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कौन हैं Andaman Nicobar की 'Deer Woman' अनुराधा राव ?

अंडमान की एक महिला चर्चा का विषय बनी हुई हैं। वन्यजीवों के साथ अच्‍छे व्‍यवहार के कारण वे करुणा और सद्भाव का प्रतीक बन गई हैं। उनका नाम अनुराधा राव है जिन्‍हें Deer Woman के नाम से जाना जाता है।

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Suraj Kumar
DEER Woman
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नई दिल्‍ली, वाईबीएन नेटवर्क।

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प्रेम की भाषा को इंसान ही नहीं बल्कि जानवर भी बेहतर तरीके से समझते हैं। इसी प्रेम के कारण अंडमान की एक महिला चर्चा का विषय बनी हुई हैं।  वन्यजीवों के साथ अच्‍छे व्‍यवहार  के कारण वे करुणा और सद्भाव का प्रतीक बन गई हैं।  उनका नाम अनुराधा राव है जिन्‍हें Deer Woman के नाम से जाना जाता है। वो कई  साल से इसी तरह जानवारों और प्रक्रति से प्रेम करती आ रही हैं।

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बचपन से ही है जानवरों से लगाव 

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अनुराधा की यात्रा तब शुरू हुई जब वह एक छोटी बच्ची थी। उनके पूर्वजों  को स्वतंत्रता से पहले कैदियों के रूप में द्वीपों पर लाया गया था। अपने शुरुआती दिनों से ही, राव उन हिरणों की ओर आकर्षित थीं ।  उनको बचपन से ही जानवरों से लगाव था। 

अनुराधा राव ने बताया कि  मैं इस द्वीप की चौथी पीढ़ी की निवासी हूँ। मेरे पैतृक और मातृ पूर्वजों को स्वतंत्रता से पहले कैदियों के रूप में अंडमान लाया गया था। मैं यहाँ एक छोटी बच्ची के रूप में आई थी; मैंने यहाँ हिरण देखे और उन्हें भोजन उपलब्ध कराया... इस द्वीप के हिरणों के साथ मेरा एक गहरा बंधन था,"  उनकी दयालुता के छोटे-छोटे कामों ने बाद में एक बहुत बड़ी चीज की नींव रखी- उनके और द्वीप के जानवरों के बीच एक गहरा, आपसी विश्वास। अपने निरंतर प्रयासों से, अनुराधा ने मनुष्यों और जानवरों के बीच की खाई को पाटने में सफलता प्राप्त की है, जिससे हिरणों को फिर से मनुष्यों पर भरोसा करने का मौका मिला है। उनके कई प्यारे जानवरों में से, उनके दो हिरण सबसे अलग हैं- दोनों की उम्र 17 साल है और उनका वजन क्रमशः 70 और 75 किलोग्राम है।

क्‍या कहा अनुरधा राव ने 

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"मेरे दो हिरण 17 साल के हैं, जिनका वजन 70 और 75 किलोग्राम है... 25 से अधिक वर्षों तक, मैंने धैर्यपूर्वक हिरणों का विश्वास जीतने के लिए काम किया, उनके साथ समय बिताया, उन्हें खाना खिलाया और उनके व्यवहार को समझा। आज, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के हिरण अब मनुष्यों से नहीं डरते हैं जैसा कि वे पहले डरते थे,"। 

पहचान का मोह नहीं 

उन्‍होंने बताया कि डियर वूमेन वह उपाधि नहीं है जिसे अनुराधा चाहती थीं, बल्कि यह उपाधि उन्होंने अपने कार्यों के बल पर अर्जित की है। संसार में मानव-पशु संघर्ष अक्सर सुर्खियों में रहता है। ऐसे जानवरों के प्रति काम करना अच्‍छा लगता है , इससे सुकून मिलता है। 

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