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बरेली, वाईवीएन संवाददाता
बरेली। गाजियाबाद की एडिशनल कमिश्नर पुलिस कल्पना सक्सेना पर जानलेवा हमले के मामले में सोमवार को अदालत ने अपना फैसला सुनाया। अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुरेश कुमार गुप्ता ने तीन सिपाहियों समेत चारों आरोपियों को दोषी पाते हुए 10-10 साल की सजा सुनाई है। साथ ही चारों पर 50-50 का जुर्माना डाला है। जुर्माने की आधी धनराशि वादिनी को देने का आदेश दिया है। जुर्माना अदा न करने पर दोषियों को एक-एक साल की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी।
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सितंबर 2010 में कल्पना सक्सेना बरेली में एसपी ट्रैफिक के पद पर कार्यरत थीं। 2 सितंबर 2010 को वह चौकी चौराहा इलाके में ड्यूटी पर थीं। तभी उन्हें नेशनल हाईवे पर नकटिया नदी से पहले मजार के पास ट्रैफिक पुलिस सिपाहियों द्वारा ट्रकों को रोककर अवैध वसूली किए जाने की सूचना मिली। उन्होंने मौके पर जाकर देखा तो नेशनल हाईवे पर मजार के पास कई ट्रक खड़े थे। सड़क के दूसरी तरफ सफेद रंग की मारुति कार खड़ी थी। ट्रैफिक पुलिस के सिपाही मनोज कुमार, राविंदर सिंह और रविंद्र सिंह ट्रक चालकों से अवैध वसूली कर रहे थे।
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उन्होंने पकड़ने की कोशिश की सिपाही कार लेकर भागने लगे। कल्पना सक्सेना ने पीछा करके एक हाथ से कार की खिड़की पकड़ ली। सिपाहियों ने उन्हें पीटना शुरू कर दिया और कार रोकने के बजाय 150-200 मीटर तक खचेड़ते ले गए। इसके बाद सड़क पर फेंक दिया, जिससे वह घायल हो गईं। घटना के बाद आरोपी सिपाही मौके से फरार हो गए। तत्कालीन एसएसपी ने तीनों सिपाहियों को बर्खास्त कर दिया था, लेकिन बाद में हाईकोर्ट के आदेश पर वे बहाल हो गए। इसके बाद विभागीय जांच में उन्हें फिर से दोषी पाया गया, जिसके आधार पर एसएसपी रोहित सिंह सजवाण ने उन्हें दोबारा सेवा से बर्खास्त कर दिया।
कल्पना सक्सेना की ओर से दर्ज कराई गई एफआईआर में ट्रैफिक पुलिस के सिपाही मनोज कुमार, राविंदर सिंह, रविंद्र सिंह और धर्मेंद्र पुत्र मेघनाथ खारिक निवासी नहरोसा थाना नवाबगंज जिला फर्रुखाबाद और हाल निवासी नकिटया कैंट को नामजद किया था। 24 फरवरी को अदालत ने सुनवाई पूरी करने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। साथ ही चारों आरोपियों को जेल भेजने का आदेश दिया था। तभी से चारों आरोपी जेल में हैं।
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मनोज कुमार पुत्र रामसिंह निवासी गांव परसूपुर थाना भगतपुर जिला मुरादाबाद, रावेंद्र सिंह पुत्र सूबेदार सिंह निवासी गांव मूसा खिरिया थाना जहानगंज जिला फर्रुखाबाद, रविंद्र सिंह पुत्र मेघनाथ और धर्मेंद्र पुत्र मेघनाथ खारिक निवासी गांव नहरोसा थाना नवाबगंज जिला फर्रुखाबाद हैं। रविंद्र और धर्मेंद्र एक ही गांव के रहने वाले हैं। बरेली में भी वे एक ही पते पर रहते थे।
पुलिस कर्मियों ने आरोपी सिपाहयों को बचाने की पूरी कोशिश की। विवेचक ने न केवल सबूतों को कमजोर करने की कोशिश की, बल्कि तत्कालीन एसपी ट्रैफिक के गनर और चालक ने भी कोर्ट में आरोपी सिपाहियों को पहचानने से इनकार कर दिया। जिरह के दौरान जब कल्पना सक्सेना को एहसास हुआ कि केस गलत दिशा में जा रहा है, तो उन्होंने वरिष्ठ अभियोजन अधिकारी एस.के. सिंह, सहायक अभियोजन अधिकारी विपर्णा और सुप्रीम कोर्ट के वकील अभिषेक अमृतांशु के सहयोग से अपने पक्ष को मजबूती से पेश किया।
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि ट्रैफिक पुलिस के तीनों सिपाही अपनी ड्यूटी पर न होकर ट्रक वालों से अवैध वसूली कर थे। मौके पर पहुंची वरिष्ठ अधिकारी ने गाड़ी से उतरने को कहा तो सिपाहियों ने अभिवादन करने के बजाय उन्हें जान से मारने की नियत से उनके ऊपर गाड़ी चढ़ाने की कोशिश की। उन्हें कार से दो सौ मीटर तक घसीटा गया, जिससे वह घायल हो गईं। यह कृत्य लोगों के कानूनी प्रवर्तन मशीनरी से विश्वास उठने जैसा है।