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हजरत इमाम हसन रदियल्लाह अन्ह की विलादत पर दरगाह आला हजरत में सजी महफिल

हजरत इमाम हसन रदियल्लाह अन्ह की विलादत पर उनकी याद में सुन्नी मुसलमानों ने नजर और नियाज का एहतिमाम किया। बरेली स्थित दरगाह आला हजरत पर एक खास महफिल-ए-जिक्र का एहतिमाम किया गया। 

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KP Singh
दरगाह आला हजरत
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बरेली, वाईबीएन संवाददाता

बरेली। रमजान के महीने में इस्लाम की बहुत सी अजीम हस्तियों की विलादत (जन्म) और विसाल हुए हैं। 15 रमजान उल मुबारक को हजरत मुहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के प्यारे नवासे हजरत इमाम हसन रदियल्लाह अन्ह की विलादत हुई। उनकी याद में सुन्नी मुसलमानों ने नजर और नियाज का एहतिमाम किया। इस मौके पर दरगाह आला हजरत पर एक खास महफिल-ए-जिक्र का एहतिमाम किया गया। 

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महफिल का आयोजन मौलाना सुब्हान रजा खान (सुब्हानी मियां) की सरपरस्ती में सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन रजा कादरी (अहसन मियां) के निवास पर किया गया। दरगाह के नासिर कुरैशी ने बताया कि महफिल का आगाज तिलावत ए कुरान से किया गया। इसके बाद हजरत इमाम हसन रदियल्लाह अन्ह की सीरत-ए-मुबारक पर रोशनी डालते हुए सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन रजा ने कहा कि उनकी विलादत 3 हिजरी को मदीना शरीफ में हुई। 

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उन्होंने कहा कि वह मौला अली के बड़े शहजादे और हजरत इमाम हुसैन के बड़े भाई थे। उन्हें जहर देकर शहीद किया गया। उनके पूरे कुनबे ने अल्लाह की राह में कुर्बानी देकर मुसलमानों का पैगाम दिया कि ज़ुल्म के आगे कभी सिर न झुकाएं भले ही जान क्यों न चली जाए। उन्होंने लोगों को सब्र और इस्तिकामत का पैगाम दिया। 

जो उनके दर पर आता कभी खाली हाथ नहीं जाता

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ज्जादानशीन मुफ्ती अहसन रजा ने कहा कि हजरत इमाम हसन ने हमेशा गरीबों, मजलूमों, बेसहारों और यतीमों की मदद की। उनके दर पर जो भी आता खाली हाथ न जाता। फातिहा के बाद खुसूसी दुआ हुई। सबको तबरुक तकसीम किया गया। सभी ने सज्जादानशीन के साथ इफ्तार किया। इस दौरान मुफ्ती सलीम नूरी बरेलवी, मौलाना जाहिद रजा, अल्हाज मोहसिन हसन खान, मंजूर रजा, मुजाहिद बेग, इशरत नूरी, अब्दुल माजिद खान, आलेनबी, साजिद रजा, जोहिब रजा, नईम नूरी, ताहिर अल्वी, अजमल नूरी, औरंगजेब नूरी, परवेज नूरी, शाहिद नूरी, नासिर कुरैशी, शान रजा, हाजी जावेद खान, नफीस खान, आदिल रजा, मुस्तकीम रजा आदि लोग मौजूद रहे।

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