ओका और उज्जल भुयान की दो जजों की बेंच ने कलकत्ता हाईकोर्ट के उस फैसले के मद्देनजर ये टिप्पणी की जिसमें हाईकोर्ट ने कहा था कि किशोर लड़कियों को दो मिनट के आनंद के लिए झुकने के बजाय अपनी यौन इच्छाओं को नियंत्रित रखना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेकर दिसंबर 2023 में हाईकोर्ट के फैसले पर तल्ख टिप्पणी की थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हाईकोर्ट की टिप्पणियां  आपत्तिजनक, अप्रासंगिक, उपदेशात्मक और अनुचित थीं।
जस्टिस एएस ओका और उज्जल भुयान की बेंच ने टिप्पणी की कि हालांकि पीड़िता ने इस घटना को जघन्य अपराध नहीं माना लेकिन उसे इसके कारण पीड़ा हुई। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि पहले चरण में पीड़िता हमारे समाज, हमारी कानूनी प्रणाली और उसके परिवार की कमियों के कारण सही विकल्प नहीं चुन सकी थी।

कोर्ट बोली- मामले के तथ्य सभी के लिए आंखें खोलने वाले 

फैसले में कहा गया कि समाज ने उसे जज किया पर कानूनी व्यवस्था ने उसे विफल कर दिया और उसके अपने परिवार ने उसे छोड़ दिया। अब वह उस स्थिति में है जहां वह अपने पति को बचाने के लिए बेताब है। वह भावनात्मक रूप से आरोपी के प्रति प्रतिबद्ध है। अपने छोटे से परिवार को लेकर बहुत ज़्यादा अधिकार जताने लगी है। मामले के तथ्य सभी के लिए आंखें खोलने वाले हैं। यह हमारी कानूनी व्यवस्था में कमियों को उजागर करता है। 2018 में अपराध के समय पीड़िता 14 साल की थी।

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अदालत ने एक समिति से पीड़िता को यह तय करने में मदद करने को कहा कि वह आरोपी और उसके परिवार के साथ रहना चाहती है या राज्य सरकार की सुविधाओं का लाभ उठाकर नए सिरे से जीवन शुरू करना चाहती है।Accused of POCSO, POCSO Act, supreme court, justice as oka, culcutta high court

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