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बरेली, वाईबीएन संवाददाता
बरेली। माध्यमिक शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) गुलाब देवी ने बुधवार को माध्यमिक शिक्षा विभाग के नागरिक घोषणा-पत्र का विमोचन किया। इसके तहत शिक्षकों, शिक्षणेत्तर कर्मचारियों और विद्यार्थियों को दी जाने वाली सेवाओं के निस्तारण की समयसीमा तय की गई है, जिससे विभागीय कार्यों में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित हो सके।
मंत्री गुलाब देवी ने कहा कि यह घोषणा पत्र माध्यमिक शिक्षा में अनुशासित कार्य संस्कृति विकसित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे जनहित से जुड़ी आवश्यक सेवाओं को चिह्नित कर उनकी समयबद्ध स्वीकृति सुनिश्चित की जाएगी। इसके अलावा राजकीय और अशासकीय सहायता प्राप्त विद्यालयों के शिक्षकों और कर्मचारियों के सेवा संबंधी मामलों, जैसे अवकाश, पेंशन, प्रोन्नति, वेतनमान, जीपीएफ और मृतक आश्रित नियुक्तियों के निस्तारण के लिए भी स्पष्ट समयसीमा तय की गई है।
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मंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार की मंशा के अनुरूप इस घोषणा पत्र से त्वरित, पारदर्शी, सुगम, जवाबदेही और जनहितैषी व्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा। इससे विभागीय कार्यों में न केवल गति आएगी, बल्कि शिक्षकों और विद्यार्थियों को भी समय पर सेवाएं प्राप्त होंगी। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि घोषणा पत्र का पालन सख्ती से किया जाए और किसी भी स्तर पर लापरवाही न बरती जाए।
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घोषणा पत्र के तहत यदि किसी प्रकरण का निर्धारित समयसीमा में निस्तारण नहीं किया जाता है तो अपीलीय अधिकारी संबंधित अधिकारी व कर्मचारी के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई की अनुशंसा कर सकते हैं। इसके अलावा प्रत्येक कार्यालय के प्रवेश द्वार पर प्रथम व द्वितीय अपीलीय अधिकारियों के नाम और संपर्क विवरण मोटे अक्षरों में लिखवाने के निर्देश भी दिए गए हैं, ताकि आवेदकों को किसी भी समस्या का समाधान तुरंत मिल सके।
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घोषणा-पत्र में उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद और उत्तर प्रदेश माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद के विद्यार्थियों के परीक्षा, प्रमाणपत्र व अन्य संबंधित मामलों के निस्तारण की भी समय-सीमा तय की गई है। इसके साथ ही पुस्तकालय अनुभाग शिविर कार्यालय से संबंधित सेवा प्रकरणों को समयबद्ध निस्तारित करने की व्यवस्था की गई है।
घोषणा-पत्र में यह भी प्रावधान किया गया है कि राजकीय और सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों और कर्मचारियों के सभी प्रकार के अवकाश अब मानव संपदा पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन स्वीकृत किए जाएंगे। इससे प्रशासनिक प्रक्रियाओं में तेजी आएगी और शिक्षकों को अनावश्यक परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ेगा।