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नगर निगम: एडटेक को काम देने के लिए रातों रात बदल गईं टेंडर की शर्तें... जानिए कैसे

विज्ञापन, होर्डिंग और यूनीपोल से राजस्व वसूली की ऊपरी कमाई में प्लानिंग बनाकर करोड़ों रुपए ठिकाने लगाए शहर की सरकार कही जाने वाली संस्था नगर निगम में प्लानिंग बनाकर राजस्व का नुकसान करते हुए करोड़ों रुपए किस तरह से ठिकाने लगाए जाते हैं। अगर यह सीखना है तो नगर निगम से सीखिए।

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Sudhakar Shukla
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बरेली,वाईबीएनसंवाददाता

बरेली। शहर की सरकार कही जाने वाली संस्था नगर निगम में प्लानिंग बनाकर राजस्व का नुकसान करते हुए करोड़ों रुपए किस तरह से ठिकाने लगाए जाते हैं, अगर ये सीखना है तो बरेली नगर निगम से सीखिए।

बड़े साहब की मेहरबानी से एजेंसी ने किया करोड़ों का खेल!

तीन साल पहले जब आम नागरिक कोरोना के संकट से बाहर निकलने की कोशिश कर रहे थे। तब नगर निगम के बडे़ साहब और शाही अंदाज वाले अफसरों ने अपने निजी फायदे के लिए विज्ञापन एजेंसी एडटेक को टेंडर देने के लिए नियम और शर्तें रातों रात बदल दी। इसका नतीजा यह निकला कि विज्ञापन की दरों में पांच गुना अधिक बढ़ोत्तरी के बाद भी नगर निगम के राजस्व में मामूली वृद्धि ही हो सकी। दो सौ से ज्यादा यूनीपोल और सैकड़ों होर्डिंग एक साल तक शहर की सड़कों पर अवैध तरीके से लगाकर विज्ञापन एजेंसी अनाधिकृत वसूली करके करोड़ों रुपए के करोड़ो रूपए की वारे न्यारे करती थी। बड़े साहब का हाथ सिर पर होने से नगर निगम के विज्ञापनों के राजस्व में इसी एजेंसी द्वारा अब भी ऊपरी कमाई का खेल जारी है।

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विज्ञापन घोटाला: रेट बढ़ाए, मगर राजस्व में मामूली इजाफा

नगर निगम में वर्ष 2022 में विज्ञापन प्रभारी अपर नगर आयुक्त अजीत कुमार सिंह थे। इस दौरान राजनीतिक दखलंदाजी और अफसरों के अनैतिक गठजोड़ ने यूनीपोल के टेंडरों में करोड़ों रुपए का खेल किया। सबसे पहले नगर निगम के राजस्व में बढ़ोतरी करने के  नाम पर 680 रुपए के रेट बढ़ाकर ₹3500 प्रति यूनीपोल कर किया गया। इसमें विज्ञापन विभाग से जुड़े अफसर की ओर से यह हवाला दिया गया कि विज्ञापन और यूनीपोल में पुराने रेट से नगर निगम का राजस्व मात्र 2 करोड रुपए ही आता है। जब रेट बढ़ेंगे तो विज्ञापन का राजस्व बढ़कर 5 से 6 गुना यानि कि 12 करोड़ रुपए हो जाएगा।

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जांच में घोटाला साबित, फिर भी बड़े साहब ने मामला दबाया!

यूनीपोल फ्लैक्सी समेत तामाम विज्ञापनों के रेट बढ़ने के बावजूद टेंडर में ऐसा खेल किया गया कि विज्ञापन का राजस्व तो मात्र 2 करोड रुपए ही बढ़ा । मगर , बाकी की चार गुनी बढ़ी रकम के करोड़ों रुपए बडे़ साहब और नगर निगम के अफसरों की जेब में चले गए। नगर निगम की कमेटी द्वारा इस मामले की जांच भी की गई। उस जांच रिपोर्ट में भी घपला साबित हों गया। मगर, बड़े साहब की सरपरस्ती में उस जांच को घुमा फिराकर सारी चीजे मैनेज कर ली गई। न विज्ञापन का टेंडर लेने वाली एजेंसी पर कोई बड़ी कार्रवाई हो सकी, न ही भ्रष्ट अफसर और कर्मचारियों को कोई सजा मिली।

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खास फर्म को टेंडर देने के लिए रातों-रात बदल गए नियम और शर्तें

पीलीभीत बाईपास रोड स्थित एडटेक फर्म के मालिक ने नगर निगम के अफसर और नेताओं से ऐसी सेटिंग बिठाई कि सभी इस फर्म के दीवाने हो गए। नगर निगम में जब विज्ञापन के टेंडर होने की नौबत आई तो बाकी फर्मों को टेंडर डालने से रोकने के लिए 20 करोड रुपए के टर्नओवर की शर्त रख दी गई। इस खेल को अधिकांश फर्में समझने में नाकाम साबित हुई और 20 करोड़ के टर्नओवर की शर्त को पूरा नहीं कर सकी। इसके चलते ज्यादातर फर्में टेंडर प्रक्रिया से बाहर हो गई।

टर्नओवर की शर्त अचानक घटकर 9:30 करोड़ हो गई, अखबार में नही प्रकाशित हुआ टेंडर नोटिस

एडटेक फर्म भी नगर निगम की टेंडर प्रक्रिया में 20 करोड़ के टर्नओवर की शर्तों के तहत जब मानकों को पूरा नहीं कर सकी तो इसके लिए रातों-रात टेंडर की शर्तों में ढील दे दी गई। यह शर्त अचानक घटाकर 9:30 करोड रुपए हो गई। मगर, टर्नओवर की शर्त बदलने का विज्ञापन किसी प्रतिष्ठित समाचार पत्र में प्रकाशित नहीं हुआ। मात्र कुछ देर के लिए वेबसाइट पर डाला गया। जब फर्म के नाम से यूनीपोल का टेंडर खुल गया तो सब कुछ गायब हो गया। फर्म ने टेंडर लेने के बाद यूनीपोल लगाने और उसकी राजस्व वसूली में करोड़ों रुपए के वारे न्यारे किए। बड़े पैमाने पर करोड़ों रुपए नीचे से लेकर ऊपर तक कमीशन का बंदरबांट किया गया।

"मेरे पास नगर निगम के विज्ञापन प्रभारी की जिम्मेदारी एक महीने पहले ही आई है इससे पहले इस मामले में क्या हुआ क्या नहीं इस बारे में मैं कोई टिप्पणी नहीं कर सकता। "

राजीव कुमार राठी, विज्ञापन प्रभारी एवं पर्यावरण अभियंता नगर निगम बरेली 

(नगर निगम के यूनीपोल विज्ञापन में घोटाले की सीरीज आगे भी जारी रहेगी। अगली कड़ी का इंतजार कीजिए)

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