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खामोश ही रहने दो हमको यही है बेहतर, बोलेंगे हम तो उतर जाएंगे चेहरे कितने..... भाजपा नेता रवि रस्तोगी ने ये किसके लिए कहा और क्यों

डेढ दशक पहले बरेली दंगों के आरोपी मौलाना तौकीर रजा खां की जमानत लेने के मसले पर छलका वरिष्ठ भाजपा नेता रवि रस्तोगी का दर्द, बयां की सच्चाई ।

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Sudhakar Shukla
Ravi Rastogi

बरेली, वाईबीएन संवाददाता

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डेढ दशक पहले बरेली दंगों के आरोपी मौलाना तौकीर रजा खां की जमानत लेने के मसले पर छलका वरिष्ठ भाजपा नेता रवि रस्तोगी का दर्द, बयां की सच्चाई 

यंग भारत न्यूज चैनल की वरिष्ठ भाजपा नेता से खास बातचीत 

बाल्यकाल से ही आरएसएस और भाजपा से जुड़े रहकर सांसद और विधायकों के चुनाव का संचालन करके चाणक्य की भूमिका निभाने वाले वरिष्ठ भाजपा नेता रवि रस्तोगी किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। उनको न केवल अपनी पार्टी भाजपा बल्कि सपा, बसपा, कांग्रेस, आईएमसी समेत अन्य दलों से भी समान प्रेम मिलता है। उनकी विचारधारा भले ही आरएसएस और भाजपा के नजदीक है लेकिन उनके चाहने वाले प्रत्येक राजनीतिक दल में है। 

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तहसील नवाबगंज के गांव गुरगवां के मूल निवासी भाजपा नेता रवि रस्तोगी ने अटामांडा के आदर्श निकेतन इंटर कॉलेज से इंटरमीडिएट तक शिक्षा प्राप्त की। उसके बाद लेखपाल के पद पर चयनित हो गए। मगर, आरएसएस और भाजपा से उनकी नजदीकियां हमेशा कायम रहीं। वह भाजपा में महानगर उपाध्यक्ष, महानगर मंत्री और बृज क्षेत्र कार्यसमिति के सदस्य के अलावा बरेली लोकसभा व शहर और कैंट विधानसभा चुनावों के संयोजक भी रहे। इसके अलावा वह भाजपा संगठन में बदायूं, पीलीभीत और शाहजहांपुर के प्रभारी और वर्ष 2022 के चुनाव में पूरनपुर विधानसभा के प्रभारी भी बनाए गए। वह अलग बात है कि दशकों तक भाजपा संगठन में जमीन से जुड़कर काम करने के बाद भी उनको पार्टी ने अब तक न तो सरकार और न ही संगठन में महत्व नहीं दिया। बरेली दंगों में आईएमसी मुखिया मौलाना तौकीर रजा खां की जमानत लेने से लेकर राजनीति से जुड़े तमाम विषयों पर यंग भारत न्यूज चैनल के स्थानीय संपादक सुधाकर शुक्ल ने वरिष्ठ भाजपा नेता रवि रस्तोगी से खास बातचीत की। प्रस्तुत हैं उनसे बातचीत के प्रमुख अंश: 

आपको भाजपा के अंदर परदे के पीछे चुनावी रणनीति का चाणक्य माना जाता है। क्यों 

मैने हमेशा भाजपा संगठन के अंदर रहकर बरेली लोकसभा से संतोष गंगवार और कैंट विधानसभा से पूर्व वित्तमंत्री राजेश अग्रवाल के चुनाव की मैनेजमेंट देखा है। यह संयोग ही रहा कि मेरे मैनेजमेंट वाले अधिकांश चुनाव भाजपा ने हमेशा जीते हैं। चुनाव के चाणक्य की बात कुछ पत्रकार मित्रों ने प्रचारित कर दी। तबसे ही हमें यह तमगा मिल गया। 

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आप भाजपा प्रत्याशियों को बरेली लोकसभा या विधानसभा का चुनाव कैसे लड़ाते थे। 

मैंने अपने चुनाव मैनेजमेंट में प्रत्येक चीज के लिए टीम बनाकर चुनावी रणनीति तैयार की। हर बात के लिए एक टीम बनती थी। प्रत्येक टीम में 11 से 21 सदस्य होते थे। प्रत्येक टीम को उसकी क्षमता के हिसाब से जिम्मेदारी सौंपी जाती थी। यह टीमें कुछ इस तरह से काम करती थीं कि जब भी चुनाव नतीजे आते थे तो भाजपा हमेशा जीतती थी। 

बरेली लोकसभा का चुनाव वर्ष 2009 में भाजपा कैसे हार गई 

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वह चुनाव हम जरूर हार गए थे। उसकी वजह थी अति आत्मविश्वास। मैने प्रत्याशी से कई बार कहा कि अति आत्म विश्वास की जरूरत नहीं है। उस समय तत्कालीन प्रत्याशी ने मेरी बात नहीं मानी। तभी भाजपा को पराजय का सामना करना पड़ा। अन्यथा हम बरेली लोकसभा के अलावा शहर और कैंट विधानसभा का चुनाव हमेशा जीतते रहे।

Ravi Rastogi

आप पर हमेशा आरोप लगते हैं कि आपने वर्ष 2010-11 के बरेली दंगों के मुख्य आरोपी आईएमसी मुखिया मौलाना तौकीर रजा खां की जेल से जमानत कराई।  

कुछ शायराना अंदाज में इस मसले पर खामोश ही रहने दो हमको यही है बेहतर बोलेंगे हम तो उतर जाएंगे चेहरे कितने। मौलाना तौकीर रजा खां को बसपा सरकार ने जेल भेजा था। उसके बाद उनकी जमानत नहीं हुई थी। जेल से मौलाना को दस हजार रुपये के निजी मुचलके पर सरकार ने ही छोड़ दिया था। उसके सब प्रपत्र आज भी मौजूद हैं। मगर, इस बात को 13 साल हो गए। इस मसले पर हमारी ही पार्टी के कुछ नेता षड्यंत्र करके हमे बदनाम करते हैं तो मैं क्या कहूं। हमें बदनाम करने वाले हमारे अपने ही लोग हैं। लेकिन आगे से किसी ने मौलाना की जमानत लेने के लिए मेरे बारे में कुछ कहा तो फिर मैं वह बात बोलूंगा कि पूरी पार्टी लखनऊ और दिल्ली तक हिल जाएगी। अभी तो फिलहाल मैं भाजपा का निष्ठावान कार्यकर्ता होने के नाते खामोश ही हूं। 

आप तमाम बड़े नेताओं के खास समझे जाते हैं। आखिर, ऐसा क्या गुण है आपमें कि सब नेता आपको अपना खास समझते हैं। 

भाजपा या दूसरे राजनीतिक दलों के नेता मुझसे कोई बात कहते हैं तो हम वह बातें दूसरी जगह शेयर नहीं करते। राजनीति में गोपनीयता बहुत आवश्यक है। मेरे बारे में यह बात जबसे सबको पता चली है, तबसे वह मुझ पर विश्वास करते हैं। बस, इतनी सी बात है। बाकी, मेरा दुश्मन कोई नहीं है। भले ही हमारी विचारधारा किसी से न मिलती हो, लेकिन मेरे संबंध उन नेताओं से भी हैं। बाकी, अपनी पार्टी में भी मेरे संबंध सबसे अच्छे हैं। 

वक्फ बिल संसद के दोनों सदनों से पास हो गया है। क्या यह मुसलमानों के हित में है

वक्फ बिल मुसलमानों के हित में है। आज भले ही मुसलमान इसका विरोध कर रहे हैं लेकिन आगे चलकर उनकी खुद समझ में आ जाएगा तो वह बिल की तारीफ करेंगे। बिल पास होने के बाद वक्फ संपत्तियों का ठीक से होगा। ये संपत्तियां गरीब मुसलमानों के काम में आएंगी। अब तक वक्फ बोर्ड के सबसे ज्यादा मुकदमें मुसलमानों के ही चल रहे हैं। उनमें कोई हिंदू नहीं है। वक्फ संसोधन बिल के स्वीकृत होने से फायदा भी मुसलमानों को है। हिंदुओं का इस बिल से कोई लेना देना नहीं। 

केंद्र और प्रदेश में आपकी ही पार्टी की सरकार है। मगर, फिर भी आपकी उपेक्षा क्यों

जवाब: अब ये पार्टी की मर्जी है। वहां से जो भी जिम्मेदारी मिलती है तो उसे हम पूरी निष्ठा से निभाते हैं। संगठन या सरकार में मेरी उपेक्षा स्थानीय राजनीति की वजह है। कुछ बड़े नेता नहीं चाहते कि राजनीति में मेरा कैरियर आगे बढ़े। मगर, ऐसे नेता कभी भी अपने मंसूबों में सफल नहीं हुए। भाजपा में हमेशा मेरा सम्मान हुआ है।

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