नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।
हम कक्षा पांचवी के जमाने पढ़ते आए हैं कि ऑक्सीजन को पेड़- पौधे सूर्य का प्रकाश होने पर ही बनाते हैं। लेकिन हाल ही में वैज्ञानिकों ने एक खोज की है। जिसमें बताया गया है कि सिर्फ पेड़- पौधे ही ऑक्सीजन नहीं बनाते हैं। वैज्ञानिकों को महासागर में कुछ ऐसे धातु के टुकड़े मिले हैं जो ऑक्सीजन बनाते हैं। इसने एक नयी बहस को जन्म दे दिया है कि अगर ऑक्सीजन को बिना पेडों के भी प्राप्त किया जा सकता है तो फिर अन्य ग्रहो पर भी ऑक्सीजन हो सकती है। इससे उन पर जीवन की संभावना भी हो सकती है।
विज्ञान के क्षेत्र में नई खोज
शोधकर्ताओं का कहना है कि महासागरों के गहरे भाग में ऑक्सीजन बनती है तो फिर अन्य ग्रहो पर ऑक्सीजन युक्त वातावरण बनाया जा सकता है। शोधकर्ताओं के लिए यह अनोखी घटना है। उन्होंने बताया किे इस घटना को समझने के लिए महासागरों के गहरे भागों का अध्ययन करेंगे। जिससे इसके बारे में और अधिक जानकारी हासिल की जा सके। वैज्ञानिकों ने इस ऑक्सीजन को ‘ डार्क ऑक्सीजन ’ का नाम दिया है। नासा के वैज्ञानिकों ने इस घटना पर बात करते हुए कहा कि डार्क ऑक्सीजन हमारी सोच का विस्तार दे सकती है कि बिना सूर्य के कैसे ऑक्सीजन बनती है।
खोज पर विवाद
वैज्ञानिकों की इस नई खोज पर विवाद होने लगा है। कई शोधकर्ताओं ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा कि समुद्र में खोज से उसके अन्दर बहुमूल्य धातुओं को गंभीर क्षति पहुंचेगी। कुछ संस्थाओं का यह भी कहना है कि इस खोज को रोक देना और इस पर कड़ी नजर रखी जानी चाहिए। प्रोफेसर स्वीट मैन का कहना है कि ‘मुझे इस बात पर बिल्कुल भी भरोसा नहीं है। इस खोज के बहाने कुछ लोग अपनी महत्वाकांक्षाओं को पूरा करना चाहते हैं।‘ दरअसल महासागरों के नीचे कई ऐसी धातुएं पाई जाती हैं जिनसे बैटरी बनाई जाती है। इन धातुओं को निकालने के लिए लोगों में होड़ लगी है। हालांकि कुछ पर्यावरणविदों ने इसकी रक्षा के लिए लेटर साइन किया है जिसमें समुद्र में खनन पर रोक लगाने में सहयोग की बात कही गई है।
यह भी पढें: Iron age Male: डीएनए अध्ययन में सामने आई बात, Iron age के पुरुष बन जाते थे घर जमाई