नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कः दिल्ली की जूडिशिरी में करप्शन का एक ऐसा मामला सामने आया है जिसमें स्पेशल कोर्ट के जज की तरफ से करोड़ों रुपये रिश्वत मांगी गई। ये आरोप एंटी करप्शन ब्यूरो ने लगाया था। शिकायत हाईकोर्ट को भेजी गई। वहां से जज के खिलाफ एक्शन लेने की परमिशन तो नहीं मिली पर आरोपी जज का तबादला कर दिया गया। हालांकि, हाईकोर्ट ने एसीबी से अपनी जांच जारी रखने को कहा और सुझाव दिया कि अगर जज की संलिप्तता दिखाने वाली कोई सामग्री मिलती है तो वह फिर से उनसे संपर्क करे।
एसीबी ने जनवरी में लिखी थी प्रिंसिपल सेक्रेट्री को चिट्ठी
बीती 29 जनवरी को दिल्ली सरकार की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) ने ला एंड जस्टिस विभाग के प्रिंसिपल सेक्रेट्री को पत्र लिखकर राउज एवेन्यू कोर्ट के एक स्पेशल जज और उनकी अदालत के अहलमद के खिलाफ जांच शुरू करने की अनुमति मांगी थी। आरोप था कि आरोपियों ने जमानत देने के लिए रिश्वत की मांग की थी। यह चिट्ठी दिल्ली हाईकोर्ट को भेजी गई थी। हाईकोर्ट ने 14 फरवरी को इसे यह कहते हुए खारिज कर दिया कि एसीबी के पास जज के खिलाफ पर्याप्त सामग्री नहीं है।
अहलमद पर एफआईआर के चार दिनों बाद जज का तबादला
16 मई को एसीबी ने कोर्ट अहलमद के खिलाफ एफआईआर दर्ज की। 20 मई को जज को राउज एवेन्यू कोर्ट से दूसरे कोर्ट में स्थानांतरित कर दिया गया। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट कहती है कि अप्रैल 2023 में एक जीएसटी अधिकारी के खिलाफ फर्जी फर्मों को 2021 में जीएसटी रिफंड मंजूर करने के आरोप में केस दर्ज किया गया था। जीएसटी अधिकारी, तीन वकीलों, एक चार्टर्ड अकाउंटेंट और दो ट्रांसपोर्टरों सहित सोलह लोगों को एसीबी ने गिरफ्तार किया था। सभी को स्पेशल जज की अदालत में पेश किया, जिसने उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया। trendig news | Judiciary | Indian Judiciary
आरोपी के रिश्तेदार ने ईमेल के जरिये भेजी थी शिकायत
एसीबी ने नोट किया कि एक बार जब आरोपियों ने जमानत आवेदन दाखिल करना शुरू किया, तो उनके अधिकांश आवेदनों पर सुनवाई की गई। उन्हें स्थगित कर दिया गया और अलग-अलग तारीखों के लिए सुरक्षित रखा गया। एसीबी को पहली शिकायत 30 दिसंबर 2024 को जीएसटी अधिकारी के एक रिश्तेदार के ईमेल से मिली थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि अदालत के अधिकारियों ने उनसे संपर्क किया था। उनकी जमानत के लिए 85 लाख रुपये और अन्य आरोपियों में से प्रत्येक के लिए 1 करोड़ रुपये की रिश्वत की मांग की थी।
एसीबी ने लिखा कि ईमेल में आरोप लगाया कि इनकार करने पर जमानत की अर्जी को एक महीने से अधिक समय तक अनुचित तरीके से बढ़ाया गया और बाद में खारिज कर दिया गया। इसके बाद उन्हें दिल्ली हाईकोर्ट से राहत मिली। ईमेल में कहा गया कि एक आरोपी ने उनसे संपर्क करके धमकी दी कि जज उनको छोड़ने नहीं जा रहे। उनसे कहा गया कि वो हाईकोर्ट से अपना आवेदन वापस लेकर 1 करोड़ रुपये का भुगतान करें। उन्हें जमानत दे दी जाएगी।
एसीबी को मिली एक और शिकायत में अहलमद पर आरोप
एक अन्य शिकायत 20 जनवरी को एक व्यक्ति से प्राप्त हुई थी, जिसने आरोप लगाया था कि जनवरी के पहले सप्ताह में अदालत के अहमद ने उनसे संपर्क किया था, जिसमें कहा गया था कि एक मामले में आरोपी तीन लोगों को जमानत मिल सकती है अगर वो प्रति व्यक्ति 15-20 लाख रुपये की रिश्वत देने के लिए तैयार हों। एसीबी ने अपने पत्र में लिखा है कि शिकायतें और ऑडियो रिकॉर्डिंग घटनाओं की पुष्टि करती हैं।
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