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आइए प्रभारी मंत्री जी, बरेली में आपका स्वागत है...

उत्तर प्रदेश सरकार के सहकारिता मंत्री और बरेली के प्रभारी मंत्री जेपीएस राठौर भी सरकार की उपलब्धियां बताने के लिए जनता के बीच में हैं। प्रभारी मंत्री जी, सरकार की उपलब्धियां तो अपनी जगह ठीक हैं ।

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Sudhakar Shukla
JPS rathore, young bharat
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बरेली,वाईबीएनसंवाददाता

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जनपद के प्रभारी मंत्री जेपीएस राठौर आज बरेली में हैं। एक दिन पहले भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने योगी सरकार की 8 साल की उपलब्धियां पर विस्तार से प्रकाश डाला था। अब उत्तर प्रदेश सरकार के सहकारिता मंत्री और बरेली के प्रभारी मंत्री जेपीएस राठौर भी सरकार की उपलब्धियां बताने के लिए जनता के बीच में हैं । प्रभारी मंत्री जी, सरकार की उपलब्धियां तो अपनी जगह ठीक हैं । मगर, सरकारी विभागों में व्याप्त अफसर शाही और नौकरशाही से जनता को जो दिक्कतें हैं। उन्हें दूर करना भी सरकार की जिम्मेदारी है। जनता की जमीन से जुड़ी हुई जो परेशानी है, उसका निदान न होने से सरकार की उपलब्धियां भी धूमिल पढ़ने का अंदेशा है। बरेली की जनता यह चाहती है कि सरकार या शासन के स्तर से समय रहते इन दिक्कतों से निजात मिले तो इससे योगी सरकार की छवि और बेहतर बनेगी। क्या हैं बरेली की जनता की प्रमुख समस्याएं। देखते हैं एक नजर में

1. सरकारी विभागों में व्याप्त। कृषि विभाग में बीते दिनों एक बाबू ने किसान से₹5000 की रिश्वत मांगी। अब तक बाबू पर डिप्टी डायरेक्टर ने कार्रवाई नहीं की। साथ ही डीडी कृषि ने किसान से यह कहा कि बाबू को 5000 नहीं, तुमसे ₹15000 मांगने चाहिए थे। डीएम के दो बार आदेश के बाद भी यह जांच सिर्फ टेबल पर घूम रही है।

2.  सीएम पोर्टल पर ऑनलाइन शिकायतों का अफसरों की ओर से फर्जी तरीके से निस्तारण। फिर जिले कररैंकिंग लाकर अपनी पीठ थपथपाना। 

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3. जनता दर्शन में आए प्रार्थना पत्रों का एक टेबल से दूसरी टेबल पर घूमना । महीनों तक उनका निस्तारण न होना 

4. बिना हेलमेट, नो पेट्रोल। इस अभियान की अनदेखी।  पंप मालिक किसी भी बाइक सवार को पेट्रोल डालने के लिए अपना हेलमेट दे देते हैं। फिर पेट्रोल डालने के बाद वही हेलमेट पुनः उतारकर अपने केबिन में रख लेते हैं। बाइक चालक की हेलमेट पहनने की आदत नहीं पड़ पाती।

5. ट्रैफिक सुधारने के नाम पर बाइक या कार चालकों का चालान करना। ई रिक्शा, ऑटो और टेंपो की बेतहाशा बढ़ती हुई संख्या और इनका चौराहों पर बेतरतीब ढंग से खड़े होना। इससे शहर में प्रतिदिन जाम लगता है।

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6. चौराहों पर ट्रैफिक पुलिस का सिर्फ चालान करने के लिए खडे होना। यातायात सुधारने के लिए कोई प्रयास जमीन पर न करना। न ही आम पब्लिक को यातायात के नियमों के बारे में समझाना। 

7. प्रशासनिक स्तर पर अफसरों द्वारा जनता की समस्याएं तुरंत न निपटाकर उन्हें लटकाना। अवैध खनन समेत तमाम ऐसे मुद्दे हैं, जिन पर सुधार की गुंजाइश बनी हुई है। 

8. स्वास्थ्य सेवाओं का शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में बदहाल होना। सीएससी और पीएसी के अलावा जिला अस्पताल में भी सरकारी दवाई सिर्फ  चूरन चटनी की तरह दी जाती है। डॉक्टरों की ओर से मरीज को अच्छी दवाई मेडिकल स्टोर के लिए ही लिखी जाती है।  इसकी वजह से मरीज और उनके के तीमारदारों को धक्के खाने पड़ते हैं। 
 जिला अस्पताल की सफाई से लेकर तमाम व्यवस्थाएं दुरुस्त नहीं है।

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9. बरेली में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट योगी सरकार के रहते हुए भी पिछले 8 साल से नहीं चल पाया है। इसके लिए कौन जिम्मेदार है। पिछली सपा सरकार या आप। 

10. शहर का कूड़ा निस्तारण नगर निगम की ओर से नहीं किया जा रहा है। इधर का कूड़ा उधर और उधर का कूड़ा इधर करके टाइम पास हो रहा है। नगर निगम के सफाई कर्मचारी और अधिकारी जनता की ओर से पूरी तरह से बेपरवाह हैं । 

11. नगर निगम की ओर से कराए गए निर्माण कार्यों में 40% तक कमीशन लेने की चर्चाएं खुलेआम है। न तो निर्माण विभाग के इंजीनियरों पर कोई अंकुश लग पा रहा है,  न ही भ्रष्टाचार में लिप्त दलालों और बड़े लोगों पर किसी तरह का कोई शिकंजा सरकार की ओर से कसा गया है।

12. सरकारी दफ्तरों में बाबू से लेकर अफसर तक सरकार की प्रत्येक योजना में सिर्फ अपनी ऊपरी कमाई देख रहे हैं। जनता से इसका कोई लेना देना नहीं है। 

13. इसका जीता जागता उदाहरण लखनऊ में निलंबित आईएएस अभिषेक प्रकाश है,  जो कि बरेली के भी लंबे समय तक 12 साल पहले डीएम रह चुके हैं। उनके जैसे और भी बहुत हैं बरेली में। आप चाहेंगे तो सबूत भी मिलेंगे। 

14. डग्गामार वाहनों पर किसी तरह का कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया है। शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में यह वाहन आम पब्लिक के लिए बड़ी समस्या बने हुए हैं।

15. प्राइवेट अस्पतालों में मरीजों की लूट का सिस्टम जारी है। हाईवे या पीडब्ल्यूडी की सड़कों पर प्रतिदिन एक्सीडेंट हुए मरीजों को सरकारी या प्राइवेट अस्पतालों की एंबुलेंस जबरदस्ती घायलों को प्राइवेट अस्पतालों में ले जाती है। फिर हॉस्पिटल के डॉक्टर उस मरीज को लाखों रुपए का लंबा चौड़ा बिल थमा देते हैं। अगर आपको भरोसा न हो तो दिल्ली हाईवे पर फतेहगंज पश्चिमी से लेकर मीरगंज, शेरगढ़, बहेड़ी , नैनीताल हाईवे और बदायूं  रोड के अलावा लखनऊ हाईवे पर भी स्थिति को देखा जा सकता है।

16. यूपी और केंद्र सरकार की तमाम योजनाओं को जमीन पर उतरने की बजाय उनके कार्यों में कागजी आंकड़े ज्यादा दुरुस्त किए गए हैं। सरकार को इस पर भी बहुत गहराई से पता करने की आवश्यकता है।

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