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कारगिल के सुपर हीरो कैप्टन विक्रम बत्रा, जिन्हें कहा गया 'शेरशाह'

26 जुलाई को मनाया जाने वाला कारगिल विजय दिवस, देश के उन वीर सैनिकों को समर्पित है जिन्होंने 1999 में अपने प्राणों की आहुति दी। कैप्टन विक्रम बत्रा, जिन्हें "शेरशाह" के नाम से जाना जाता है|

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YBN News
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नई दिल्ली,वाईबीएन डेस्क। 26 जुलाई, 1999 —यह तारीख भारतीय इतिहास में हमेशा स्वर्णिम अक्षरों में अंकित रहेगी। इसी दिन भारत ने कारगिल युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुए अपने बहादुर जवानों को श्रद्धांजलि दी और पाकिस्तान को पीछे हटने पर मजबूर किया। इस ऐतिहासिक विजय में कई वीरों ने अपने प्राणों की आहुति दी, लेकिन एक नाम जो आज भी हर भारतीय के दिल में जोश भर देता है, वह है कैप्टन विक्रम बत्रा, जिन्हें पूरे देश ने प्यार और स्नेह से "शेरशाह" की उपाधि दी।

"ये दिल मांगे मोर" – नारा जो बन गया हौसले की पहचान

कैप्टन विक्रम बत्रा न केवल अपनी बहादुरी के लिए प्रसिद्ध हुए, बल्कि उन्होंने युद्ध के दौरान एक ऐसा नारा दिया जो देशवासियों और सैनिकों के लिए प्रेरणा बन गया –"ये दिल मांगे मोर"। यह नारा उनकी जीत की प्यास, जज़्बे और जुनून का प्रतीक बन गया।

बत्रा टॉप: साहस की चोटी

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द्रास सेक्टर के पॉइंट 4875 को दुश्मनों से मुक्त कराना भारतीय सेना के लिए एक अत्यंत कठिन मिशन था। विक्रम बत्रा ने इस मिशन का नेतृत्व करते हुए दुश्मन की हर चौकी पर कब्जा जमाया। भीषण गोलीबारी, खतरनाक चढ़ाई और कठिन मौसम के बावजूद, उन्होंने अपने साथियों के साथ मिलकर इस चोटी पर तिरंगा फहराया। आज यही स्थान "बत्रा टॉप" के नाम से जाना जाता है , उनकी वीरता का प्रतीक।

परमवीर चक्र: सर्वोच्च वीरता सम्मान

कैप्टन विक्रम बत्रा को मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया। यह सम्मान न केवल उनके बलिदान को श्रद्धांजलि है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा भी है कि राष्ट्रसेवा में कोई भी बलिदान बड़ा नहीं होता।

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युवा दिलों की प्रेरणा

कैप्टन विक्रम बत्रा की गाथा आज के युवाओं को न सिर्फ देशभक्ति का पाठ पढ़ाती है, बल्कि यह भी सिखाती है कि निडर होकर अपने लक्ष्य के लिए लड़ना क्या होता है। उनके जीवन पर बनी फिल्म "शेरशाह" ने भी इस प्रेरणा को जन-जन तक पहुंचाया।

कारगिल विजय दिवस पर हम उन सभी वीरों को नमन करते हैं जिन्होंने देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। लेकिन शेरशाह कैप्टन विक्रम बत्रा का नाम हमेशा एक खास स्थान पर रहेगा। उनके शब्दों में कहें तो -"मैं या तो तिरंगा लहराकर आऊंगा या उसमें लिपटकर... लेकिन आऊंगा ज़रूर।"

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(क्रिएट -अनुष्का चोपड़ा)

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