नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।
वैज्ञानिकों ने दुनिया भर में घट रही जेनेटिक डायवर्सिटी पर चिंता व्यक्त की है। अंतरराष्ट्रीय टीम के विश्लेषण के अनुसार, दुनिया भर में स्तनधारियों, पक्षियों और समुद्री प्रजातियों की आबादी घट रही है।
जीवों का संरक्षण है जरूरी
वैज्ञानिकों ने तीन दशकों (1985-2019) से ज़्यादा समय तक चले इस अध्ययन में जमीन और समुद्री में रहने वाले जानवरों, पौधों और कवक की 628 प्रजातियों की जाँच की । नेचर जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट में ऑस्ट्रेलिया, यूनाइटेड किंगडम, स्वीडन, पोलैंड, स्पेन, ग्रीस और चीन के शोधकर्ता शामिल थे। विश्लेषण से पता चला कि अध्ययन की गई आबादी में से दो-तिहाई में जेनेटिक डायवर्सिटी में गिरावट आ रही है। वैज्ञानिकों का कहना है आधे से भी कम प्रजातियों को संरक्षण प्राप्त हो रहा है।
इन जीवों को है अधिक खतरा
अध्ययन की गई प्रजातियों में से अधिकतर पशु (84.7 प्रतिशत) थे, जिनमें vertebrates (59.2 प्रतिशत) और invertebrates (25.5 प्रतिशत) शामिल थे, इसके बाद पौधे (12.7 प्रतिशत) और कवक (1.9 प्रतिशत) और यूकेरियोटिक प्रजातियाँ थीं। वैज्ञानिकों ने इस पर कहा कि इनको संरक्षण की आवश्यकता है अन्यथा इनकी प्रजातियां धीरे - धीरे विलुप्त हो जाएंगी।
शोधकर्ताओं का कहना है कि इन जीवों धरती पर कई तरह से खतरा है। इसके कई कारण हैं। वैज्ञानिकों ने जंगल की आग, वनों की कटाई, बाढ़ को लेकर चिंता जताई है। वनों की होती कटाई और बढता मानवीय आवास भी इसके लिए जिम्मेदार है।
मीडिया को दिए गए एक बयान में कैनबरा विश्वविद्यालय के लेखक रॉबिन शॉ ने कहा, "सफलताओं के बावजूद, हम लापरवाह नहीं हो सकते। विश्लेषण की गई आबादी में से दो-तिहाई लोग खतरों का सामना कर रहे हैं, और इनमें से आधे से भी कम आबादी को किसी भी तरह का संरक्षण प्रबंधन मिला है। यह महत्वपूर्ण है कि हम जो काम कर रहे हैं उससे सीखें ताकि हम लंबे समय तक प्रजातियों की रक्षा कर सकें।"
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