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बरेली, वाईबीएन संवाददाता
मंडलायुक्त दफ्तर का एक बाबू भाजपा विधायक पर भारी पड़ गया। विधायक की संस्तुति पर टीएसी ने जांच करके मंडलायुक्त सौम्या अग्रवाल के कार्यालय में भेज दी। मगर, बाबू इतना पॉवरफुल है कि वह जांच की फाइल कमिश्नर की टेबिल पर पुटअप ही नहीं कर रहा है। महीनों से विधायक की जांच कमिश्नर कार्यालय में लटकी पड़ी है। शासन को भी नहीं जा पा रही है। विधायक भी परेशान हैं।
सूत्रों के अनुसार शाहजहांपुर के निगोही की एक भाजपा विधायक ने कस्बे से 12 किलोमीटर दूर बगा बाबा के मंदिर का एक करोड़
रुपये की लागत से जीर्णोंद्धार कराया है। इसमें ठेकेदार ने जो भी निर्माण कार्य कराए, वह निर्धारित मानक के अनुरूप नहीं थे। विधायक ने जिस स्थान पर गेट निर्माण कराने के लिए कहा तो वहां पर ठेकेदार ने गेट नहीं बनाया। उसे दूसरी जगह बना दिया। मंदिर परिसर के अलावा शौचालय निर्माण में भी उच्च गुणवत्ता की सामग्री न लगाकर घटिया निर्माण सामग्री का प्रयोग किया गया। ठेकेदार ने विधायक की एक भी बात नहीं मानी। कार्यदायी संस्था और ठेकेदार के क्रियाकलापों से नाराज विधायक ने उसकी टीएसी जांच करा दी। सूत्रों का कहना है कि टीएसी जांच में भी महिला भाजपा विधायक की बात सही पाई गई।
वह जांच रिपोर्ट टीएसी ने कमिश्नर दफ्तर को भी सौंप दी। कमिश्नर दफ्तर के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि मंडलायुक्त के दफ्तर में मुकेश बाबू हैं। वह विधायकों की संस्तुति पर होने वाली किसी भी जांच को आगे नहीं बढ़ने देते। टीएसी के भेजने के बाद जांच की फाइल मैडल के सामने महीनों तक पुटअप नहीं करते। इससे कमिश्नर मैडम को जांचों की प्रगति के बारे में पता नहीं चल पाता। इसके चलते विधायकों और सांसदों की संस्तुति पर कराई गई टीएसी जांचें महीनों लटकी रहती हैं। एक सूत्र के अनुसार टीएसी जांच की कोई भी रिपोर्ट कमिश्नर कार्यालय आती है तो मुकेश बाबू संबंधित विभाग, जिसकी जांच होती है, उसके स्टाफ से वह जांच रिपोर्ट महीनों तक कमिश्नर कार्यालय में रोकने के लिए सेटिंग कर लेते हैं। जांच रिपोर्ट रोकने के बदले में बाबू की मोटी ऊपरी कमाई हो रही है। उच्चाधिकारियों को इसकी भनक नहीं है। इसके चलते ही तमाम जांचें कमिश्नर दफ्तर में लंबित हैं।
सत्ता में होने के बाद भी चक्कर लगाते हैं भाजपा के विधायक
केंद्र और प्रदेश में अपनी सरकार होने के बाद भी भाजपा विधायक अपने छोटे-मोटे काम कराने या जांच रिपोर्ट की प्रगति जानने के लिए कभी टीएसी दफ्तर तो कभी कमिश्नर दफ्तर के चक्कर काटते रहते हैं। बाबू फाइल पुटअप नहीं करते। अफसर भी सुनते नहीं। यह माहौल देखकर तमाम भाजपा विधायकों की यह पीड़ा अक्सर छलक भी उठती है कि उनकी अपनी ही सरकार केंद्र और प्रदेश में है। फिर भी वह अपने काम बाबुओं से भी करा पाने में असमर्थ हैं। अधिकारियों की कौन कहे। इस मामले में मंडलायुक्त सौम्या अग्रवाल से भी बात करने की कोशिश की गई लेकिन सीयूजी नंबर पर उनसे बात नहीं हो सकी।
मुकेश बाबू बोले, मेरी मर्जी, जांच रिपोर्ट भेजूं या न भेजूं
कमिश्नर कार्यालय में जांच रिपोर्ट का पटल देखने वाले मुकेश बाबू से जब टीएसी जांच रिपोर्ट की फाइल मैडम के सामने न रखने की वजह पूछी गई तो वह भड़क उठे। बोले, मेरे पास छत्तीसो काम हैं। मैं जांच रिपोर्ट ही आगे बढ़ाने के लिए इस कुर्सी पर थोड़े ही बैठा हूं। जब मैडम (कमिश्नर) जांच रिपोर्ट मांगेंगी तो उनके सामने रख दूंगा। कमिश्नर कार्यालय के बाबू के कार्य व्यवहार से उनके स्टाफ के लोग भी दुखी हैं।
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