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YOUTH POWER Photograph: (google )
नई दिल्ली , वाईबीएन नेटवर्क: : विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र में शुमार भारत इस समय सबसे युवा देश है। 50% से अधिक जनसंख्या 25 वर्ष से कम आयु की है, जबकि करीब 65% आबादी 35 वर्ष से कम आयु की है। भारत के युवाओं में शासन में बदलाव, प्रगति और इनोवेशन करने की अपार संभावनाएं हैं। निश्चित है भारतीय युवाओं में एक गतिशील शक्ति है, जिनमें शासन व्यवस्था का बदलने की असीम क्षमता है। निसंकोच हम कह सकते हैं कि युवा ही शासन के वास्तविक निर्माता हैं। शासन का भाग्य उनके हाथों में है। आइए जानते हैं कैसे देश के बेहतर भविष्य का निर्माण करने में युवा मदद कर रहे हैं और कर सकते हैं।
राजनीतिक जागरुकता और भागेदारी
सोशल साइट गिव डिस्कवर की एक रिपोर्ट के अनुसार, अब तक भारत में युवाओं को राजनीति के प्रति उदासीन माना जाता था, क्योंकि उनका मानना था कि वोट देने के बाद उनकी जिम्मेदारी समाप्त हो जाती है। लेकिन यह विचार आधुनिक भारत में तेजी से बदल रहा है। सोशल मीडिया की बदौलत युवाओं की राजनीति में दिलचस्पी और सक्रियता काफी बढ़ी है। वे आर्थिक विकास, पर्यावरणीय स्थिरता और लैंगिक समानता जैसे मुद्दों पर बेबाकी से अपनी बात रख रहे हैं। भारत की दृष्टि से यह राजनीतिक जागरुकता बेहद महत्वपूर्ण हैं। समाजविज्ञानी डॉ विमल कुमार कहते हैं कि यह बदलाव काफी महत्वपूर्ण है और राजनीति के प्रति युवाओं में नई जागरुकता हमें दुनिया में और बेहतर स्थान दिला सकती है।
इनोवेशन व शासन व्यवस्था में युवाओं की भूमिका
शासन व्यवस्था में सुधार के लिए युवाओं में बढ़ती सक्रियता काबिलेगौर है। सुधार के लिए नवीनतम प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करके वे सरकारी सेवाओं को बेहतर बनाने, पारदर्शिता बढ़ाने और सक्रिय नागरिकता बढ़ाने के लिए ऐप, वेबसाइट्स और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म तैयार करने में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं। इससे प्रशासनिक प्रक्रियाओं में भी सुधार आ रहा है। मसलन, उत्तर प्रदेश में युवा पुलिस अधिकारियों को अपनी बात कहने और अनुभवों को शेअर करने के लिए “Beyond the badge” नाम से पॉडकास्ट सेवा शुरू की है। ऐसे कार्य पुलिस को अधिक कुशल और नागरिक अनुकूल बनाने में मददगार साबित हो सकते हैं। गुजरात के सेवानिवृत्त पुलिस महानिदेशक (पुलिस सुधार) अनिल प्रथम का कहना है कि अब शासन व्यवस्था में युवाओं की भूमिका को कमत्तर करके नहीं आंका जा सकता है। निश्चित ही सरकारी सेवाओं के सुधार में युवाओं की भूमिका से बदलाव आ रहा है। अनिल प्रथम कहते हैं डिजिटल इनोवेशन अधिक कुशल और नागरिक अनुकूल बनाने में काफी कारगर हैं।
सामाजिक और पर्यावरणीय पहल
अब इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता है कि भारत में पर्यावरण क्षरण और सामाजिक असमानता सहित देश की सबसे बड़ी चुनौतियों से निपटने में युवाओं की अग्रणी भूमिका है। वृक्षारोपण परियोजनाओं और जलसंरक्षण व वायु प्रदूषण जैसे गंभीर मुद्दों पर अपनी आवाज उठा रहे हैं। चाहे भ्रष्टाचार विरोधी अभियान हो अथवा लैंगिक असमानता जैसे मुद्दे अथवा शासन में युवाओं के प्रतिनिधित्व जैसे विशिष्ट मुद्दे, सभी में युवाओं की भूमिका है।
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राजनीतिक दलों और केंद्र एवं राज्य सरकारों के मंत्रिमंडल में अब बुर्जुआ राजनीति की अपेक्षा युवा चेहरों को अधिक प्राथमिकता दी जा रही है। केंद्र की सरकार में युवाओं की भागीदारी 30% है। इनमें महिलाएं भी शामिल हैं। हालांकि भारत एक युवा देश है, परंतु संसद में युवाओं का प्रतिनिधित्व फिलहाल बहुत कम है। शीतकालीन सत्र के दौरान राज्यसभा में आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सदस्य राघव चड्ढा ने संसद में चुनाव लड़ने की उम्र घटाकर युवाओं को राजनीति में आने के लिए प्रोत्साहित करने की मांग भी उठाई थी।
उप्र के संभल से पूर्व सांसद कुंवर दानिश अली भी लोकसभा एवं राज्यसभा में युवाओं की संख्या बढ़ाने के पक्षधर हैं। उनका कहना है कि हमारा देश युवा है और वह राजनीति के वास्तविक निर्माता हैं। ऐसे में उनकी संसद में अधिक से अधिक भागीदारी सुनिश्चित किया जाना चाहिए। उप्र कांग्रेस के महासचिव एवं दिल्ली जामिया मिलिया स्टूडेंट यूनियन के पूर्व प्रेसीडेंट बदरुद्दीन कुरैशी का कहना है कि राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक क्षेत्रों में जिस तरह युवाओं का दबदबा बढ़ रहा है, ऐसे में युवाओं की अनदेखी नहीं की जा सकती है। संसद एवं राज्य की विधानसभाओं में युवाओं की भागीदारी भी बढ़ाई जानी चाहिए।