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Hate Speech: भारत को बदनाम करने की अमेरिकी साजिश

वाशिंगटन डीसी स्थित इंडिया हेट लैब ने एक रिपोर्ट जारी की है जिसमें बताया गया है कि भारत में अल्पसंख्यक विरोधी भाषा में पिछले वर्ष की तुलना में 2024 में 74.4% की वृद्धि हुई ।

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Suraj Kumar
Hate Speech In India
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नई दिल्‍ली, वाईबीएन नेटवर्क। 

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भारत के खिलाफ एक बार से दुष्‍प्रचार किया जा रहा है। देश को बदनाम किया जा रहा है कि यहां पर अल्‍पसंख्‍यक समुदाय सुरक्षित नहीं है। हाल ही में इसको लेकर अमेरिका से एक रिपोर्ट आई है, जिसमें बताया गया है अल्‍पसंख्‍यक समुदाय को हेट स्‍पीच का सामना करना पड रहा है। इसमें योगी आदित्‍यनाथ का नाम सबसे ऊपर है, हालांकि भारत ऐसी बेबुनियाद बातों का लगातार खंंडन करता आया है। 

रिपोर्ट के अनुसार 

भारत में अल्‍पसंख्‍यक समुदाय से भेदभाव में बढोत्‍तरी हुई है। हाल ही में इसको लेकर एक रिपोर्ट जारी की गई है। वाशिंगटन डीसी स्थित इंडिया हेट लैब ने एक रिपोर्ट जारी की है जिसमें बताया गया है कि भारत में अल्पसंख्यक विरोधी भाषा में पिछले वर्ष की तुलना में 2024 में 74.4% की वृद्धि हुई ।

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हेट स्‍पीच के 1,165 मामले दर्ज 

भारत में ' Social Media and Hate Speech in India' नामक रिपोर्ट में बताया गया है कि पिछले वर्ष देश  से मुसलमानों और ईसाइयों को निशाना बनाया जा रहा है। भारत में हेट स्‍पीच के 1,165 मामले दर्ज किए गए हैं। इसमें कहा गया है कि इसमें  2023 से 74.4% की वृद्धि हुई है। जबकि पिछले साल 668 ऐसी घटनाएँ दर्ज की गई थीं। कई समुदायों के प्रति हेट स्‍पीच की गई, इसमें मुख्‍य रूप से में मुसलमानों को निशान बनाया गया।

हेट स्‍पीच में नेता अव्‍वल 

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हेट स्‍पीच के मामले में नेताओं को सबसे आगे बताया गया है। 10 में से 6 बार नेताओं का  ही नाम आया है। इसमें प्रमुख रूप से  उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह शामिल हैं।  हेटस्‍पीच के मामले में योगी आदित्‍यनाथ का नाम सबसे ऊपर है,  जबकि मोदी ने 67 भाषण दिए, जो 2024 में ऐसे सभी भाषणों का 5.7% है।  

क्‍या कहती है ह्यूमन राइट्स वॉच की रिपोर्ट  

ह्यूमन राइट्स वॉच की अगस्त की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि मोदी ने 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए प्रचार करते समय 110 भाषणों में इस्लामोफोबिक टिप्पणियां की थीं। इसमें बताया गया है कि "कम से कम 110 भाषणों में मोदी ने इस्लामोफोबिक टिप्पणियां कीं, जिनका उद्देश्य स्पष्ट रूप से राजनीतिक विपक्ष को कमजोर करना था, जिसके बारे में उन्होंने कहा कि वह केवल मुस्लिम अधिकारों को बढ़ावा देता है, और गलत सूचना के माध्यम से बहुसंख्यक हिंदू समुदाय में भय पैदा करना था।"

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