बरेली, वाईबीएन संवाददाता
बरेली। हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी कुछ निजी स्कूल हठधर्मिता दिखाते हुए कोरोना काल की 15 फीसदी फीस वापस नहीं कर रहे हैं। अभिभावकों के फीस वापस मांगने पर उन्हें मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित होने की बात कहकर गुमराह कर रहे हैं। मंगलवार को अभिभावक संघ ने फीस वापसी समेत कई मुद्दों को डीएम के सामने उठते हुए ज्ञापन सौंपा। डीएम ने मामले में कार्रवाई का आश्वासन दिया है।
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छह सूत्री ज्ञापन में अभिभावक संघ ने कहा कि शासनादेश के अनुसार सभी विद्यालयों को कोरोना काल में सत्र 2020-21 की 15% फीस वापस करनी थी, लेकिन कई बड़े निजी विद्यालयों ने एक समूह बनाकर यह निर्णय लिया है कि वे फीस नहीं लौटाएंगे। वे अभिभावकों को यह कहकर गुमराह कर रहे हैं कि मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, जबकि ऐसा कोई स्थगन आदेश नहीं है। हालांकि बरेली के कई विद्यालय पहले ही फीस वापस कर चुके हैं।
उन्होंने जिला शुल्क समिति, जिसके डीएम अध्यक्ष है कि बैठक बुलाकर ऐसे स्कूलों को सख्त निर्देश जारी करें कि जब तक इस मामले का समाधान नहीं करते, तब तक अभिभावकों को अनावश्यक शुल्क जमा करने के लिए बाध्य नहीं करेंगे।
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वेबसाइट पर विवरण नहीं करते अपलोड, छात्रों पर बना रहे दबाव
ज्ञापन में कहा कि कई विद्यालयों ने तीन वर्षों के शुल्क समेत अन्य विवरण अपनी वेबसाइट पर अपलोड नहीं किए हैं, जबकि यह प्रक्रिया नए सत्र से तीन माह में पूर्ण हो जानी चाहिए। ऐसे विद्यालयों को नोटिस जारी किया जाए और अर्थदंड लगाया जाए।
कहा कि इस वर्ष नई शिक्षा नीति के तहत कक्षा 5 व 8 के छात्रों को फेल करने का प्रावधान किया गया है। आशंका है कि कई विद्यालय कमजोर छात्रों को विद्यालय छोड़ने के लिए बाध्य करेंगे या जानबूझकर उन्हें असफल घोषित करेंगे, जिससे उनके परीक्षा परिणामों में उच्च श्रेणी के छात्रों की संख्या अधिक हो सके।
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फीस जमा न होने पर नहीं रोका जाए परिणाम
अभिभावक संघ ने कहा कि विद्यालयों द्वारा तीन माह की एडवांस फीस वसूली जाती है। यदि किसी छात्र की अंतिम तिमाही की फीस जमा नहीं हो पाई हो, तो उसका परीक्षाफल रोकना अनुचित व अवैध है। उन्होंने एक तिमाही की फीस जमा न होने के कारण किसी भी छात्र का परिणाम न रोके जाने की मांग की।
कोचिंग चलाने वाले शिक्षकों पर हो कार्रवाई
संघ ने कहा कि कई विद्यालयों के शिक्षक निजी कोचिंग भी चला रहे हैं। ये शिक्षक छात्रों पर दबाव बनाते हैं कि यदि उनकी कोचिंग में शामिल नहीं होंगे तो उन्हें कक्षा 9 या 11 में रोक दिया जाएगा। विद्यालयों से घोषणा-पत्र लिया जाए कि उनके शिक्षक कोचिंग संचालन में शामिल नहीं हैं। यदि ऐसा पाया जाता है तो उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की। इस दौरान अभिभावक संघ के अध्यक्ष अंकुर किशोर सक्सेना समेत अन्य पदाधिकारी मौजूद रहे।