नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।
होमोसेपियंस का धरती पर अस्तित्व लगभग तीन लाख साल पुराना माना जाता है। आज के युग में मानव ने बहुत तरक्की कर ली है लेकिन ये विकास की राह बिल्कुल आसान नहीं थी। इंसान ने सबसे पहले आग की खोज तो कर ली लेकिन पर उस पर खाना पकाकर खाने के लिए उसे लाखों सालों का सफर तय करना पड़ा। उसकी भूख ने उससे न जाने उससे क्या- क्या करवाया। कभी उसने कच्चा मांस खाया तो कभी कन्द मूल। होमोसेपियंस की खोज धरती पर सबसे पहले अफ्रीका में की गई। अनेक अध्ययन ये दावा करते रहे कि मानव का प्रारंभिक जीवन बहुत ही अनुकूल माहौल में बीता, लेकिन सच तो ये है कि मानव जीवन न तो अब सरल है और न तब था।
कठिन परिस्थितियों में बिताया जीवन
हाल ही मे तंजानिया के ओल्डुपाई गॉर्ज एक अध्ययन की रिपोर्ट बताती है कि इंसान ने 12 लाख साल पहले रेगिस्तान जैसे कठोर माहौल में अपने आप को जीवित रखा और तपती धूप और भूख का सामना किया । रिपोर्ट में बताया गया कि इंसान ने खाने –पीने की कमी और सीमित संसांधनों के साथ अपना गुजारा किया। रेगिस्तान में मिले उनके औजार और जीवाश्म के साक्ष्य इस बात का सबूत हैं। जीवाश्मों के विश्लेषण से पता चलता है कि उस समय के लोग पौधों और छोटे जानवरों पर निर्भर थे।
आदि मानव के बारे में जितनी खोज हुई है ये रिपोर्ट उसके इतर है और नया दृष्टिकोण पेश करती है कि उस समय इंसान ने अपने आप को कठिर परिस्थितिओं में ढाल लिया था। जिससे मानव के विकास में मदद मिली।
होमोसेपियंस –
होमोसेपियंस का शारीरिक विकास भी धीमे- धीमे ही हुआ है। इनकी बनावट आज से बहुत ही अलग थी। वे भोजन के लिए केवल शिकार पर ही निर्भर थे। इनका सिर का आकार बड़ा और चेहरा छोटा होता था। होमोसेपियंस यूरोप, ऑस्टेलिया और एशिया तक फैले हुए थे। इसने सबसे पहले पत्थर से आग को पैदा किया था।
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