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Message : घर के बुजुर्गों की बात को कभी न करें अनसुना

उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी लखनऊ और एसआरएमएस रिद्धिमा के संयुक्त तत्वावधान में बरेली में पहली बार आयोजित संभागीय नाट्य समारोह के चौथे व अंतिम दिन व्यंगकार स्वर्गीय केपी सक्सेना लिखित हास्य नाटक बाप रे बाप का मंचन किया गया।

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Sudhakar Shukla
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बरेली, वाईबीएन संवाददाता

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बरेली। उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी लखनऊ और एसआरएमएस रिद्धिमा के संयुक्त तत्वावधान में बरेली में पहली बार आयोजित संभागीय नाट्य समारोह के चौथे व अंतिम दिन लखनऊ की सांस्कृतिक शैक्षिक एवं सामाजिक संस्था कृति की ओर से व्यंगकार स्वर्गीय केपी सक्सेना लिखित हास्य नाटक बाप रे बाप का मंचन किया गया।

बद्रीनाथ भटनागर के अचानक गायब होने से मचा हड़कंप

सुनील सोनू निर्देशित इस नाटक के केंद्रीय पात्र घर के मुखिया बद्रीनाथ भटनागर हैं। जो अपने बेटे विकास, बहू मीनू और नौकर नूरबक्श के साथ रहते हैं। नाटक बद्रीनाथ के गुम हो जाने से आरंभ होता है। जो किसी को जानकारी दिए घर से चले गए। आस पड़ोस, नाते रिश्तेदारों के यहां तलाश करने के बाद भी जब वह कहीं नहीं मिलते तब सब चिंतित होते हैं। उनके जाने से परिवार और बाहर तरह-तरह के कयास लगाए जाते हैं। बेटा विकास सोचता है कि पिताजी किसी बात पर नाराज होकर घर से चले गए। विकास की पत्नी मीनू को ससुर के जाने का बिल्कुल भी दुख नहीं है, लेकिन वह चिंतित जरूर है।

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ससुर की गुमशुदगी से बहू को बदनामी का डर

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उसका मानना है कि ससुर घर छोड़कर किसी के साथ भागे हैं और जब दुनिया को पता चलेगा कि उस के ससुर भाग गए हैं तो सबके सामने उसकी नाक कट जाएगी। घर का नौकर नूर उन्हें गुमशुदा समझ रहा है और उत्पन्न परिस्थितियों का मजा ले रहा है। बहरहाल विकास थाने में पिता की गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखवाता है, लेकिन पुलिस की ओर से कुछ न किए जाने पर वह पिता को खोजने वाले को इनाम देने की घोषणा करता है। पांच हजार रुपये के इनाम के लालच में तरह-तरह के लोग विकास के सामने खुद को उसका बाप बना कर पेश करने लगते हैं। कई नकली बाप आते हैं और अपने आप को विकास का बाप बताते हैं।

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बद्रीनाथ की वापसी से खुला गुमशुदगी का राज

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इसी बीच बद्रीनाथ घर लौट आते हैं और पूछने पर बताते हैं कि वह बहू को बताकर कानपुर में मित्र से मिलने जाने की बात कहते हैं, लेकिन फोन पर व्यस्त होने से बहू ने इसे अनसुना कर दिया। उसके अनसुना करने से परिवार में समस्या खड़ी हो गई। नाटक में कई मौकों पर दर्शक हंसते हुए लोटपोट हो जाते है और सराहते हैं। नाटक में बाप बद्रीनाथ की केंद्रीय भूमिका अंकित कुमार ने निभाई, जबकि बेटे विकास का किरदार खुद निर्देशक सुनील सोनू, बहू मीनू की भूमिका पिहू गुप्ता और नौकर नूरबक्श का रोल अंकुर सक्सेना ने निभाया।

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एसआरएमएस ट्रस्टी आशा मूर्ति समेत कई गणमान्य लोग रहे मौजूद

ज्योति सिंह (मिली), सचिन मिश्रा (दूधवाला), प्रिंस सोनकर (पं.अनोखे लाल तिवारी), अंकित श्रीवास्तव (फजल चाचा), सचिन मिश्रा (नकली पिता), रवि कश्यप (गूंगे पिता) ने भी अपनी अपनी भूमिकाओं में बेहतरीन अभिनय किया। नाटक में प्रस्तुत नियंत्रक कीर्ति प्रकाश, मंच व्यवस्था सचिन व अंकित, वेशभूषा सुरभि दीक्षित व अर्नवी दीक्षित की रही। संगीत संचालन हिमांशु कश्यप ने किया जबकि प्रकाश संयोजन मोहम्मद हजीज का रहा। इस मौके पर एसआरएमएस ट्रस्टी आशा मूर्ति, उषा गुप्ता, उ.प्र. संगीत नाटक अकादमी की ड्रामा डायरेक्टर शैलजा कांत, डा.प्रभाकर गुप्ता, डा.अनुज कुमार, डा. शैलेन्द्र सक्सेना, डा.रीटा शर्मा, संयोजक पप्पू वर्मा, संजय मठ, निशांत अग्रवाल और बरेली आकाशवाणी व दूरदर्शन के कार्यक्रम प्रमुख डा. विनय सिंह सहित शहर के गणमान्य लोग मौजूद थे।

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