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बरेली, वाईबीएन संवाददाता
बरेली। जमीनी हकीकत भले कितनी बदसूरत हो कागजों में उसे कैसे चार चांद लगाने हैं सरकारी मशीनरी को यह गुर बखूबी आता है। बरेली की बहेड़ी तहसील के 300 किसानों को कृषि विभाग ने कागजों में अनुदानित बीज बांट दिया मगर हकीकत में उन्हें एक दाना भी नहीं दिया। यह पूरा खेल कर्मचारियों ने केवाईसी के नाम पर किया। किसानों ने जब विभागीय अधिकारियों से मामले की शिकायत की तो उन्होंने भी गोलमोल जवाब के साथ जांच ठंडे बस्ते में डाल दी।
बहेड़ी तहसील क्षेत्र गांव उनई मकरूका में रहने वाले किसान योगेंद्र सिंह ने आईजीआरएस पर की। उन्होंने शिकायत में बताया कि कृषि विभाग की ओर से किसानों को गेहूं, सरसों, मसूर, मटर, राई, तोरई आदि के बीज अनुदान पर निशुल्क उपलब्ध कराए गए थे मगर कृषि विभाग के अधिकारी जय प्रकाश मौर्य और हलका लेखपाल धर्मवीर ने किसानों को गुमराह करके कृषि नकल की केवाईसी के नाम पर पॉस मशीन पर अंगूठे लगवा लिए। इसके जरिये उन्होंने बीज हड़प लिए और किसानों को एक दाना भी नहीं दिया।
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आठ दिन बाद किसानों को इस गोलमाल की जानकारी तब हुई जब किसी ने बताया कि यूपी एग्रीकल्चर साइट पर उनके नाम उन किसानों की सूची में शामिल हैं, जिन्हें विभाग की ओर अनुदानित बीज दिया गया है। किसानों ने जब बेवसाइट देखी तो होश उड़ गए। इसके बाद उन्होंने 24 दिसंबर 2034 को मामले की शिकायत मुख्यमंत्री पोर्टल पर की।
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किसानों की शिकायत पर मामले की जांच उप कृषि निदेशक ने मामले की जांच शुरू तो उन्होंने शासनादेश का हवाला देते हुए शिकायतकर्ता से शपथ पत्र के साथ साक्ष्य प्रस्तुत करने को कहा। साथ ही उनके 300 किसानों की सूची मांगी जिनके नाम बीज हड़पा गया। शिकायतकर्ता के साक्ष्य उपलब्ध कराने के बाद भी इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई।
सूत्रों के मुताबिक इस पूरे गोलमाल के पीछे जिस गोदाम प्रभारी नाम आया वह विभागीय अफसरों को चहेता है। यही वजह है कि जांच में लीपापोती कर उसे बचाने की कोशिश में अधिकारी लगे हैं। इसी मामले में बहेड़ी के किसान सुलक्षण पटेल ने भी शिकायत की थी। इसके बाद गोदाम प्रभारी शिकायतकर्ता को धमकाने पहुंचे गए। मामला डीएम से होते हुए बहेड़ी थाने पहुंचा तो शिकायतकर्ता के पैर पकड़कर माफी मांगनी पड़ी, तब जाकर थाने में समझौता हुआ। इस मामले में उप कृषि निदेशक अभिनंदन सिंह ने बताया कि मामला उनके संज्ञान में नहीं है। वह जानकारी करने के बाद ही कुछ बता पाएंगे।