आज हम बात करने वाले हैं शतरंज की दुनिया के उभरते सितारे प्रज्ञानंद के बारे में, जिन्होंने 2 फरवरी को टाटा स्टील शतरंज का खिताब जीतकर इतिहास रच दिया। वे ऐसा कारनाम करने वाले विश्वनाथ आनंदन के बाद दूसरे व्यक्ति हैं। उन्होंने टाईब्रेकर में हमवतन और विश्व चैंम्पियन डी. गुकेश को 2-1 से हराया था। वो युवाओं के लिए प्रेरणा हैं।
प्रज्ञानंद का जीवन
प्रज्ञानंद का जन्म 10 फरवरी 2005 को तमिलनाडु के चेन्नई में हुआ था। इनके पिता का नाम रमेशबाबू है, वो पेशे से एक बैंकर हैं। प्रज्ञानंद की मां का नाम नागलक्ष्मी है। वो एक ग्रहणी हैं। ये अपनी बडी बहन को अपनी प्रेरणा मानते हैं। प्रज्ञानंद की बहन वैशाली भी शतरंग खिलाडी और ग्रैंडमास्टर हैं। प्रज्ञानंद ने बचपन में ही शतरंग की शुरुआत कर दी थी। इनकी मां टीवी देखने से मना करती थी, जिस कारण उनका मन शतरंज में इतना रम गया, जिसका परिणाम आज हम सबके सामने है।
कार्लसन को दे चुके हैं पटखनी
19 साल के प्रज्ञानंद ने 16 साल की उम्र में नॉर्वे के मैग्नस कार्लसन को भी पटखनी दी है। उन्होंने 2022 में उस समय के वर्ल्ड चैंपियन कार्लसन को ऑनलाइन रैपिड शतरंज टूर्नामेंट एयरथिंग्स मास्टर्स के आठवें दौर में शिकस्त दी थी। इसके बाद उन्होंने कार्लसन को स्टावेंजर 2024 में नॉर्वे शतरंज टूर्नामेंट के तीसरे दौर के दौरान क्लासिकल गेम में भी हरा दिया था।
अचीवमेंट
प्रज्ञानंद ने साल 2013 में वर्ल्ड यूथ चेस चैंपियनशिप अंडर 8 का टाइटल अपने नाम किया था। वहीं साल 2015 में इस भारतीय ग्रैंडमास्टर ने अंदर 10 का टाइटल भी जीता था, वहीं 2023 में उन्होंने शतरंज के वर्ल्ड कप फाइनल में भी जगह बनाई थी। दिग्गज विश्वनाथ आनंद के बाद वो चेस के वर्ल्ड कप फाइनल में एंट्री लेने वाले दूसरे भारतीय बने थे। प्रज्ञानंद का कहना है कि उनकी बहन की वजह से ही वो आज यहां है। माता- पिता के अलावा बहन से भी उनको काफी सपोर्ट मिला।
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