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डॉक्टर्स डे 2025: उत्सव से प्रतिबद्धता की ओर-आपदा चिकित्सा में सशक्त कदम

हमारे देश के चिकित्सकों की सेवा, समर्पण और बलिदान को सम्मान देने का दिन।  यह दिन महान चिकित्सक डॉ. बिधान चंद्र रॉय की जयंती और पुण्यतिथि दोनों को स्मरण करता है।

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Mukesh Pandit
Doctors Day 2025
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Dr Tanushri

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तनुश्री, डॉक्टोरल फेलो - एमिटी विश्वविद्यालय। 

हर साल 1 जुलाई को डॉक्टर्स डे मनाया जाता है - हमारे देश के चिकित्सकों की सेवा, समर्पण और बलिदान को सम्मान देने का दिन।  यह दिन महान चिकित्सक डॉ. बिधान चंद्र रॉय की जयंती और पुण्यतिथि दोनों को स्मरण करता है। यह अवसर हमें उन डॉक्टरों को धन्यवाद कहने का अवसर देता है, जो हर दिन हमारे जीवन की रक्षा में लगे रहते हैं। लेकिन इस बार आइए सिर्फ धन्यवाद कहने से आगे बढ़ें। एक गहन सवाल पूछें: क्या हम आपात स्थितियों और आपदाओं के समय उन डॉक्टरों की रक्षा करने के लिए तैयार हैं, जो हमारी रक्षा करते हैं? 

कोविड की भयावह तस्वीरें अभी भी हमारी स्मृतियों में

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कोविड-19 महामारी की भयावह तस्वीरें अभी भी हमारी स्मृतियों में ताजा हैं - पीपीई किट में लिपटे डॉक्टर, घंटों-घंटों तक बिना आराम किए मरीजों की जान बचाते हुए, सीमित संसाधनों में काम करते हुए। कई तो हफ्तों तक अस्पतालों में ही रहे, और दुखद रूप से, कई अपने घर कभी लौटे ही नहीं। भारतीय चिकित्सा संघ के अनुसार, भारत में कोविड-19 के दौरान 1,600 से अधिक डॉक्टरों ने अपनी जान गंवाई। इनमें से अधिकतर सामान्य चिकित्सक थे, जो दूर-दराज़ के इलाकों में न्यूनतम संसाधनों के साथ काम कर रहे थे। यह आंकड़ा उन नर्सों, पैरामेडिक्स, एंबुलेंस कर्मियों और अन्य स्वास्थ्यकर्मियों की शहादत को भी पूरी तरह नहीं दर्शाता, जिन्होंने उतना ही योगदान दिया। 

जब अस्पतालों की क्षमता जवाब दे गई

कोविड-19 ने केवल हमारी स्वास्थ्य प्रणाली की परीक्षा नहीं ली, बल्कि उसकी कमजोरियों को भी उजागर किया। अस्पतालों की क्षमता जवाब दे गई, संसाधन खत्म हो गए, और सबसे कुशल डॉक्टर भी असहाय हो गए। यह स्पष्ट हो गया - भारत इस आपदा के लिए तैयार नहीं था। लेकिन कोविड-19 कोई अपवाद नहीं था। भारत विश्व के सबसे आपदा-प्रवण देशों में से एक है। हर साल असम में बाढ़ें घर बहा ले जाती हैं, चक्रवात पूर्वी तट को झकझोरते हैं, उत्तर भारत लू की चपेट में आता है, और भूस्खलन से पहाड़ी रास्ते कट जाते हैं। भूकंप, सूखा, महामारी और अब जलवायु परिवर्तन के चलते ये आपदाएं और अधिक बार, अधिक तीव्र और भयावह होती जा रही हैं। इन आपदाओं के समय जन-मानस जिन पर हम भरोसा करते हैं, वे हैं हमारे डॉक्टर, नर्स और स्वास्थ्यकर्मी। लेकिन सवाल यह है - आपदा के समय उनकी सुरक्षा और समर्थन की जिम्मेदारी कौन लेता है? 

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आपात स्थितियों के लिए पर्याप्त रूप से तैयार नहीं

भारत जैसे आपदा-प्रवण देश में, हमारी स्वास्थ्य प्रणाली अब भी आपात स्थितियों के लिए पर्याप्त रूप से तैयार नहीं है।  अधिकतर मेडिकल कॉलेजों में डिज़ास्टर मेडिसिन पढ़ाई ही नहीं जाती। अस्पतालों में आपदा प्रबंधन योजनाओं का अभाव है। स्वास्थ्यकर्मियों को बड़े स्तर पर आपात स्थितियों से निपटने का प्रशिक्षण नहीं मिला है। और अस्पतालों, आपात सेवाओं और आपदा प्राधिकरणों के बीच समन्वय बहुत सीमित है। डिज़ास्टर मेडिसिन चिकित्सा की एक विशेष शाखा है, जो स्वास्थ्य सेवाओं को आपात स्थितियों - जैसे भूकंप, महामारी, आग, या रासायनिक हादसे से निपटने के लिए तैयार करती है। इसमें त्वरित प्राथमिक उपचार (ट्रायेज), अस्थायी चिकित्सा शिविर, रोग नियंत्रण, मातृत्व सेवाएं, टीकाकरण और मानसिक स्वास्थ्य सहायता जैसी आवश्यक सेवाएं शामिल होती हैं - और वह भी तब, जब बाकी सिस्टम पर दबाव चरम पर हो। 

भारतीय चिकित्सा प्रणाली को मज़बूत बनाने एवं चिकित्सकों तथा अन्य पैरामेडिकल स्टाफ की सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु भारत को तीन मुख्य क्षेत्रों में ठोस कदम उठाने होंगे - प्रशिक्षण, आधारभूत संरचना और स्वास्थ्यकर्मी बल। 

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1. प्रशिक्षण

डिज़ास्टर मेडिसिन को मेडिकल, नर्सिंग और पैरामेडिकल शिक्षा का अनिवार्य हिस्सा बनाना होगा। हर स्वास्थ्यकर्मी को सिखाया जाना चाहिए कि आपदा के समय कैसे काम करना है - ट्रायेज कैसे करना है, महामारी में कैसे सेवा देनी है, रासायनिक/नाभिकीय आपदाओं में कैसे स्वयं को सुरक्षित रखना है, और मानसिक आघात झेल रहे मरीजों की कैसे मदद करनी है। आपदा-प्रवण क्षेत्रों में नियमित अभ्यास और आपातकालीन मॉक ड्रिल का अभ्यास करना क्यों आवश्यक है। 

2. संस्थागत ढांचा

भारत में राष्ट्रीय डिज़ास्टर मेडिसिन एवं स्वास्थ्य आपात संस्थान की स्थापना करनी चाहिए, जो नीति, प्रशिक्षण और अनुसंधान में अग्रणी भूमिका निभाए। यह संस्थान NDMA, स्वास्थ्य मंत्रालय और WHO के साथ समन्वय कर वैश्विक सर्वोत्तम अनुभवों को भारत में लागू किया जा सके। 

3. आपदा-रोधी आधारभूत संरचना

जो अस्पताल बाढ़, भूकंप या आग के जोखिम में हैं, उन्हें इस तरह से पुनः डिज़ाइन या सुदृढ़ किया जाना चाहिए कि वे आपदा में भी कार्यरत रह सकें। बैकअप बिजली, स्वच्छ पानी, आपातकालीन निकासी, दूरसंचार प्रणाली - ये सभी न्यूनतम मानक के अनुसार होने चाहिए। किसी भी आपात स्थिति से सफलता पूर्वक निपटने के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर, जीवनरक्षक दवाएं, पीपीई किट, मोबाइल क्लीनिक और फील्ड अस्पताल जैसे संसाधनों का भंडारण करना चाहिए, ताकि वे तत्काल प्रभावित क्षेत्रों में भेजे जा सकें। टेलीमेडिसिन और मोबाइल हेल्थ यूनिटें दूरस्थ और कटे हुए क्षेत्रों तक पहुंच बनाने का एक सशक्त माध्यम हो सकती हैं। साथ ही, अस्पतालों को मौसम संबंधी पूर्व चेतावनियों और महामारी की जानकारी से जोड़ना चाहिए ताकि समय रहते आवश्यक सुरक्षा हेतु तैयारी की जा सके। 

4. स्वास्थ्यकर्मी बल

ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में डॉक्टरों, नर्सों, EMTS और लैब तकनीशियनों की भारी कमी है। यह कमी आपदा के समय बड़ी समस्या बन जाती है। सरकार और निजी क्षेत्र को मिलकर एक मज़बूत, प्रशिक्षित और समर्थ स्वास्थ्यकर्मी बल तैयार करना चाहिए। हमें आपात चिकित्सा दल (Emergency Medical Teams - EMTs) का गठन करना होगा, जो प्रशिक्षित, मोबाइल और आपदा-प्रतिक्रिया में निपुण हों। 

5. मानसिक स्वास्थ्य

आपदा के दौरान और बाद में मानसिक तनाव, अवसाद और थकावट डॉक्टरों और मरीजों दोनों को प्रभावित करता है। मानसिक स्वास्थ्य को आपदा प्रतिक्रिया का अभिन्न हिस्सा बनाना होगा। सभी अस्पतालों में मानसिक स्वास्थ्य सहायता, ट्रॉमा काउंसलिंग और दीर्घकालीन मनो-सामाजिक समर्थन अनिवार्य होना चाहिए। 

कोविड-19 ने हमें यह सिखाया है कि अगली आपदा की प्रतीक्षा करना विकल्प नहीं है। तैयारी पहले से होनी चाहिए। डॉक्टर सिर्फ फ्रंटलाइन योद्धा नहीं बल्कि हमारी तरह इंसान हैं। उन्हें सक्षम बनाना, सुरक्षित रखना, और सशक्त करना हमारा कर्तव्य है। 

इस डॉक्टर्स डे पर आइए इस पर गहन विचार करें कि - डॉक्टर्स डे पर हमारे डॉक्टरों के लिए असली श्रद्धांजलि क्या होगी?  केवल गुलदस्ते और प्रशंसा? या ऐसा सिस्टम, जो संकट के समय उनके साथ खड़ा हो? सराहना ज़रूरी है, लेकिन इससे ज्यादा ज़रूरी है निम्नलिखित पर ठोस कार्रवाई: 

  • हर अस्पताल के पास आपदा प्रबंधन योजना हो 
  • हर मेडिकल कक्षा में डिज़ास्टर मेडिसिन पढ़ाई जाए 
  • जरूरी संसाधनों का भंडारण हो 
  • प्रशिक्षित और समर्थ मेडिकल टीमें तैयार हों

भारत के पास प्रतिभा भी है, संसाधन भी। अब ज़रूरत है संकल्प, साहस और दूरदर्शिता की।  इस डॉक्टर्स डे पर हम केवल समारोह नहीं, प्रतिबद्धता व्यक्त करें। सेवा का नहीं, बल्कि सुरक्षा का सम्मान करें। हमारी कृतज्ञता - नीतियों, बजट, प्रशिक्षण और सुरक्षा के रूप में सामने आए। क्योंकि डॉक्टरों के प्रति सच्चा सम्मान शब्दों से नहीं, हमारी तैयारी और संकल्प से प्रकट होता है। get healthy | get healthy body | Health Advice | Health and Fitness | Health Awareness not present in content

डॉक्टर्स डे की हार्दिक शुभकामनाएं।

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